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APJ Abdul Kalam birth anniversary: डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से मैंने क्या सीखा…

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, जिन्हें लोग ‘मिसाइल मैन’ और ‘जनता के राष्ट्रपति’ के नाम से भी जानते हैं, ने अपने जीवन के हर पहलू से हमें कई महत्वपूर्ण सीखें दी हैं. आज उनकी जयंती के अवसर पर, मैं उन अमूल्य सीखों के बारे में आपको बताने जा रहा हूं जो मैंने उनके जीवन से सीखी हैं.

15 अक्टूबर का दिन भारतीय इतिहास में बेहद खास मायने रखता है, क्योंकि इसी दिन भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (Dr. A.P.J. Abdul Kalam) का जन्म हुआ था. सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम ने न केवल भारत को विज्ञान और टेक्नोलॉजी के सेक्टर में ऊंचाइयों तक पहुंचाया, बल्कि लाखों युवाओं को उनके सपने देखने और उन्हें पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करने की प्रेरणा भी दी. डॉ. कलाम, जिन्हें लोग ‘मिसाइल मैन’ और ‘जनता के राष्ट्रपति’ के नाम से भी जानते हैं, ने अपने जीवन के हर पहलू से हमें कई महत्वपूर्ण सीखें दी हैं.

आज उनकी जयंती के अवसर पर, मैं उन अमूल्य सीखों के बारे में आपको बताने जा रहा हूं जो मैंने उनके जीवन से सीखी हैं.

सपने देखो और उन्हें साकार करो

डॉ. कलाम हमेशा युवाओं को सपने देखने की प्रेरणा देते थे. वे कहा करते थे, “सपने वो नहीं होते जो आप सोते समय देखते हैं, सपने वो होते हैं जो आपको सोने न दें.” उनके अनुसार, जीवन में अगर आप किसी बड़े लक्ष्य को पाना चाहते हैं तो आपको अपनी नींद, आराम और असुविधाओं को छोड़कर उसे हासिल करने के लिए लगातार मेहनत करनी होगी. उनका ख़ुद का जीवन ही इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण है. उन्होंने बेहद साधारण परिस्थितियों में जन्म लिया, लेकिन अपनी मेहनत, अनुशासन और समर्पण से भारतीय अंतरिक्ष और रक्षा अनुसंधान के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए.

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डॉ. कलाम हमेशा युवाओं को सपने देखने की प्रेरणा देते थे.

सफलता के लिए धैर्य और लगन ज़रूरी है

डॉ. कलाम का जीवन कई चुनौतियों और असफलताओं से भरा रहा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी. भारत के मिसाइल प्रोग्राम को सफल बनाने में उनके धैर्य और निरंतर प्रयासों का बड़ा योगदान था. उनकी सीख यह है कि असफलताएं हमें और भी मजबूत बनाती हैं. जब भी जीवन में असफलता मिले, उसे अपने ऊपर हावी न होने दें. धैर्यपूर्वक और लगन से प्रयास करते रहें, सफलता अवश्य मिलेगी.

समर्पण और राष्ट्रप्रेम

डॉ. कलाम का जीवन राष्ट्र के प्रति समर्पण की मिसाल है. वे हमेशा देश के विकास के लिए समर्पित रहे. चाहे वह उनके वैज्ञानिक जीवन का समय हो, या फिर राष्ट्रपति के रूप में सेवा करने का, उनका उद्देश्य हमेशा यही रहा कि भारत को एक शक्तिशाली और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाया जाए. उनके द्वारा शुरू किए गए कई कार्यक्रमों और प्रोजेक्ट्स ने भारत को वैश्विक मंच पर एक सशक्त राष्ट्र के रूप में स्थापित किया. उन्होंने हमें सिखाया कि अगर आप अपने देश के लिए समर्पित हैं, तो व्यक्तिगत सीमाएं कोई मायने नहीं रखतीं.

ज्ञान और सादगी का अनोखा संगम

डॉ. कलाम जितने बड़े वैज्ञानिक थे, उतने ही सादगीपूर्ण भी थे. वे कभी भी अपने पद या ज्ञान का दिखावा नहीं करते थे. उन्होंने हमें यह सिखाया कि सच्चा ज्ञान वही है, जो आपको विनम्र बनाए. अपनी शानदार उपलब्धियों के बावजूद, वे हमेशा सरल और सहज रहते थे. उनकी वाणी में विनम्रता और कर्मों में सादगी झलकती थी. यह बात हमें यह सीखने की प्रेरणा देती है कि चाहे हम कितने भी बड़े मुकाम पर क्यों न पहुंच जाएं, हमें हमेशा अपनी जड़ों से जुड़े रहना चाहिए और दूसरों का सम्मान करना चाहिए.

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डॉ. कलाम जितने बड़े वैज्ञानिक थे, उतने ही सादगीपूर्ण भी थे.

