किसान खेमाराम ने गांव को बनाया मिनी इजरायल, खेती से सालाना टर्नओवर 1 करोड़
राजस्थान के किसान खेमाराम ने सफलता की नई कहानी लिख दी है। आपको जानकर आश्चर्य होगा, लेकिन ये सच है कि खेमाराम खेती से करोड़ों का मुनाफा कमा रहे हैं। आप भी जानें कि कैसे उन्होंने खेती को मुनाफे के बिजनेस में तब्दील कर लिया और ऐसी कौन सी ट्रिक है जिसने उनका टर्नओवर करोड़ रूपये तक पहुंचा दिया।
दुनिया भर में कृषि के क्षेत्र में इजरायल को सबसे हाईटेक देश माना जाता है। वहां रेगिस्तान में ओस से सिंचाई की जाती है, दीवारों पर गेहूं, धान उगाए जाते हैं, भारत के लाखों लोगों के लिए अभी ये एक सपना ही है, लेकिन इन सबके बीच इजरायल की तर्ज पर राजस्थान के एक किसान ने खेती करने की शुरूआत की और सालाना टर्नओवर ऐसा कि आप उनकी प्रशंसा किए बिना नहीं रह पाएंगे।
राजधानी जयपुर से सटे गांव गुड़ा कुमावतान निवासी किसान खेमाराम चौधरी (45 वर्ष) ने तकनीक और अपने ज्ञान का ऐसा तालमेल बिठाया कि वो आज लाखों किसानों के लिए उदाहरण बन गए हैं। आज उनका मुनाफा लाखों रुपये में है। खेमाराम चौधरी ने इजरायल के तर्ज पर चार साल पहले संरक्षित खेती (पॉली हाउस) करने की शुरुआत की थी।
आज इनकी देखादेखी आसपास लगभग 200 पॉली हाउस बन गये हैं, लोग अब इस क्षेत्र को मिनी इजरायल के नाम से जानते हैं। खेमाराम अपनी खेती से सालाना एक करोड़ रुपये का टर्नओवर ले रहे हैं।
2012 में इजरायल जाकर लिया प्रशिक्षण
किसान खेमाराम चौधरी को सरकार की तरफ से इजरायल जाने का मौका मिला। इजरायल से वापसी के बाद इनके पास कोई जमा पूंजी नहीं थी लेकिन वहां की कृषि की तकनीक को देखकर इन्होंने ठान लिया कि उन तकनीकों को वे अपनी खेती में भी लागू करेंगे।
सब्सिडी से लगाया पहला पॉली हाउस
किसान खेमाराम ने चार हजार वर्गमीटर में पहला पॉली हाउस सरकार की सब्सिडी से लगाया।
खेमाराम चौधरी बताते हैं, "एक पॉली हाउस लगाने में 33 लाख रुपये का खर्चा आया, जिसमें 9 लाख मुझे देने पड़े जो मैंने बैंक से लोन लिया था, बाकी सब्सिडी मिल गयी थी। पहली बार खीरा बोए जिसमें करीब डेढ़ लाख रुपये खर्च हुए। चार महीने में ही 12 लाख रुपये का खीरा बेचा, ये खेती को लेकर मेरा पहला अनुभव था।"
अमेरिका की कंपनी में नौकरी छोड़ फूलों की खेती कर रहे ललित उप्रेती, हो रही है अच्छी कमाई
खेमाराम आगे कहते हैं, "इतनी जल्दी मैं बैंक का कर्ज चुका पाऊंगा, ऐसा मैंने सोचा नहीं था पर जैसे ही चार महीने में ही अच्छा मुनाफा मिला, मैंने तुरंत बैंक का कर्जा अदा कर दिया। चार हजार वर्ग मीटर से शुरुआत की थी आज तीस हजार वर्ग मीटर में पॉली हाउस लगाया है।"
और ऐसे बनाया अपने गांव को मिनी इजरायल
खेमाराम चौधरी राजस्थान के पहले किसान हैं जिन्होंने इजरायल के इस मॉडल की शुरुआत की है। आज इनके पास खुद के 7 पॉली हाउस हैं, 2 तालाब हैं, 4 हजार वर्ग मीटर में फैन पैड है, 40 किलोवाट का सोलर पैनल है।
इनकी देखादेखी आज आसपास के 5 किलोमीटर के दायरे में लगभग 200 पॉली हाउस बन गये हैं।
इस जिले के किसान संरक्षित खेती करके अब अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। पॉली हाउस लगे इस पूरे क्षेत्र को लोग अब मिनी इजरायल के नाम से जानते हैं।
ड्रिप इरीगेशन और मल्च पद्धति है उपयोगी
ड्रिप से सिंचाई में बहुत पैसा बच जाता है और मल्च पद्धति से फसल मौसम की मार, खरपतवार से बच जाती है जिससे अच्छी पैदावार होती है।
तरबूज, ककड़ी, टिंडे और फूलों की खेती में अच्छा मुनाफा है। सरकार इसमें अच्छी सब्सिडी देती है, एक बार लागत लगाने के बाद इससे अच्छी उपज ली जा सकती है।
छह महीने तालाब के पानी से सिंचाई
खेमाराम ने अपनी आधी हेक्टेयर जमीन में दो तालाब बनाए हैं, जिनमें बरसात का पानी एकत्रित हो जाता है।
इस पानी से छह महीने तक सिंचाई की जा सकती है। ड्रिप इरीगेशन और तालाब के पानी से ही पूरी सिंचाई होती है।
पॉली हाउस की छत पर लगे माइक्रो स्प्रिंकलर भीतर तापमान कम रखते हैं। दस फीट पर लगे फव्वारे फसल में नमी बनाए रखते हैं।
2015 में मिला नेशनल अवार्ड
बेहतर पैदावार के लिए किसान खेमाराम चौधरी को साल 2015 में महिंद्रा की तरफ से केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह द्वारा दिल्ली में नेशनल अवार्ड से नवाजा जा चुका है।
इन्हें कृषि विभाग की तरफ से सोलर पैनल लगाने के लिए भी सम्मानित किया जा चुका है।