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रतन टाटा: भारतीय उद्योग जगत के महानायक, महान मानवतावादी और परोपकारी…

86 वर्षीय रतन टाटा के निधन की ख़बर देशभर में शोक की लहर लेकर आई है. उनका नाम भारतीय उद्योग के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा. रतन टाटा के निधन से भारतीय उद्योग जगत में एक युग का अंत हो गया है. उनके विचार, उनके आदर्श, और उनके द्वारा किए गए कार्य हमेशा भारतीय उद्योग, समाज में जिंदा रहेंगे.

भारतीय उद्योग जगत के आदर्श और टाटा समूह (Tata Group) के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा (Ratan Tata) का बुधवार देर रात को निधन हो गया. 86 वर्षीय रतन टाटा का निधन देशभर में शोक की लहर लेकर आया है. उनका नाम भारतीय उद्योग के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा. रतन टाटा ने न केवल टाटा समूह को वैश्विक पहचान दिलाई, बल्कि अपनी परोपकारी गतिविधियों से समाज की सेवा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया.

रतन टाटा के निधन से भारतीय उद्योग जगत में एक युग का अंत हो गया है. उनके विचार, उनके आदर्श, और उनके द्वारा किए गए कार्य हमेशा भारतीय उद्योग और समाज में जिंदा रहेंगे.

रतन टाटा भारत के सबसे प्रतिष्ठित उद्योगपतियों में से एक थे, जिन्हें न केवल उनके औद्योगिक योगदान के लिए जाना जाता है बल्कि उनकी दयालुता, मानवता और परोपकारी कार्यों के लिए भी पूरे देश में सम्मानित किया गया.

YourStory की फाउंडर और सीईओ श्रद्धा शर्मा के साथ बातचीत में रतन टाटा।  Read more at: https://yourstory.com/hindi/ratan-tata-advice-entrepreneurs-startups-covid19-innovation

YourStory की फाउंडर और सीईओ श्रद्धा शर्मा के साथ साल 2021 में हुई बातचीत के दौरान रतन टाटा

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

रतन नवल टाटा का जन्म 28 दिसंबर, 1937 को मुंबई में हुआ था. वह टाटा परिवार की तीसरी पीढ़ी से हैं. उनकी परवरिश उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने की थी. उनकी शिक्षा मुंबई के कैंपियन स्कूल और बाद में इंग्लैंड के हार्वे स्कूल से हुई. रतन टाटा ने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की और उसके बाद हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम पूरा किया. उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी अपनी अमिट छाप छोड़ी और हमेशा उच्च शिक्षा के महत्त्व को समझा और इसे बढ़ावा दिया.

दूरदर्शी उद्योगपति

रतन टाटा के नेतृत्व में, टाटा समूह न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपने व्यापार का विस्तार करने में सक्षम हुआ. 1991 में जब वह टाटा समूह के चेयरमैन बने, तब उन्होंने उद्योग में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए, जिनमें से कुछ ऐतिहासिक साबित हुए. उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने कई प्रमुख कंपनियों का अधिग्रहण किया, जैसे कि टाटा स्टील द्वारा कोरस, टाटा मोटर्स द्वारा जगुआर लैंड रोवर, और टाटा चाय द्वारा टेटली का अधिग्रहण. ये अधिग्रहण न केवल टाटा समूह के विस्तार का हिस्सा थे, बल्कि उन्होंने भारतीय उद्योग को वैश्विक मंच पर स्थापित किया.

रतन टाटा ने 2015 में YourStory में व्यक्तिगत निवेश किया. वह भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम के प्रमुख निवेशकों में से एक थे और उन्होंने Ola, Paytm, CarDekho, और Lenskart जैसी कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदी.

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टाटा नैनो – आम आदमी की कार

रतन टाटा की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है टाटा नैनो, जिसे "आम आदमी की कार" कहा जाता है. उन्होंने इस कार को केवल एक विचार से शुरू किया था – हर भारतीय परिवार को एक किफायती कार उपलब्ध कराना. 2008 में, उन्होंने दुनिया की सबसे सस्ती कार टाटा नैनो को बाजार में उतारा, जिसकी कीमत लगभग 1 लाख रुपये थी. यह परियोजना रतन टाटा की सोच और उनकी समाज के प्रति सेवा भावना को दर्शाती है.