शिक्षा का महत्व

डॉ. कलाम का मानना था कि शिक्षा ही किसी व्यक्ति के जीवन को बेहतर बना सकती है. उन्होंने हमेशा बच्चों और युवाओं को बेहतर शिक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया. उनका यह संदेश आज भी प्रासंगिक है, जब हम देख रहे हैं कि शिक्षा ही किसी भी समाज और राष्ट्र के विकास का प्रमुख आधार है. उन्होंने हमें सिखाया कि शिक्षा केवल डिग्री प्राप्त करने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह हमारे विचारों, व्यक्तित्व और समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारियों को समझने का साधन है.

समाज को लौटाने की भावना

डॉ. कलाम हमेशा यह मानते थे कि जो ज्ञान, अनुभव और संसाधन हमें समाज से मिले हैं, उन्हें हमें समाज के उत्थान के लिए वापस लौटाना चाहिए. उन्होंने राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद भी युवाओं के साथ समय बिताना जारी रखा, उन्हें प्रेरित किया और समाज के प्रति उनके दायित्वों की ओर उनका ध्यान आकर्षित किया. वे एक सच्चे शिक्षक थे, जिन्होंने कभी भी अपनी जिम्मेदारियों से मुंह नहीं मोड़ा. उनका जीवन हमें सिखाता है कि हमें समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझना और निभाना चाहिए.

विज्ञान और आध्यात्म का समन्वय

डॉ. कलाम ने विज्ञान में अपार सफलताएं प्राप्त कीं, लेकिन वे आध्यात्मिकता के महत्व को भी भली-भांति समझते थे. उनके जीवन में विज्ञान और आध्यात्म का अनोखा समन्वय देखने को मिलता है. वे हमेशा कहते थे कि विज्ञान और आध्यात्म दो अलग-अलग रास्ते नहीं हैं, बल्कि ये दोनों मिलकर हमें सत्य की ओर ले जाते हैं. उन्होंने हमें यह सिखाया कि चाहे हम विज्ञान में कितनी भी गहराई में क्यों न उतरें, हमें अपने अंदर की आध्यात्मिकता को कभी खोने नहीं देना चाहिए.

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डॉ. कलाम ने विज्ञान में अपार सफलताएं प्राप्त कीं, लेकिन वे आध्यात्मिकता के महत्व को भी भली-भांति समझते थे.

निष्कर्ष

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन एक खुली किताब की तरह है, जिसमें हर एक पन्ने पर हमें कुछ नया सीखने को मिलता है. उनके विचार, उनके कार्य, और उनकी साधारणता हमें यह सिखाती है कि जीवन में बड़े सपने देखना और उन्हें पूरा करने के लिए समर्पण और अनुशासन से कार्य करना ही सफलता की कुंजी है. उनके विचार आज भी हमें जीवन में बेहतर करने की प्रेरणा देते हैं. 15 अक्टूबर का यह दिन हमें उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारने का अवसर देता है.

डॉ. कलाम ने जो सिखाया, वह सिर्फ वैज्ञानिक अनुसंधान या तकनीकी विकास तक सीमित नहीं था, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाने का रास्ता था. उनकी सादगी, विनम्रता, मेहनत और अनुशासन से भरा जीवन हमें बताता है कि असली सफलता न केवल लक्ष्य तक पहुंचने में है, बल्कि उस सफर को गरिमापूर्ण और प्रभावशाली तरीके से तय करने में भी है.

डॉ. कलाम का जीवन हम सभी के लिए एक मार्गदर्शक की तरह है. उन्होंने हमें यह सिखाया कि कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है, अगर आप पूरी ईमानदारी, मेहनत और समर्पण से उसे पाने के लिए तत्पर हों. उनका जीवन संदेश है – “जीवन में कुछ भी हासिल किया जा सकता है, अगर आप सही दिशा में निरंतर प्रयास करें.”

आज, उनकी जयंती पर, हम सभी को उनके दिखाए रास्ते पर चलने और उनके विचारों को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लेना चाहिए. उनकी शिक्षाएं हमारे लिए न केवल प्रेरणा का स्रोत हैं, बल्कि एक बेहतर इंसान बनने की दिशा में हमारा मार्गदर्शन करती हैं.

उनके शब्दों में: “आकाश की ओर देखो, हम अकेले नहीं हैं. पूरा ब्रह्मांड हमारे लिए दोस्त है और जो सपने देखते हैं, वे सच्चाई में बदलने के लिए काम करते हैं.”

डॉ. कलाम के इस महान विचार से प्रेरित होकर, हमें भी अपने सपनों को साकार करने की दिशा में निरंतर प्रयास करना चाहिए.

अंत में, डॉ. कलाम के शब्दों में कहें तो, “अगर आप सूर्य की तरह चमकना चाहते हैं, तो पहले सूर्य की तरह जलना सीखें.” उनके इस विचार को अपनाकर हम अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं और समाज के उत्थान में अपना योगदान दे सकते हैं.

(feature image: AI generated)

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