बच्चों के लिए गुब्बारे बनाने से लेकर भारत की सबसे बड़ी टायर मैन्युफैक्चरर बनने तक...कुछ ऐसी है MRF की कहानी
आज MRF टूव्हीलर, ट्रक, बस, कार, ट्रैक्टर, लाइट कमर्शियल व्हीकल्स, ऑफ द रोड टायर्स और एरोप्लेन टायर्स बनाती है.
का नाम तो आपने सुना ही होगा. भारतीय मल्टीनेशनल टायर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी, जो कभी मद्रास रबर फैक्ट्री (Madras Rubber Factory) के नाम से जानी जाती थी. यह कंपनी टायर, ट्रेड्स, ट्यूब्स, कन्वेयर बेल्ट्स, पेंट्स, खिलौने बनाने के साथ-साथ स्पोर्ट्स गुड्स और मोटर स्पोर्ट्स के कारोबार में भी है. कभी मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) इस कंपनी के ब्रांड एंबेस्डर थे और हर मैच में उनके पास MRF का बैट दिखता था. क्या आप जानते हैं कि इतने बड़े पैमाने पर कारोबार करने वाली इस कंपनी की शुरुआत कैसे हुई थी, कैसे कंपनी ने इतना बड़ा मुकाम हासिल किया...आइए बताते हैं...
1940 के दशक की है यह कंपनी
MRF की शुरुआत 1940 के दशक में 14000 रुपये की फंडिंग से रबर बैलून फैक्ट्री के तौर पर हुई थी. इस टॉय बैलून फैक्ट्री को केएम मैम्मेन मप्पिलाई (K. M. Mammen Mappillai) ने 1946 में मद्रास के तिरुवोत्तियुर में एक शेड में शुरू किया था. 1949 आते-आते कंपनी ने लेटेक्स कास्ट टॉयज, ग्लव्स और कॉन्ट्रासेप्टिव्स बनाना शुरू कर दिया था. कंपनी का पहला कार्यालय मद्रास की थांबू चेट्टी स्ट्रीट पर खोला गया.
1952 में इस फैक्ट्री में ट्रेड रबर की मैन्युफैक्चरिंग शुरू की गई. 4 साल के अंदर यानी 1956 आते-आते MRF 50% मार्केट शेयर के साथ भारत में ट्रेड रबर बाजार की लीडर बन चुकी थी. नवंबर 1960 में मद्रास रबर फैक्ट्री लिमिटेड नाम अस्तित्व में आया और1961 में यह एक पब्लिक कंपनी बन गई. साथ ही कंपनी ने अमेरिका की मैन्सफील्ड टायर एंड रबर कंपनी के साथ टेक्निकल कोलैबोरेशन भी स्थापित किया. 1964 में MRF ने बेरुत में अपना कार्यालय खोला, जो विदेश में टायर एक्सपोर्ट करने की दिशा में एक कदम था. इसी साल 'MRF मसलमैन' लॉन्च हुआ . 1967 में MRF अमेरिका में टायर एक्सपोर्ट करने वाली पहली भारतीय कंपनी बनी.
जब MRF सुपरलग- 78 टायर बना सबसे ज्यादा बिकने वाला ट्रक टायर
1973 में MRF ने नायलॉन पैसेंजर कार टायर्स को बनाना और बेचना शुरू किया. 1978 में कंपनी ने हैवी ड्यूटी ट्रकों के लिए MRF सुपरलग- 78 टायर बनाया, जो बाद के वर्षों में देश का सबसे ज्यादा बिकने वाला ट्रक टायर बन गया. 1979 में MRF में मैन्सफील्ड टायर एंड रबर कंपनी ने अपनी हिस्सेदारी बेच दी और फिर एक साल के अंदर कंपनी का नाम MRF हो गया.
MRF के इतिहास के कुछ अहम साल
1989: दुनिया की सबसे बड़ी खिलौना कंपनी हैसब्रो इंटरनेशनल यूएसए के साथ कोलैबोरेशन किया और फनस्कूल इंडिया को लॉन्च किया. इसी साल कंपनी ने पॉलीयूरेथेन पेंट फॉर्म्युलेशंस बनाने के लिए वैपोक्योर ऑस्ट्रेलिया के साथ कोलैबोरेशन किया. साथ ही MUSCLEFLEX Conveyor एंड Elevator Belting के लिए Pirelli के साथ हाथ मिलाया.
1993: केएम मैम्मेन मपिल्लई को पद्मश्री से सम्मानित किया गया. वह यह अवार्ड पाने वाले पहले साउथ इंडियन इंडस्ट्रियलिस्ट बने.
1997: कंपनी पहली बार एफ3 कार्स में उतरी. इसी साल देश में कंपनी का पहला टायर्स एंड सर्विस फ्रेंचाइजी स्टोर खुला.
2007: कंपनी ने 1 अरब डॉलर टर्नओवर के मार्क को पार किया। इसी साल कंपनी ने पहले इको फ्रेंडली टायर लॉन्च किए.
2013: MRF का एयरो मसल, सुखोई 30 एमकेआई फाइटर जेट के लिए चुना गया.
आज कितना बड़ा कारोबार
आज MRF का मार्केट कैप 33,707.40 करोड़ रुपये है. साल 2021 में कंपनी की बिक्री 15921.35 करोड़ रुपये की रही, वहीं टोटल इनकम 16128.58 करोड़ रुपये की रही. वित्त वर्ष 2021-22 में कंपनी का रेवेन्यु 18989.51 करोड़ रुपये रहा. MRF मारुति 800 के लिए भी टायर सप्लाई कर चुकी है. आज MRF टूव्हीलर, ट्रक, बस, कार, ट्रैक्टर, लाइट कमर्शियल व्हीकल्स, ऑफ द रोड टायर्स और एरोप्लेन टायर्स बनाती है. MRF के नाम कई अवार्ड भी हैं. कंपनी, MRF Pace Foundation और MRF Institute of Driver Development को भी चलाती है.