Hydroponic Farming: बालकनी-छत से लेकर बेसमेंट तक में उगाएं सब्जियां, जानिए कैसे होती है ये बिना मिट्टी वाली खेती
आज के इस दौर में खेती के नए-नए तरीके सामने आ रहे हैं. इनमें से ही एक है हाइड्रोपोनिक खेती, जो बिना मिट्टी के खेती करने का सबसे लोकप्रिय तरीका है.
जब भी बात खेती की आती है तो सबसे पहले आंखों के सामने खेत की एक तस्वीर उभरती है. खैर, अब वो सब पुरानी बात हो गई है. आज के दौर में खेती के लिए जरूरी नहीं कि खेत चाहिए ही हो. आप चाहे तो बिना खेत के भी खेती कर सकते हैं. चाहे तो सब्जियों को फैक्ट्रियों में उगा सकते हैं. सुनने में भले ही आपको ये बातें थोड़ी अजीब लग रही होंगी, लेकिन ऐसा वाकई मुमकिन है. कई तरह की तकनीक से बिना मिट्टी के भी खेती हो रही है. ऐसा ही एक तरीका है हाइड्रोपोनिक खेती (Hydroponic Farming) का तरीका, जिसमें बिना मिट्टी के खेती (Farming Without Soil) की जाती है.
इसके लिए मिट्टी नहीं, बस पानी चाहिए
हाइड्रोपोनिक खेती में सबसे पहले जरूरत होती है पानी की. इसके अलावा आपको चाहिए एक पॉलीहाउस जैसा स्ट्रक्चर, ताकि तापमान को नियंत्रित किया जा सके. आप चाहे तो खुले में भी यह खेती कर सकते हैं, लेकिन तब आपको सब्जियां मौसम के हिसाब से लगानी पड़ती हैं. हाइड्रोपोनिक खेती में आपको जरूरत पड़ती है पाइपों से बने एक स्ट्रक्चर की, जिसमें पानी बहता रहता है और इन्हीं पाइपों में पौधे लगे होते हैं. हाइड्रोपोनिक खेती के लिए 15-30 डिग्री का तापमान और 80-85 फीसदी ह्यूमिडिटी अच्छी मानी जाती है.
कैसे काम करता है हाइड्रोपोनिक स्ट्रक्चर
हाइड्रोपोनिक खेती में कई पीवीसी पाइपों को एक दूसरे से कुछ इस तरह जोड़ा जाता है कि एक तरफ से पानी जाए और दूसरी तरफ से बाहर निकले. इन पाइपों में ऊपर की तरफ छोटे-छोटे छेद किए जाते हैं, जिनमें पौधे उगाए जाते हैं. इन छेदों में प्लास्टिक की एक छोटी जाली वाली गिलास जैसी एक चीज होती है, जिसमें कोकोपीट या फोम भरा होता है. इसी में पौधों के बीज या छोटे पौधे लगाए जाते हैं. यह स्ट्रक्चर कुछ इस तरह का होता है कि गिलास का सबसे निचला हिस्सा पानी को छूता है. जैसे-जैसे पौधा बड़ा होता है, उसकी जड़ें नीचे जाती हैं और पानी के जरिए पोषण लेती हैं. पौधों को पोषण इसी पानी के जरिए दिया जाता है. एक ही पानी को इस पाइप में करीब 15-20 दिन तक घुमाया जा सकता है.
कौन सी चीजों की कर सकते हैं खेती?
हाइड्रोपोनिक तकनीक से छोटी नस्ल के पौधे आसानी से उगाए जा सकते हैं. अधिकतर लोग हाइड्रोपोनिक का इस्तेमाल पत्तेदार सब्जियों और सलाद उगाने के लिए करते हैं. इसमें आप गाजर, शलजम, मूली, शिमला मिर्च, मटर, स्ट्रॉबेरी, ब्लैकबेरी, ब्लूबेरी, तरबूज, खरबूज, अनानास, अज्वाइन, तुलसी, टमाटर, भिंडी जैसी सब्जियां और फल उगा सकते हैं.
जानिए हाइड्रोपोनिक खेती के फायदे
हाइड्रोपोनिक खेती का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसके लिए आपको किसी उपजाऊ जमीन की जरूरत नहीं है. यानी अगर आपके पास बंजर जमीन है तो भी आप इस तरह की खेती कर सकते हैं. इसकी खेती भी आप मल्टी लेवल में कर सकते हैं. हाइड्रोपोनिक सिस्टम में बहुत से लोग वर्टिकल फार्मिंग भी करते हैं. ऐसे में कम जगह में अधिक सब्जियां उगाई जा सकती हैं. इसका सबसे बड़ा फायदा तो ये है कि यह खेती घर के अंदर भी हो सकती है. कई जगह लोग पॉली हाउस में हाइड्रोपोनिक खेती करते हैं तो कई जगह लोग घरों के बेसमेंट को ही इसके लिए इस्तेमाल करते हैं. हालांकि, बेसमेंट में या घर के अंदर हाइड्रोपोनिक खेती करने में आपको आर्टिफीशियल लाइट का भी इंतजाम करना होता है. आप चाहे तो अपनी बालकनी में भी एक छोटा सा हाइड्रोपोनिक स्ट्रक्चर लगा सकते हैं और तमाम चीजें उगा सकते हैं.
कितना खर्च आता है हाइड्रोपोनिक फार्मिंग में?
आम खेती की तुलना में हाइड्रोपोनिक खेती थोड़ी महंगी पड़ती है. अगर आप 100 वर्ग फुट में हाइड्रोपोनिक सिस्टम लगाना चाहते हैं तो आपको 60-70 हजार रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं. वहीं इसके लिए पॉलीहाउस बनाने का खर्च अलग होगा. अगर आप छोटी नस्ल के पौधे उगाते हैं तो 100 वर्ग फुट में करीब 200 पौधे लगा सकते हैं. यह सिस्टम महंगा होने की वजह से इसमें लोग महंगी सब्जियों की ही खेती करते हैं, जैसे बेसिल लीव, लेट्यूस और अन्य दूसरे पत्तेदार सलाद. अगर आप ऐसे स्ट्रक्चर में बिजनेस करने के मकसद से टमाटर या खीरा लगाएंगे तो छोटे लेवल पर आपको नुकसान होगा. हां बड़े लेवल पर आप ऐसा कर सकते हैं, लेकिन उस केस में भी आपको अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग के बारे में पहले सोचना होगा. अगर आप पहले से ही कुछ रेस्टोरेंट या बड़े होटल से डील कर लेते हैं तो आप तगड़ा मुनाफा कमा सकते हैं.