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अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव लड़ेगी यह हिंदू महिला

 अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव लड़ेगी यह हिंदू महिला

Tuesday February 05, 2019 , 4 min Read

तुलसी गबार्ड


दो महिलाएं कैलिफॉर्निया से डेमोक्रेट सीनेटर कमला हैरिस और हवाई द्वीप समूह से तुलसी गाबार्ड वर्ष 2020 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वियों को ललकारने जा रही हैं। खास बात यह है कि तुलसी हिंदू महिला हैं तो कमला का ताल्लुक भारत से है। उन्होंने अपने नामों की अधिकृत उम्मीदवारी की घोषणाएं भी कर दी हैं।


तुलसी गाबार्ड सिर्फ नाम से हिंदुस्तानी लगती हैं, लेकिन उनका भारत से कोई नाता नहीं है। हां, इतना जरूर है कि एक तो वह हिंदू धर्म की प्रबल समर्थक हैं, साथ ही अमेरिका और भारत के करीबी रिश्तों की वह पैरवी करती रहती हैं। उन्हें कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी नीतियों की तारीफ करते भी देखा गया है। अगले साल अमेरिकी चुनावों में कदम रखने जा रहीं तुलसी राष्ट्रपति पद के लिए खड़ी होने वाली पहली हिंदू उम्मीदवार हैं। अमेरिकी संविधान के अनुसार राष्ट्रपति पद के लिए वही अधिकृत प्रत्याशी बन सकता है, जो जन्म से अमेरिकी नागरिक हो। इसके अलावा एक प्रत्याशी के लिए 35 वर्ष की न्यूनतम आयु और कम से कम 14 वर्ष तक अमेरिका का स्थायी निवासी होना अनिवार्य है। शुक्रवार को तुलसी ने कहा कि वह अगले सप्ताह राष्ट्रपति चुनाव के लिए विधिवत घोषणा कर देंगी।


तुलसी हवाई द्वीप समूह के नंबर-2 जिले से राष्ट्रीय प्रतिनिधि सभा के लिए निर्वाचित हुई थीं। तुलसी की तस्वीरों में अकसर उनके गले में फूलों की माला दिखती है। कई लोगों को लगता है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि वे हिंदू हैं, जबकि सच्चाई यह है कि तुलसी अमेरिका के हवाई से नाता रखती हैं, जहां फूलों की माला की परंपरा है। वह हिंदू हैं। पिता माइक गाबार्ड अमेरिकी समोआ से नाता रखते हैं, जो कि प्रशांत महासागर में स्थित एक छोटा सा द्वीप है। मां यूरोपीय मूल की हैं लेकिन हिंदू धर्म का पालन करती हैं। ऐसा नहीं है कि जन्म के साथ ही मां ने तुलसी के लिए हिंदू धर्म चुन लिया था। 


तुलसी के पास बड़े हो कर खुद अपना धर्म चुनने का विकल्प था। वह स्कूल में थीं, जब उन्होंने हिंदू धर्म अपनाया। तुलसी फेडरल नियमों के अनुसार अमेरिकी नागरिक हैं। तुलसी के जन्म को लेकर विवाद खड़े होने की स्थिति में यह कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने अमेरिकी नागरिकता के लिए कभी भी प्राकृतिक जन्म से नागरिकता की व्याख्या नहीं की है। इस तरह के मामले हमेशा विवाद के कारण बनते रहे हैं। बराक ओबामा के खिलाफ राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़े रिपब्लिकन प्रत्याशी जॉन मेकें का जन्म पनामा कनाल क्षेत्र में हुआ था, जबकि उनके पिता अमेरिकी नौसेना में वहां तैनात थे। इसी तरह पिछले चुनाव में रिपब्लिकन प्रत्याशी टेड क्रूज भी कनाडा में पैदा हुए थे। जान मेकें के जन्म के मुद्दे को अदालत में चुनौती दी गई थी।


तुलसी के लिए राजनीति कोई नई जगह नहीं है। 2006 से उनके पिता हवाई की सीनेट के सदस्य हैं। राजनीति में शुरुआत उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी से की लेकिन एक साल बाद ही डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़ गए। तुलसी भी इसी पार्टी से जुड़ी हैं। 1996 में माइक और तुलसी गाबार्ड ने मिल कर हेल्दी हवाई कोएलिशन की शुरुआत की। यह एक गैर सरकारी संस्था है, जिसका मकसद हवाई के पर्यावरण की रक्षा करना है। जिस समय इसकी शुरुआत हुई, तुलसी स्कूल में पढ़ती थीं। 2002 में तुलसी हवाई विधानसभा में चुनी जाने वाली सबसे युवा सदस्य बनीं। उस वक्त उनकी उम्र 21 साल थी। 


तुलसी का जन्म अमेरिकी के समोआ में ही हुआ था लेकिन जब वह दो साल की थीं, परिवार हवाई आ कर बस गया था। 2012 में तुलसी अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में पहुंचने वाली पहली हिंदू महिला बनीं। इससे पहले वह करीब एक दशक तक अमेरिकी सेना में काम कर चुकी थीं। निचले सदन में तुलसी के अलावा सैन्य पृष्ठभूमि से केवल एक और महिला पहुंचीं थी। 


भारतीय मूल की कैलीफोर्निया से डेमोक्रेट सिनेटर कमला हैरिस ने भी राष्ट्रपति चुनाव-2020 के लिए अपनी अधिकृत उम्मीदवारी की घोषणा कर दी है। सैन फ्रांसिस्को की निर्भीक अधिवक्ता ने मार्टिन लूथर किंग जूनियर के जन्मदिन पर 'गुड मार्निंग अमेरिका' कार्यक्रम पर अपनी अधिकृत उम्मीदवारी की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा था कि वह लोगों के लिए चुनाव लड़ रही हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी से उम्मीदवारी के लिए कमला हेरिस चौथी महिला दावेदार हैं। कमला हैरिस दूसरी अश्वेत महिला हैं, जिन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव में भाग लेने का दावा किया है। 


इससे 47 साल पहले अफ्रीकी अमेरिकी शिरले क्रिशोम डेमोक्रेटिक उम्मीदवार के रूप में राष्ट्रपति चुनाव के लिए मैदान में उतरी थीं। कमला हैरिस जैमेका से हैं। उन्होंने पिछले दिनो उम्मीदवारी की घोषणा के बाद हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया, जो अश्वेत बहुल है। वह कहती हैं कि वह जनता की पीड़ा समझती हैं और जनता के लिए ही चुनाव मैदान में उतर रही हैं। 


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