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कामयाब होने के लिए कॉलेज ड्रॉपआउट होना जरुरी है, इसीलिए मैंने दो बार कॉलेज बीच में छोड़ दिया- हसीब खान

6th क्लास से शुरू हुआ ये सफ़र धीरे-धीरे बढ़ता गया और आज लोग हसीब खान को बेहद पसंद करते हैं. हसीब रिलेशनशिप को लेकर ढेरों किस्से सुनाते हैं

कामयाब होने के लिए कॉलेज ड्रॉपआउट होना जरुरी है, इसीलिए मैंने दो बार कॉलेज बीच में छोड़ दिया- हसीब खान

Sunday December 25, 2022 , 3 min Read

अपनी बात को कहने के बहुत से तरीके है. कोई इसके लिए किसी ब्लॉग (Blog) या वेबसाइट (Website) का इस्तेमाल करता है तो कोई किसी अखबार के कॉलम (Newspaper Column) का. मगर आज की तारीख़ में सबसे आसान और किफ़ायती तरीका है सोशल मीडिया (Social Media) का. हर कोई इसे अपनी सहुलियत के हिसाब से इसका इस्तेमाल करता है. कोई सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखकर अपनी बात कहता है तो कोई विडियो बनाकर. कोई पोएट्री (Poetry) करता है तो कोई कॉमेडी (Comedy), कोई गाना (Songs) गाता है तो एजुकेशनल वीडियो (Educational Content) बनाता है. सोशल मीडिया पर कंटेंट बनाने के लिए किसी डिग्री की जरुरत नहीं, किसी ऐज के पयमाना को फॉलो करने की कोई ज़रूरत नही. किसी भी उम्र का, किसी भी मिजाज़ का व्यक्ति सोशल मीडिया पर कंटेंट बना सकता है.

सोशल मीडिया ने बहुत से नए लोगों को स्टार बनाया है, जो इससे अच्छे पैसे भी कमा रहे हैं. इन लोगों को सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर (Social Media Influencer) कहते हैं. इन्हीं स्टार्स में कुछ ऐसे है जो अपनी ऑडियंस को खूब 

हसाते हैं. उनके सारे गम भुलाकर उन्हें अपने किस्सों की दुनिया का सफ़र करवाते हैं. जानकारों ने इन्हें स्टैंडअप कॉमेडियन (Standup Comedy) का नाम दिया है. 

ग्लूकोस बिस्किट के पैकेट में पहले 18 बिस्किट आते थे, तब परिवार के 9 लोगों में 2-2 बट जाते थे. मगर समय के साथ-साथ बिस्किट कम होकर एक पैकेट में 16 आने लगे जिसके बाद हमने अपनी बहन की शादी करदी. मगर कुछ सालों बाद पैकेट में 16 की जगह 14 आने लगे तब हमने अपने भाई को दुबई नौकरी के लिए भेज दिया. और अब तो पैकेट में महज 12 बिस्किट ही आते हैं, अब हम दादी की दवा छिपा देते हैं. ये किस्सा स्टैंडअप के दौरान कॉमेडियन हसीब खान सुनाते हैं, जिसके बाद ऑडियंस झूमकर हस्ती है. पूरा हॉल हसी और ठहाकों से झूमने लगता है. किस्सों को कहने का हर कॉमेडियन का अपना स्टाइल होता है. सब अपने नज़रिए से दुनियां को देखते हैं और उसे अपने अंदाज़ से बयां करते हैं. हसीब खान कहते हैं मैंने सुना था कामयाब होने के लिए कॉलेज ड्रॉपआउट होना जरुरी है, इसीलिए मैंने दो बार कॉलेज बीच में छोड़ दिया. इस बात पर काफ़ी देर तक लोग पेट पकड़कर हस्ते रहें.

6th क्लास से शुरू हुआ ये सफ़र धीरे-धीरे बढ़ता गया और आज लोग हसीब खान को बेहद पसंद करते हैं. हसीब रिलेशनशिप को लेकर ढेरों किस्से सुनाते हैं और अपनी ऑडियंस पर अपनी अलग चाप छोड़ जाते हैं. हसीब कहते किसी को भी किस्से को सुनाने के लिए उसे अपना टच देना बेहद जरुरी है. 

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