Ratan Tata

मानवतावादी और परोपकारी कार्य

रतन टाटा को उनकी परोपकारी गतिविधियों के लिए विशेष रूप से जाना जाता था. टाटा ट्रस्ट्स के माध्यम से, उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, और ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया. वह न केवल देश के बड़े व्यापारिक घराने के मुखिया रहे, बल्कि उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि उनके द्वारा अर्जित संपत्ति का बड़ा हिस्सा समाज की सेवा में लगाया जाए.

शिक्षा में योगदान

रतन टाटा ने शिक्षा के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर योगदान दिया ह. उन्होंने भारत और विदेश में कई शिक्षण संस्थानों को आर्थिक सहायता प्रदान की है. टाटा स्कॉलरशिप के माध्यम से, भारतीय छात्रों को अमेरिका और यूरोप के प्रमुख विश्वविद्यालयों में पढ़ाई करने का अवसर मिलता है. उन्होंने अपने अल्मा मेटर कॉर्नेल युनिवर्सिटी और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल को भी बड़ा दान दिया है.

स्वास्थ्य और चिकित्सा में योगदान

रतन टाटा का मानना था कि स्वास्थ्य और चिकित्सा सेवाएं समाज के हर वर्ग तक पहुंचनी चाहिए. उनके नेतृत्व में, टाटा ट्रस्ट्स ने कैंसर रिसर्च और इलाज के लिए प्रमुख संस्थानों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल भारत में कैंसर के इलाज का एक प्रमुख केंद्र है और यह टाटा परिवार की दीर्घकालिक परोपकारी दृष्टि का प्रतीक है. इसके अलावा, उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान राहत कार्यों में भी बड़ा योगदान दिया. टाटा ट्रस्ट्स और टाटा समूह ने संयुक्त रूप से कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई के लिए हजारों करोड़ रुपये दान किए.

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सरल जीवनशैली और विनम्रता

रतन टाटा की सबसे अनोखी विशेषता उनकी विनम्रता है. वह एक बड़े उद्योगपति होने के बावजूद, अपनी सादगी और जमीन से जुड़े होने के लिए जाने जाते थे. वह बेहद शांत और सादगीपूर्ण जीवन जीते थे, जो उनकी परोपकारिता और मानवतावाद को और अधिक प्रभावी बनाता है.

पुरस्कार और सम्मान

रतन टाटा को उनके अद्वितीय योगदान के लिए कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया है. 2000 में, उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया, और 2008 में उन्हें पद्म विभूषण, भारत का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान, प्रदान किया गया. उनके नेतृत्व में, टाटा समूह ने न केवल व्यावसायिक सफलता हासिल की, बल्कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को भी पूरा किया. इसके अलावा, दुनिया भर के कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों और संगठनों ने उन्हें उनके नेतृत्व और परोपकार के लिए सराहा है.

रतन टाटा न केवल एक सफल उद्योगपति थे, बल्कि एक सच्चे मानवतावादी भी थे. उन्होंने भारतीय उद्योग को वैश्विक स्तर पर ले जाने का काम किया और साथ ही समाज के कमजोर वर्गों की मदद करने के लिए अपने संसाधनों का सही उपयोग किया. उनकी परोपकारी कार्यों की गूंज न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में सुनाई देती है.

रतन टाटा हमेशा हमारे समाज और उद्योग जगत के लिए एक आदर्श रहेंगे.

रतन टाटा के प्रति हमारा नमन और सम्मान, और हम उनके द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलते हुए समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझने और निभाने का प्रयास करेंगे. उनकी जीवन गाथा एक सच्ची श्रद्धांजलि है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी.

हम सब के चहेते रतन टाटा को योरस्टोरी की पूरी टीम की तरफ से भावपूर्ण श्रद्धांजलि...

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