Meta ने बंद किया Reels इंसेंटिव; क्रिएटर इकॉनमी पर कितना होगा असर, ये कंटेंट स्ट्रैटजी आएगी काम
दिसंबर 2021 में शुरू हुए इस प्रोग्राम के तहत क्रिएटर्स अगर वीडियो पर एक तय मानक से ज्यादा व्यूज ले आते हैं तो उन्हें मेटा बोनस देती थी. टॉप परफॉर्मर्स 35000 डॉलर तक कमा रहे थे.
हाइलाइट्स
- दिसंबर 2021 में शुरू हुए इस प्रोग्राम के तहत एक तय नंबर से ज्यादा व्यूज लाने वाले क्रिएटर्स को मेटा बोनस देती थी.
- मेटा ने 9 मार्च को रील्स प्ले बोनस प्रोग्राम को बंद करने का ऐलान किया था.
- इंफ्लुएंसर मार्केटिंग फर्म्स के मुताबिक ऐसे बदलाव क्रिएटर इकॉनमी को हतोत्साहित कर सकते हैं.
दिग्गज टेक कंपनी Meta 9 मार्च को रील्स प्ले बोनस प्रोग्राम बंद करने का ऐलान किया. हालांकि ये प्रोग्राम अभी केवल अमेरिका के क्रिएटर्स के लिए उपलब्ध था लेकिन इसे जल्द ही बाकी देशों में शुरू की तैयारी थी.
दिसंबर 2021 में शुरू हुए इस प्रोग्राम के तहत क्रिएटर्स अगर वीडियो पर एक तय मानक से ज्यादा व्यूज ले आते हैं तो उन्हें मेटा बोनस देती थी. टॉप परफॉर्मर्स 35000 डॉलर तक कमा रहे थे. इस बोनस के रुकने से फेसबुक पर रील्स क्रिएटर्स और अमेरिका में इंस्टा रील्स क्रिएटर्स को झटका लग सकता है.
Creation Infoways के फाउंडर सत्या सतपथी कहते हैं, 'इस प्रोग्राम ने क्रिएटर्स को व्यूजस लाइक्स और फॉलोअर्स बटोरने में काफी मदद की थी. अब इस बोनस को रोकने से क्रिएटर इकॉनमी पर बड़ा असर पड़ सकता है. शॉर्ट टर्म में इसका कितना असर होगा ये कहना मुश्किल है, लेकिन लॉन्ग टर्म में क्रिएटर कम्यूनिटी बुरी तरह प्रभावित हो सकती है.'
कई क्रिएटर्स के लिए बोनस प्रोग्राम कमाई का एक जरिया था. उनमें से कई ने तो अपने रेवेन्यू के अनुमान में भी इसे शामिल किया हुआ था. अब बोनस प्रोग्राम बंद होने के बाद क्रिएटर्स को दूसरे कमाई के रास्ते निकालने होंगे जो इतना आसान नहीं होगा. इंसेंटिव खत्म होने की वजह से कंटेंट की क्वॉलिटी पर या संख्या पर भी असर पड़ेगा.
क्रिएटर्स अब उन जगहों पर अपना फोकस शिफ्ट कर सकते हैं जहां उन्हें ज्यादा इंसेंटिव मिलेगा. इंस्टाग्राम को इससे काफी नुकसान हो सकता है क्योंकि उसके एंगेजमेंट का बड़ा हिस्सा रील्स से ही आता रहा है.
इसी तरह Cosmofeed के को-फाउंडर विवेक यादव(Vivek yadav) ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के पास इतनी पावर है कि वो क्रिएटर्स को एक्सपेरिमेंट का जरिया समझ रहे हैं. क्रिएटर्स कंटेंट बनाने में जान लगा देते हैं. बहुत मेहनत के साथ ऑडियंस के साथ रिश्ता बनाते हैं.
बीच बीच में ऐसे बदलाव उन्हें एक खास तरह के कंटेंट फॉर्मैट पर फोकस करने से हतोत्साहित करते हैं. अगर प्लेटफॉर्म्स पॉलिसी इतनी तेजी से बदलते रहेंगे तो क्रिएटर्स को भी अपनी स्ट्रैटजी बदलनी पड़ेगी.
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या क्रिएटर्स को अपने फैन्स के साथ खुद का एक प्लेटफॉर्म बनाना चाहिए, जहां उन्हें बार-बार पॉलिसी बदलाव की वजह से माथापच्चीसी न करनी पड़े.
WhizCo की को-फाउंडर और CMO प्रेरणा गोयल कहती हैं, इंसेंटिव बंद होने से शॉर्ट फॉर्म वीडियो कंटेंट क्रिएटर्स के लिए यहां कमाई कम हो जाएगी और प्लेटफॉर्म से दूरी बना सकते हैं. क्रिएटर्स लॉन्ग फॉर्म वीडियो या टेक्स्ट फॉर्मैट पर ध्यान शिफ्ट कर सकते हैं.
यूट्यूब जैसे अन्य प्लैटफॉर्म्स ऐसे ही मोनेटाइजेशन सोर्सेज ऑफर कर रहे हैं. रील्स के लिए इंसेंटिव बंद करने से उन्हें फायदा मिल सकता है. ये कदम क्रिएटर्स के लिए जागरुक होने के समय है. उन्हें कंटेंट प्लेसमेंट स्ट्रैटजी पर काम करना होगा.
टेक कंटेंट क्रिएटर नमन देशमुख(Naman Deshmukh) कहते हैं, ‘’मेटा का ये कदम यकीनन हतोत्साहित करने वाला है. इंसेंटिव क्रिएटर्स को और वीडियो बनाने के लिए प्रेरित करता था. हालांकि क्रिएटर्स के लिए मोनेटाइजेशन के अन्य जरिए भी हैं जैसे कि स्पॉन्सर्ड कंटेंट, अफिलिएट मार्केटिंग और ब्रैंड कोलैबोरेशन. इसके अलावा मेटा ने वादा किया है कि क्रिएटर्स को सपोर्ट करने के लिए वह नए प्रोग्राम और फीचर पेश करेगा.’’
WhizCo की को-फाउंडर और COO Aastha Goel के मुताबिक क्रिएटर्स के रेवेन्यू स्ट्रीम में रील्स प्ले बोनस प्रोग्राम का कितना हिस्सा रहा है उसी हिसाब से ये तय होगा कि मेटा के इंसेंटिव रोकने का कितना असर होगा. जिनकी कमाई का बड़ा हिस्सा इंस्टाग्राम और फेसबुक से आता है उनके लिए ये बड़ा झटका साबित होगा. हालांकि, कुछ क्रिएटर्स ने पहले से ही अपनी कमाई को अलग अलग प्लैटफॉर्म्स और चैनल्स पर बांट रखा है.
क्रिएटर इकॉनमी शुरू से ही लगातार बदलती रही है. क्रिएटर्स को अगर इसी फील्ड में रहना है तो उन्हें इन बदलावों को अपनाने के लिए तैयार रहना होगा. उन्हें ये भी सुनिश्चित करना होगा कि उनकी कमाई सिर्फ एक ही प्लेटफॉर्म पर निर्भर न हो वरना एक बार में ही उनसे पूरी कमाई छिन सकती है.