ये हैं फार्मा सेक्टर में स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने वाली सरकारी योजनाएं
DPIIT ने साल 2021 में फार्मास्यूटिकल सेक्टर में 283 स्टार्टअप रजिस्टर किए. साल 2022 में 451 और साल 2023 में 663 स्टार्टअप रजिस्टर किए.
भारत सरकार ने फार्मास्युटिकल सेक्टर सहित विभिन्न क्षेत्रों में स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं. स्टार्टअप इंडिया पहल, 16 जनवरी, 2016 को शुरू की गई, जिसका उद्देश्य फार्मास्युटिकल सेक्टर सहित विभिन्न उद्योगों में नवाचार को बढ़ावा देना और निवेश को प्रोत्साहित करना है. इस पहल में तीन प्रमुख योजनाएं शामिल हैं, अर्थात, स्टार्टअप के लिए फंड ऑफ फंड्स (FFS); स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (SISFS); और स्टार्टअप के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम (CGSS).
जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC) बायोटैक्नोलॉजी इग्निशन ग्रांट (BIG), सस्टेनेबल आंत्रप्रेन्योरशिप एंड एंटरप्राइज डेवलपमेंट (SEED) और लॉन्चिंग आंत्रप्रेन्योरियल ड्रिविन अफोर्डेबल प्रोडक्ट्स (LEAP) योजनाओं को शुरू करने जैसी पहलों के माध्यम से फंडिंग सहायता प्रदान करता है. फंडिंग प्रत्येक स्टार्टअप के लिए 30 लाख रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये तक है, जिससे उन्हें अपने विचारों को परिष्कृत करने, अवधारणाओं के प्रमाण स्थापित करने, पायलट बनाने और अपने प्रोडक्ट्स और टेक्नोलॉजी का व्यावसायीकरण करने में मदद मिलती है. BIRAC i4 कार्यक्रम और PACE कार्यक्रम के माध्यम से जैव प्रौद्योगिकी में नवाचार और अनुसंधान को भी बढ़ावा देता है.
उल्लेखनीय है कि औषध विभाग ने फार्मा-मेडटेक सेक्टर में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक योजना (PRIP) शुरू की है. PRIP योजना के घटक बी-III के तहत, चिह्नित छह प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में 125 शोध परियोजनाओं में से 50 फार्मास्यूटिकल्स सेक्टर के स्टार्टअप के लिए हैं.
30 जून, 2024 तक, उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) ने कुल 1,40,803 संस्थाओं को स्टार्टअप के रूप में मान्यता दी है, जिनमें से 2,127 फार्मास्यूटिकल सेक्टर से हैं. पिछले तीन वर्षों के दौरान, फार्मास्यूटिकल सेक्टर में 1397 DPIIT-मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप स्थापित किए गए हैं.
DPIIT ने साल 2021 में फार्मास्यूटिकल सेक्टर में 283 स्टार्टअप रजिस्टर किए. साल 2022 में 451 और साल 2023 में 663 स्टार्टअप रजिस्टर किए.
स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत, सरकार प्रमुख योजनाओं को लागू कर रही है, जैसे कि स्टार्टअप्स के लिए फंड ऑफ फंड्स (FFS); स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (SISFS); और, स्टार्टअप्स के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम (CGSS). इन योजनाओं के तहत सभी क्षेत्रों और उद्योगों के स्टार्टअप्स को उनके व्यापार चक्र के विभिन्न चरणों में सहायता प्रदान की जाती है. SISFS इनक्यूबेटरों के माध्यम से सीड-स्टेज स्टार्टअप्स को वित्तीय सहायता प्रदान करता है. यह योजना वित्त वर्ष 2021-22 में 4 साल की अवधि के लिए 945 करोड़ रुपये के कोष के साथ शुरू की गई थी. 30 जून 2024 तक, SISFS के तहत 205 इनक्यूबेटरों के लिए 862.84 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं.
उद्यम पूंजी निवेश को उत्प्रेरित करने के लिए FFS की स्थापना की गई है और इसका संचालन भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) द्वारा किया जाता है. 30 जून, 2024 तक, FFS के तहत, 138 AIF को 10,804.7 करोड़ रुपये की प्रतिबद्धता जताई गई है. CGSS को पात्र वित्तीय संस्थानों (सदस्य संस्थान) के माध्यम से DPIIT मान्यता प्राप्त स्टार्टअप को संपार्श्विक-मुक्त ऋण सक्षम करने के लिए लागू किया गया है. यह योजना राष्ट्रीय ऋण गारंटी ट्रस्टी कंपनी (NCGTC) लिमिटेड द्वारा संचालित है और एक अप्रैल, 2023 से पायलट आधार पर चालू हो गई है. 30 जून, 2024 तक, लाभार्थी स्टार्टअप को 426.09 करोड़ रुपये की राशि के 182 ऋण की गारंटी दी गई है.
ये पहलें भारत में एक मजबूत स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती हैं.
पिछले तीन वर्षों के दौरान उत्तर प्रदेश में फार्मा सेक्टर के तहत स्थापित नए उद्योगों की संख्या 214 है, जिनमें से 176 इकाइयां चिकित्सा उपकरणों में और 38 इकाइयां दवाओं और फॉर्मूलेशन में हैं.
यह जानकारी केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने मंगलवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में दी.