'Padhle' के जरिये बोर्ड परीक्षा को आसान बना रहे हैं 21 साल के ये दो ऑन्त्रप्रेन्योर
2,000 रुपये से शुरुआत कर आज ये एडटेक प्लेटफार्म पर अपने कोर्सेज के ज़रिये करोड़ों कमा रहे हैं.
एक एडटेक प्लेटफार्म है जो बच्चों को मीम (meme) और मजेदार वीडियो के माध्यम से बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी करवाता है. इसके साथ ही यह प्लेटफॉर्म बच्चों की मेन्टल हेल्थ का भी पूरा ख़याल रखता है.
को-फाउंडर्स, अथर्व पुराणिक और प्रणय चौहान ने Padhle के जरिये एजुकेशन को एक नई दिशा दी है. Covid-19 के दौरान जब शिक्षा की पूरी अवधारणा बदलकर हमारे कंप्यूटर स्क्रीन तक सीमित रह गयी थी तब 2020 में अथर्व और प्रणय ने एक यूट्यूब चैनल के जरिये बच्चों को साधारण तरीके से पढ़ाना शुरू किया और हाथ से लिखे नोट्स भी उपलब्ध कराए ताकि बच्चे अपने बोर्ड के एग्जाम में अच्छे नंबरों से पास हो सके.
अथर्व पुराणिक और प्रणय चौहान दोनों मध्य प्रदेश के देवास शहर से आते है जहाँ से उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की. अपने स्कूल के दिनों में उन्हें एजुकेशन सिस्टम में कोई ख़ास बदलाव देखने को नहीं मिले और उन्होंने पाया कि वर्षों बाद भी हम लोग उसी पुराने तरीके से स्कूल में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. जहां एक ओर प्रणय B-Tech ग्रेजुएट हैं वहीं दूसरी ओर अथर्व B-Tech ड्रॉपआउट हैं. अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के साथ ही दोनों ने "Padhle" की शुरुआत की.
बता दें कि प्रणय चौहान अपने स्कूल के दिनों से ही "Tech Theory" नाम से एक यूट्यूब चैनल चलाते थे जहाँ से उन्हें यूट्यूब का एक्सपीरियंस मिला और आंध्र प्रदेश सरकार ने उन्हें "Best content creator pan-India" पुरस्कार दिया.
YourStory से बात करते हुए प्रणय बताते हैं, "आज ज्यादातर एडटेक प्लेटफॉर्म उसी तरह से ऑनलाइन कंटेंट मुहैया करा रहे हैं जिस तरह से हमें स्कूल के क्लासरूम में मिलता है. लेकिन, Padhle बच्चों को वो सभी टॉपिक्स जो या तो किसी प्लेटफार्म पर उपलब्ध नहीं है या जो उपलब्ध भी है, उन्हें भी आसान तरीके से फनी वीडियोज, meme, और अन्य आधुनिक तरीकों से बच्चों के लिए उपलब्ध करा रहा है."
साथ ही साथ ऐसी जगह जहाँ पर ऑफलाइन कोचिंग उपलब्ध नहीं है वहाँ के बच्चे भी Padhle के कोर्सेज के जरिये एक किफायती कीमत में पुरे साल के लिए एनरोल कर सकते है और अपने घर से अपने फ़ोन से कोचिंग लेवल की पढ़ाई कर सकते है.
प्रणय कहते है, "हम Padhle के जरिये बच्चों को उस एक दोस्त की तरह पढ़ाना चाहते है जो क्लास ख़त्म होते ही बोर्ड पर लिखी सारी चीज़ें 5 मिनट में ऐसे समझा देता है जिसे टीचर 1 घंटे में नहीं समझा पाते."
Padhle के पास कई यूट्यूब चैनल और अपना Padhle ऐप है जहाँ पर यह अपने वीडियो और कोर्सेज अपलोड करता है जिसके जरिये वह चैनल्स से अपनी देश भर के छात्रों तक पहुंच पाता है.
अथर्व पुराणिक और प्रणय चौहान ने कोविड के समय से जाना कि बच्चों को सही गाइडेंस नहीं मिल पा रही है जिसे ध्यान में रखते हुए दोनों ने Padhle की नींव रखी.
इस स्टार्टअप को खड़ा करने में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा? इसके जवाब में प्रणय कहते हैं, "किसी भी एडटेक स्टार्टअप के लिए सबसे महत्वपूर्ण पहलू है - स्टूडेंट्स का विश्वास. ऐसे में हमारे लिए भी स्टूडेंट्स का विश्वास जीतना एक बड़ी चुनौती थी. कारण, वो ट्रस्ट फैक्टर है जिसके बदौलत स्टूडेंट्स इनके कोर्सेज में एडमिशन लेते हैं और इनके यूट्यूब चैनल पर लाखों की संख्या में आते है."
प्रणय आगे बताते हैं, "इस सेक्टर में कॉम्पीटशन काफी ज्यादा है. इस बिज़नेस की शुरुआत में टीचर के पेमेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट का कॉस्ट काफी ज्यादा होता है. इसके अलावा, अच्छे शिक्षकों की मांग काफी ज्यादा है और उनकी संख्या कम. लेकिन, समय के साथ Padhle ने इस समस्या से निजात पा लिया और आज यह न सिर्फ प्रॉफिटेबल स्टेज में हैं अपितु प्रोफिटेबिलिटी का मार्जिन भी काफी ज्यादा है."
