गूगल महराज बने भारत के सबसे भरोसेमंद ब्रॉन्ड, माइक्रोसॉफ्ट दूसरे नंबर पर
आज गूगल विश्व का सबसे ताकतवर ब्राण्ड है। गूगल विश्वभर में फैले अपने डाटा-केन्द्रों से दस लाख से ज्यादा सर्वर चलाता है और दस अरब से ज्यादा खोज-अनुरोध तथा चौबीस पेटाबाईट उपभोक्ता-सम्बन्धी जानकारी संसाधित करता है।
गूगल ऑनलाइन उत्पादक सॉफ्टवेयर, जैसे कि जीमेल ईमेल सेवा और सामाजिक नेटवर्क साधन, ऑर्कुट और हाल ही का, गूगल बज़ प्रदान करती है। गूगल डेस्कटॉप कम्प्युटर के उत्पादक सोफ़्ट्वेयर का भी उत्पादन करती है।
वेबसाइट रेंटिंग फर्म एलेक्सा के मुताबिक गूगल इंटरनेट की सबसे ज्यादा दर्शित वेबसाइट है। इसके अलावा गूगल की अन्य वेबसाइटें शीर्ष की सौ वेबासाइटों में आती हैं।
भारत में लोगों को सबसे ज़्यादा भरोसा इंटरनेट कंपनी गूगल पर है। ऐसा हम नहीं बल्कि वैश्विक कम्युनिकेशन एजेंसी कॉन एंड वुल्फ के द्वारा कराए गए एक सर्वे में यह बात सामने आई है। लेकिन दुनिया आज जिस गूगल की सफलताओं के कोरस सुना रही है, उसका ऐतिहासिक सफर कोई छुई-मुई जैसा नहीं रहा है। गूगल एक अमेरीकी बहुराष्ट्रीय सार्वजनिक कम्पनी है, जिसने इंटरनेट सर्च, क्लाउड कम्प्यूटिंग और विज्ञापन तंत्र में पूंजी लगायी है। यह इंटरनेट पर आधारित कई सेवाएं और उत्पाद बनाती तथा विकसित करती है और यह मुनाफा मुख्यतया अपने विज्ञापन कार्यक्रम ऐडवर्ड्स से कमाती है। गूगल की शुरुआत 1996 में एक रिसर्च परियोजना के दौरान लैरी पेज तथा सर्गेई ब्रिन ने की। उस वक्त लैरी और सर्गी स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय, कैलिफ़ोर्निया में पीएचडी के छात्र थे।
उस समय पारम्परिक सर्च इंजन सुझाव की वरीयता वेब-पेज पर सर्च-टर्म की गणना से तय करते थे, जब कि लैरी और सर्गेई के अनुसार एक अच्छा सर्च सिस्टम वह होता, जो वेबपेजों के ताल्लुक का विश्लेषण करे। इस नये तकनीक को उन्होंने पेजरैंक का नाम दिया। वर्ष 1996 में आईडीडी इन्फ़ोर्मेशन सर्विसेस के रॉबिन ली ने 'रैंकडेक्स' नामक एक छोटा सर्च इंजन बनाया था, जो इसी तकनीक पर काम कर रहा था। रैंकडेक्स की तकनीक को ली ने पेटेंट करवा लिया और बाद में इसी तकनीक पर उन्होंने बायडु नामक कम्पनी की चीन में स्थापना की। पेज और ब्रिन ने शुरुआत में अपने सर्च इंजन का नाम 'बैकरब' रखा था, क्योंकि यह सर्च इंजन पिछली कड़ियां के आधार पर किसी साइट की वरीयता तय करता था।
अंततः पेज और ब्रिन ने अपने सर्च इंजन का नाम गूगल (Google) रखा। गूगल अंग्रेज़ी के शब्द “गूगोल” की गलत वर्तनी है, जिसका मतलब है, वह नंबर जिसमें एक के बाद सौ शून्य हों। अपने शुरुआती दिनों में गूगल स्टैनफौर्ड विश्वविद्यालय की वेबसाइट के अधीन डोमेन से चला। अगस्त 1998 में गूगल को एक लाख़ डॉलर की वित्तीय सहायता मिली। अगले वर्ष कंपनी को ही बेच देने की योजना बनने लगी। एक्साइट कम्पनी के सीईओ जॉर्ज बेल को दस लाख में बेचने का प्रस्ताव ठुकरा दिया गया। बाद में पर्किन्स कौफील्ड एन्ड बायर्सकी तथा सीकोइया कैपीटल के तरफ से कम्पनी में 250 लाख़ डॉलर लगाने की घोषणा की गई।
