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किस देश में कब मिला महिलाओं को वोट देने का अधिकार

100 साल लंबी लड़ाई के बाद 102 साल पहले 26 अगस्‍त को अमेरिका में महिलाओं को मिला था वोट का अधिकार. लेकिन कुछ देशों में महिलाओं को यह अधिकार मिले सिर्फ 7 साल हुए हैं.

किस देश में कब मिला महिलाओं को वोट देने का अधिकार

Friday August 26, 2022 , 5 min Read

कोई भी जागरूक नागरिक यह जानता है कि लोकतंत्र में वोट की क्‍या कीमत है. वोट का अधिकार ही वह बुनियादी अधिकार है, जो लोकतंत्र में हमारी हिस्‍सेदारी और हमारे नागरिक अधिकारों को सुनिश्चित करता है. लेकिन इतिहास गवाह है कि यह बुनियादी अधिकार भी महिलाओं को लंबी लड़ाई के बाद हासिल हुआ.

26 अगस्‍त का दिन अमेरिका में विमेंस इक्‍वैलिटी डे के रूप में मनाया जाता है. 102 साल पहले आज ही के दिन अमेरिका में महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिला था. लेकिन इस अधिकार को पाने के लिए भी उन्‍हें 100 साल लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी. पूरी दुनिया में चला विमेन सफरेज मूवमेंट (women's suffrage movement) इतिहास में फर्स्‍ट वेव फेमिनिस्‍ट मूवमेंट के नाम से जाना गया.

संसदीय चुनावों में महिलाओं को वोट का अधिकार देने वाला दुनिया का पहला देश न्‍यूजीलैंड था, जहां 1893 में संविधान में महिलाओं के मतदान के अधिकार को उनके बुनियादी संवैधानिक अधिकारों में शुमार किया गया. हालांकि महिलाओं की राजनीति में हिस्‍सेदारी और चुनाव लड़ने की शुरुआत 1919 से पहले वहां भी नहीं हुई.

दुनिया का दूसरा देश था साउथ ऑस्‍ट्रेलिया, जिसने 1894 में महिलाओं को वोट देने और चुनाव में खड़े होने का अधिकार दिया. आज विमेंस इक्‍वैलिटी डे के दिन आइए जानते हैं कि दुनिया के किस देश ने कब महिलाओं को वोट का अधिकार दिया.

19वीं सदी में मतदान का अधिकार देने वाले दुनिया के शुरुआती देश

न्‍यूजीलैंड उन्‍नीसवीं सदी के आखिर में महिलाओं को वोट का अधिकार देने वाला दुनिया का पहला देश था. लेकिन न्‍यूजीलैंड में इस अधिकार की लड़ाई शुरू हुई 1808 के आसपास, जब महिलाओं ने इस अधिकार के लिए आवाज उठानी शुरू की. 1969 में मैरी मुलर ने छद्म नाम से एक पैंफलेट छापकर बांटा, जिसका शीर्षक था- “न्‍यूजीलैंड के मर्दों से एक अपील.”

अगले बीस सालों में यह मूवमेंट बढ़ता गया और मैरी मुलर अब अपना नाम और पहचान छिपाए बगैर सफरेज मूवमेंट का चेहरा बन गईं. 19 सितंबर, 1893 को आखिरकार वह दिन आ गया, जब संविधान में बदलाव करते हुए महिलाओं को वोट का अधिकार दिया गया. 2 महीने बाद 28 नवंबर को हुए चुनावों में महिलाओं ने पहली बार वोट दिया. उसी साल एलिजाबेथ येट्स नाम की महिला ऑकलैंड के एक सबर्ब की मेयर बनीं. पूरे एशिया और यूरोप में इस पद पर चुनी जाने वाली वह पहली महिला थीं. 

उसके एक साल बाद 1894 में साउथ ऑस्ट्रेलिया ने महिलाओं को संपूर्ण वोट का अधिकार दिया. साथ ही उन्‍हें राजनीति में शिरकत करने और चुनाव लड़ने का अधिकार भी.

timeline of countries when women get right to vote

20वीं सदी में मतदान का अधिकार देने वाले दुनिया के देश

एक टाइमलाइन तो वह है कि दुनिया के किस देश ने कब महिलाओं को वोट का अधिकार दिया. एक दूसरी टाइमलाइन हर देश की अलग है, जो बताती है कि दुनिया का कोई ऐसा अपवाद मुल्‍क नहीं है, जिसने लंबे संघर्ष और लड़ाई के बगैर ही महिलाओं को सीधे वोट का अधिकार दे दिया हो.