को-फाउंडर अथर्व पुराणिक ने आगे बताया, "यदि वर्तमान की चुनौतियों की बात करें तो यूट्यूब पर चलने वाले कंटेंट को अपडेट करना और चैनल का विस्तार करना काफी बड़ी चुनौती है. एजुकेशन इनोवेशन की मांग करती है यदि हम अपने टीचिंग मैटेरियल्स को समय-समय पर अपडेट नहीं करेंगे तो हमारे स्टूडेंट्स पीछे रह जायेगें और अंततः हमारी संस्था भी. ऐसे में, हर 4-6 महीने की अवधि में हम नियमित रूप से कोर्स मैटेरियल्स को अपडेट करते रहते हैं."
Padhle के पास कुछ यूट्यूब चैनल्स है और एक एप्लीकेशन-बेस्ड प्लेटफार्म है जहाँ पर वह अपने पेड और अनपेड कोर्सेज को बच्चों के लिए रेगुलर बेसिस पर पोस्ट करता है. फाउंडर बताते हैं कि प्लेटफॉर्म का ज्यादातर रेवेन्यू इसके चैनल्स और पेड कोर्सेस से आता है जिसकी कीमत सालाना 1800-2000 रुपये प्रति छात्र है. अब तक प्लेटफार्म के 1 मिलियन (10 लाख) से भी ज्यादा व्यूअर्स हो चुके हैं और 10000 से भी ज्यादा बच्चे अबतक इसके पेड कोर्सेस में एनरोल कर चुके है."
वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में Padhle का रेवेन्यू लगभग 1 करोड़ था. फाउंडर इस वित्तीय वर्ष के अंत तक कम से कम इसका चार गुणा रेवेन्यू हासिल करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं.
Padhle एक Android ऐप के रूप में भी उपलब्ध है जहाँ पर आसानी से लॉगिन करके कोर्सेज तक पहुंचा जा सकता है. प्लेटफॉर्म ने अपने ऐप को बच्चों के लिए बहुत आसान रखा है ताकि बच्चों के लिए कोर्स को एक्सेस करना आसान रहे.
अथर्व पुराणिक और प्रणय चौहान ने मिलकर शुरुआत में मात्र 2000 रुपये से प्लेटफार्म की नींव रखी. Padhle एक बूटस्ट्रैप्ड प्लेटफार्म है और अभी फंडिंग के लिए किसी के साथ चर्चा में नहीं है.
जहाँ तक अगले 1 - 1.5 वर्ष के लक्ष्य की बात है, अथर्व और प्रणय निश्चित रूप से कोर्स के विस्तार की नीति पर काम कर रहे हैं. अभी इनके यूट्यूब पर क्लास 9 और क्लास 10 के लिए ही कोर्सेज उपलब्ध है परन्तु आने वाले कुछ महीनों में 11वीं और 12वीं के स्टूडेंट्स के लिए भी कोर्स उपलब्ध होंगे और वो इस दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं.
स्पष्ट है, अगले एक वर्ष में इनका लक्ष्य यूट्यूब सब्सक्राइबर्स की संख्या को तीन से चार गुना बढ़ाना है. इसके लिए चैनल पर अलग-अलग कोर्सेज से जुड़े स्टडी मैटेरियल्स के अपलोड करने की योजना है.
अथर्व और प्रणय अपने यूट्यूब सब्सक्राइबर जो कि स्टूडेंट्स हैं, उनको कभी कस्टमर नहीं मानते. जहाँ तक संख्या कि बात है इसे वह दो सेगमेंट में विभाजित कर सकते हैं - यूट्यूब सब्सक्राइबर और Padhle ऐप यूज़र. यूट्यूब सब्सक्राइबर्स कि संख्या वर्तमान में 1.5 मिलियन है जबकि इस तिमाही में ऐप यूज़र कि संख्या लगभग 10 हजार है जो कि नए कोर्सेज के शुरू होने के साथ ही अगले एक-दो महीनों में 15 हजार तक हो जाने कि संभावना है.
Padhle की USP (unique selling proposition) पर बात करते हुए प्रणय बताते हैं, "सबसे पहले तो कोर्सेज के स्टडी मैटेरियल्स को मजेदार और संक्षिप्त रूप से स्टूडेंट्स को उपलब्ध कराना - शुरुआत से ही हमारी USP रही है. ताकि बच्चों को कोई भी चैप्टर बोरिंग न लगे और वो हँसी-ख़ुशी उसे समझ जाएँ. हमारे स्टडी मैटेरियल्स को देखते हुए स्टूडेंट्स को क्लास-रूम नहीं अपितु फिल्म देखने जैसा महसूस होता है. इसके लिए हम कोर्सेज में कई सामान्य उदाहरण और अपने चारों ओर घट रही नई घटनाओं को जोड़ते रहते हैं, जिन्हें बच्चे चाव से देखते-सुनते है और आसानी से समझ जाते हैं. इसके लिए हमें निरंतर रिसर्च करते रहना होता है."
अथर्व ने आगे कहा, "दूसरा, बच्चों के झिझक को दूर करने लिए उनके साथ हमारा व्यवहार स्टूडेंट्स और टीचर का न होकर, बड़े भाई जैसा होता है. आपको आश्चर्य होगा कि हमें बच्चे टीचर या सर न कहकर भईया ही कहते है. तीसरा, यूट्यूब सब्सक्राइबर और ऐप यूज करने वाले सारे स्टूडेंट्स के लिए हमारा ई-बुक यानी इलेक्ट्रॉनिक स्टडी मैटेरियल्स भी उपलब्ध है जो काफी संक्षिप्त और पढ़ने में रुचिपूर्ण होता है ताकि बच्चे कोर्सेज को कभी भी रिवाइज कर सकें."