Mindset: ग्रोथ माइंडसेट के फायदे से लेकर उसे अपनाने के तरीके बताती है ये किताब
माइंडसेटः दी न्यू साइकोलॉजी ऑफ सक्सेस को दुनिया की जानी मानी स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी साइकोलॉजिस्ट कैरोल एस ड्वेक ने लिखा है. यह किताब पहली बार 2006 में छपी थी. किताब लोगों के माइंडसेट के बारे में बात करती है. इस किताब की 20 लाख से ज्यादा कॉपी बिक चुकी हैं और 35 भाषाओं अनुवाद किया जा चुका है.
माइंडसेटः दी न्यू साइकोलॉजी ऑफ सक्सेस को दुनिया की जानी मानी स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी साइकोलॉजिस्ट कैरोल एस ड्वेक ने लिखा है. यह किताब पहली बार 2006 में छपी थी. किताब लोगों के माइंडसेट के बारे में बात करती है.
हम अपने बारे में जो भी ख्याल रखते हैं, जिस कॉन्सेप्ट पर भरोसा करते हैं उसका हमारी सफलता या असफलता पर काफी असर पड़ता है. इस किताब की 20 लाख से ज्यादा कॉपी बिक चुकी हैं और 35 भाषाओं अनुवाद किया जा चुका है. इस कई रिव्यूअर और रिडर्स से तारीफ मिली है.
ड्वेक का कहना है कि हमारा माइंडसेट काफी फ्लेक्सिबल होता है, अगर हम अपनी सोचने के तरीके में बदलाव लाना चाहते हैं तो ये बिल्कुल मुमकिन है. कोई फर्क नहीं पड़ता आप कौन सी उम्र में हैं.
अपने माइंडसेट को बदलकर हर उस गोल को हासिल कर सकते हैं जो हमने अपने लिए सोचा रखा है या कभी सोचा था. अगर आप भी ऐसी कोई किताब ढूंढ रहे हैं जो आपको माइंडसेट चेंज करने में मदद करे तो यकीनन ये किताब आपके काम आएगी.
डॉक्टर कैरोल ड्वेक ने बताया है कि हमें अपने काम की वजह से जैसी तारीफ मिलती है उसी हिसाब से हमारा माइंडसेट इंफ्लुएंस होता है. कैसे हमारा माइंडसेट अंदर के मोटिवेशन और हमारे अचीवमेंट को प्रभावित कर सकता है.
किताब में दो तरह के माइंडसेट वाले लोगों का जिक्र हुआ है. एक है ग्रोथ माइंडसेट और फिक्स्ड माइंडसेट. ग्रोथ माइंडसेट वाले लोगों मानते हैं कि वो कभी भी किसी तरह की क्वॉलिटी सीख सकते हैं.
ऐसे लोग मानते हैं कि कड़ी मेहनत और कोशिश के जरिए आप कोई भी टैलेंट हुनर डिवेलप कर सकते हैं. जबकि फिक्स्ड माइंडसेट वाले लोग सोचते हैं कि उनकी सीखने की क्षमता अब स्थिर हो चुकी है. एक उम्र बीत जाने के बाद उन्हें कोई नई चीज सीखने में काफी परेशानी होती है.
किताब मोटा मोटी दो हिस्सों में बंटी हुई है. पहले हिस्से में ड्वेक बताती हैं कि कैसे हमारे माइंडसेट की बदौलत मुश्किल समय में भी हम अपने गोल हासिल कर सकते हैं. दूसरे हिस्से में वो बताती हैं कि हम कैसे अपने अंदर ग्रोथ माइंडसेट डिवेलप कर सकते हैं. कैसे किसी असफलता को कुछ नया सीखने के मौके की तरह देख सकते हैं.
डॉक्टर ड्वेक ने अपनी किताब में इस कॉन्सेप्ट को समझाने के लिए अपनी जिंदगी से जुड़े लोगों के उदाहरण दिए हैं. इनमें एथलीट से लेकर टीचर्स और बिजनेस मैनेजर्स, रोमैंटिक पार्टनर्स, दोस्त और परिवार के लोग शामिल हैं. इन लोगों के जिदंगी की कहानियों को पढ़कर लगता है कि ये सिर्फ हम ही नहीं दुनिया के सभी लोग इसी तरह काम करते हैं.
तो अंत में कुल मिलाकर अगर आपको लगता है कि आप भी एक फिक्स्ड माइंडसेट के जाल में उलझे हुए हैं और इसे बदलना चाहते हैं तो आपको बेशक ये किताब पढ़नी चाहिए. इस किताब ने कई बड़े नामी लोगों को अपना माइंडसेट बदलने और सफलता हासिल करने में मदद की है.
Edited by Upasana