18वीं सदी के अंत से लेकर 20वीं सदी के अंत तक दुनिया के विभिन्‍न मुल्‍कों में विमेन सफरेज मूवमेंट का दौर चला. 20वीं सदी के अंत तक दुनिया के बहुत सारे देशों ने महिलाओं को वोट का अधिकार दिया, लेकिन कई देशों में वह अधिकार संपूर्ण संवैधानिक अधिकार नहीं था.

जैसे 1908 में डेनमार्क ने वोटिंग का अधिकार दिया, लेकिन वह सिर्फ स्‍थानीय चुनावों तक ही सीमित था. हंगरी ने दिया, लेकिन सिर्फ उन महिलाओं को जो शिक्षित थीं. कनाडा ने दिया, लेकिन सिर्फ विधवाओं और उन महिलाओं को, जिनके परिवार के पुरुष सदस्‍य देश के बाहर थे. स्‍पेन, पुर्तगाल और तुर्की में मिले शुरुआती वोटिंग राइट्स भी सीमित दायरे में दिए गए थे.   

   

1913 में नॉर्वे ने महिलाओं को संपूर्ण वोटिंग राइट दिया और ऐसा करने वाला वह यूरोप का पहला देश था. 1915 में डेनमार्क और आइसलैंड ने महिलाओं को मतदान का अधिकार दिया. यूरोप में महिलाओं को वोटिंग राइट देने वाला आखिरी देश स्विटजरलैंड था, जहां 1971 में यह अधिकार दिया गया. 

इसके अलावा 20वीं सदी में महिलाओं को वोटिंग राइट देने वाले यूरोप और दुनिया के बाकी देशों की टाइमलाइन इस प्रकार है- 

1918 – ऑस्ट्रिया, जर्मनी, रूस, पोलैंड

1919 – बेल्जियम, नीदरलैंड, स्‍वीडन

1920 – अमेरिका, चेकोस्‍लोवाकिया

1928 – यूके

1931 – स्‍पेन

1932 – ब्राजील

1934 – क्‍यूबा, तुर्की

1944 – बुल्‍गारिया

1945 – फ्रांस, इटली, जापान

1946 – पुर्तगाल, रोमानिया, वेनेजुएला, विएतनाम

1947 – भारत, अर्जेंटीना, नेपाल, पाकिस्‍तान, सिंगापुर

1948 – बेल्जियम, इस्राइल, इराक, दक्षिण कोरिया

1949- चिली, चीन, सीरिया

1953 – भूटान, मैक्सिको

1956 – मिस्र

1957 – कोलंबिया, लेबनान

21वीं सदी में मतदान का अधिकार देने वाले दुनिया के देश

मिडिल ईस्‍ट के कुछ देश महिलाओं को वोटिंग राइट देने में दुनिया में सबसे पीछे रहे हैं. हालांकि अफगानिस्‍तान में महिलाओं को वोटिंग राइट 1964 में दिया गया था, लेकिन तालिबान के सत्‍ता में आने के बाद यह अधिकार छीन लिया गया. 2001 में फिर तालिबान के सत्‍ता से बाहर जाने पर महिलाओं को दोबारा वोट का अधिकार दिया गया.

इराक में महिलाओं को मतदान का समान अधिकार 1948 में ही दे दिया गया था, लेकिन वहां 2005 से पहले कभी स्‍वतंत्र चुनाव हुए ही नहीं. यही हाल बहरीन का रहा, जहां वोटिंग राइट तो 1973 में ही मिल गया था, लेकिन वहां पहली बार स्‍वतंत्र चुनाव  2002 में हुए. 

इसके अलावा 2003 में ओमान, 2005 में कुवैत और 2006 में यूएई ने औरतों को वोटिंग राइट दिए. इस फेहरिस्‍त में सबसे लेट-लतीफ सऊदी अरब है, जहां महज 7 साल पहले 2015 में औरतों को वोटिंग राइट दिया गया.


Edited by Manisha Pandey