आज गूगल विश्व का सबसे ताकतवर ब्राण्ड है। गूगल विश्वभर में फैले अपने डाटा-केन्द्रों से दस लाख से ज्यादा सर्वर चलाता है और दस अरब से ज्यादा खोज-अनुरोध तथा चौबीस पेटाबाईट उपभोक्ता-सम्बन्धी जानकारी संसाधित करता है। गूगल की सन्युक्ति के पश्चात इसका विकास काफी तेज़ी से हुआ है, जिसके कारण कम्पनी की मूलभूत सेवा वेब-सर्च-इंजन के अलावा, गूगल ने कई नये उत्पादों का उत्पादन, अधिग्रहण और भागीदारी की है।
कम्पनी ऑनलाइन उत्पादक सॉफ्टवेयर, जैसे कि जीमेल ईमेल सेवा और सामाजिक नेटवर्क साधन, ऑर्कुट और हाल ही का, गूगल बज़ प्रदान करती है। गूगल डेस्कटॉप कम्प्युटर के उत्पादक सोफ़्ट्वेयर का भी उत्पादन करती है, जैसे, वेब ब्राउज़र गूगल क्रोम, फोटो व्यवस्थापन और सम्पादन सॉफ्टवेयर पिकासा और शीघ्र संदेशन ऍप्लिकेशन गूगल टॉक। विशेषतः गूगल, नेक्सस वन तथा मोटोरोला ऍन्ड्रोइड जैसे फोनों में डाले जाने वाले ऑपरेटिंग सिस्टम एन्ड्रॉयड, साथ-ही-साथ गूगल क्रोम ओएस, जो फिलहाल भारी विकास के अन्तर्गत है, पर सीआर-48 के मुख्य ऑपरेटिंग सिस्टम के रूप में प्रसिद्ध है, के विकास में अग्रणी है।
वेबसाइट रेंटिंग फर्म एलेक्सा के मुताबिक गूगल इंटरनेट की सबसे ज्यादा दर्शित वेबसाइट है। इसके अलावा गूगल की अन्य वेबसाइटें शीर्ष की सौ वेबासाइटों में आती हैं। यही स्थिति गूगल की साइट यूट्यूब और ब्लॉगर की है। एक सर्वे में बताया गया है कि भारतीय उपभोक्ताओं के बीच गूगल सबसे भरोसेमंद ब्रांड बन चुका है। हालांकि अमेजन.कॉम को पहला स्थान मिला है। भारत में गूगल के बाद माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन.कॉम, मारुति सुजुकी और एपल भरोसेमेंद कंपनियां मानी गई हैं। आज गूगल कंपनी 19 साल की हो चुकी है। ग्लोबल कम्युनिकेशन एजेंसी कोहेन एंड वुल्फ के सीईओ डोना इम्पर्टो के मुताबिक, आज का उपभोक्ता ऐसी कंपनियों से नाता जोड़ता हैं जो उनके साथ ईमानदारी से जुड़ी रहती हैं। इससे जबरदस्त परिणाम मिलते हैं।
वैश्विक सूची में एपल ने अमेजन के बाद दूसरा स्थान हासिल किया है। सर्वे में माइक्रोसॉफ्ट, गूगल और पे-पाल तीसरे, चौथे और पांचवें नंबर पर घोषित हुई हैं। ये सभी टेक्नोलॉजी ब्रांड हैं और इन्होंने अपनी विश्वसनीयता भरे कदमों से उपभोक्ताओं के बीच जगह बनाई है। सर्वे के मुताबिक, 67 फीसदी भारतीय उपभोक्ता ऐसे ब्रांड का उत्पाद खरीदते हैं जो भरोसेमंद हो। कोहेन एंड वुल्फ के एशिया पैसिफिक प्रेसीडेंट मैट स्टैफोर्ड के मुताबिक, जो ब्रांड प्रमाणिकता के साथ अपने उपभोक्ताओं के साथ बर्ताव और संवाद करेगा, वही उतना ही सफल रहेगा।
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