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हिंदी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने से क्यों बच रहे हैं छात्र?

पिछले साल अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) ने कहा था कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई अब हिंदी सहित सभी दूसरी भारतीय भाषाओं में भी होगी. इसके बाद पिछले साल (शैक्षणिक सत्र 2021-22) ही मध्य प्रदेश ने सबसे पहले अपने राज्य में इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी में शुरू करने की घोषणा की थी.

हिंदी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने से क्यों बच रहे हैं छात्र?

Sunday November 13, 2022 , 4 min Read

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (National Education Policy 2020) के तहत सरकार ने देशभर में मातृभाषाओं में मेडिकल और इंजीनियरिंग जैसे कोर्सों की पढ़ाई की शुरुआत कर दी है. हालांकि, स्टूडेंट्स अभी मातृभाषाओं में पढ़ाई के लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं.

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश में हिंदी भाषा में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए रिजर्व रखी गई 90 फीसदी सीटें खाली रह गई हैं. दरअसल, राज्य के 3 कॉलेजों में बीटेक और कम्प्यूटर साइंस की पढ़ाई हिंदी में शुरू है. इन कॉलेजों में हिंदी में 200 से अधिक सीटें होने के बाद भी केवल 20 छात्रों ने एडमिशन लिया है.

पिछले साल 10 छात्रों ने लिया था एडमिशन..

पिछले साल अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) ने कहा था कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई अब हिंदी सहित सभी दूसरी भारतीय भाषाओं में भी होगी. इसके बाद पिछले साल (शैक्षणिक सत्र 2021-22) ही मध्य प्रदेश ने सबसे पहले अपने राज्य में इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी में शुरू करने की घोषणा की थी. तब उस साल 10 से कम छात्रों ने हिंदी में पढ़ाई का ऑप्शन चुना था.

3 कॉलेजों में ही शुरू हो पाई हिंदी में पढ़ाई

इस साल नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने से पहले राज्य सरकार ने 6 जून 2022 को प्रदेश के 6 इंजीनियरिंग कॉलेजों की अलग-अलग ब्रांच में हिंदी में पढ़ाने का आदेश जारी किया था. इनमें एडमिशन के लिए तकनीकी शिक्षा विभाग के ऑनलाइन काउंसिलिंग के दौरान सिर्फ 3 इंस्टीट्यूट की ब्रांच में ही हिंदी (भारतीय/क्षेत्रीय भाषा) में पढ़ाई कराने का ऑप्शन दिया गया है.

जिन तीन इंस्टीट्यूट में हिंदी में पढ़ाई की शुरुआत हुई है, वे तीनों इंस्टीट्यूट इंदौर के हैं. इसमें से 2 इंस्टीट्यूट में 20 स्टूडेंट्स ने एडमिशन लिया है, जबकि एक में कोई एडमिशन नहीं हुआ है. इन 20 में से 19 छात्रों ने कम्प्यूटर साइंस व एक छात्र ने बायो मेडिकल इंजीनियरिंग सब्जेक्ट में हिंदी में पढ़ाई के लिए चुना है.

वहीं, एकमात्र बायो मेडिकल इंजीनियरिंग वाले छात्र ने भी अब अंग्रेजी माध्यम से लिए आवेदन कर दिया है. छात्र का कहना है कि उसके समझ में कुछ नहीं आ रहा है. अंग्रेजी के सामान्य शब्दों को बेहद कठिन हिंदी में दिया गया है. इसे लेकर मुझे अपने भविष्य की चिंता सता रही है कि आगे मुझे इस डिग्री के साथ जॉब मिलेगा या नहीं.

AICTE ने इंजीनियरिंग की बुक्स हिंदी में तैयार करने की जिम्मेदारी भोपाल के राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) को दी है. फर्स्ट ईयर के लिए 20 इंजीनियरिंग किताबों का हिंदी में अनुवाद किया गया है, जिसमें ग्रेजुएट क्लासेज के लिए 9 और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के लिए 11 शामिल हैं.

तकनीकी शब्दों के अनुवाद की गलती

एक्सपर्ट कहते हैं कि अंग्रेजी इंजीनियरिंग की किताबों का हिंदी में अनुवाद करते समय सबसे बड़ी गलती की है कि तकनीकी शब्दों का भी अनुवाद किया है, जो छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए परेशानी पैदा कर रहा है. क्लॉकवाइज शब्द का ट्रांसलेशन दक्षिणावर्त, ओवरलैपिंग का अतिव्यापी, शीट का परिवर्धन, प्लान का अनुविक्षेप और बेस का आधार किया गया है.

11 स्थानीय भाषाओं में पढ़ाई की योजना

पिछले साल इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी में शुरू करने की घोषणा के दौरान AICTE के चेयरमैन प्रोफेसर अनिल सहस्रबुद्धे ने कहा था कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों को आगे बढ़ाते हुए यह पहल की गई है. अभी तो सिर्फ हिंदी सहित आठ स्थानीय भारतीय भाषाओं में पढ़ाने की अनुमति दी गई है. आने वाले दिनों में 11 स्थानीय भाषाओं में भी इंजीनियरिंग कोर्स की पढ़ाई करने की सुविधा रहेगी.

प्रोफेसर सहस्रबुद्धे के मुताबिक अब तक 14 इंजीनियरिंग कालेजों ने ही हिंदी सहित पांच स्थानीय भाषाओं में पढ़ाने की अनुमति मांगी है, जहां हम इसे शुरू करने जा रहे है. पाठ्यक्रमों को इन सभी भाषाओं में तैयार करने का काम शुरू कर दिया है. सबसे पहले फ‌र्स्ट ईयर का कोर्स तैयार किया जाएगा.


Edited by Vishal Jaiswal