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Nestaway: घर किराये पर देने से लेकर उसे मैनेज करके मकानमालिकों की परेशानी दूर कर रही है ये कंपनी

2015 में अमरेंदर ने स्म्रुति परिदा, दीपक धर और जितेंद्र यादव के साथ मिलकर नेस्टअवे की शुरुआत की थी. कंपनी ने बैचेलर्स को टारगेट करते हुए शेयर्ड और फर्निश्ड अपार्टमेंट्स के लिए अग्रीगेटर की तरह शुरुआत की. बाद में इसने परिवारों को पूरा का पूरा घर किराये पर देना शुरू किया.

Nestaway: घर किराये पर देने से लेकर उसे मैनेज करके मकानमालिकों की परेशानी दूर कर रही है ये कंपनी

Wednesday March 15, 2023 , 5 min Read

ऐसे तमाम लोग हैं जो अपनी प्रॉपर्टी को रेंट पर इसलिए नहीं दे पाते क्योंकि वो किसी कारण से दूसरे शहर में रहते हैं. उनका घर दूसरे शहर में सिर्फ इसलिए खाली पड़ा रहता है क्योंकि घर किरायेदार को दिखाने वाला, उसके साथ बातचीत करने वाला कोई नहीं होता. या फिर कुछ मामलों में घर के मालिक बुजुर्ग होते हैं और वो इस हालत में नहीं होते कि मकानमालिकों के साथ डील करें.

बस इसी समस्या को दूर करने के मकसद के साथ शुरुआत हुई NestAway की. ये प्लेटफॉर्म मकानमालिकों की प्रॉपर्टी को किराये पर देने के साथ, घर में आने वाली दिक्कतों को दूर करने का काम करता है. इसके बदले वह मकानमालिक और किरायेदार दोनों से कुछ चार्ज लेता है. आइए जानते हैं इस स्टार्टअप के को-फाउंडर अमरेंदर साहू से जानते हैं नेस्टअवे के शुरू होने से लेकर अभी तक के सफर को...

कैसे हुई शुरुआत

को-फाउंडर और सीईओ अमरेंदर साहू बताते हैं कि जब हम काम करने के लिए बेंगलुरु आए तब हमने ये दिक्कतें देखीं. बाद में जब आप खुद घर के मालिक बनते हैं तो मकानमालिकों की दिक्कतें भी समझ आती हैं. इन सभी दिक्कतों को देखते हुए नेस्टअवे(Nestaway) को शुरू करने का आईडिया आया. 2015 में अमरेंदर ने स्म्रुति परिदा, दीपक धर और जितेंद्र यादव के साथ मिलकर नेस्टअवे की शुरुआत की थी.

बैकग्राउंड

को-फाउंडर अमरेंदर साहू ने NIT सूरथकाल से कम्प्यूटर साइंस इंजीनियर स्टूडेंट रहे हैं. उसके बाद उन्होंने बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर एल्काटेल-ल्यूसेंट, जूनिपर नेटवर्क्स और सिस्को जैसी कंपनियों में नौकरी की फिर आईआईएम बेंगलुरु से एमबीए की पढ़ाई पूरी की. अमरेंदर ने एमबीए के दौरान ही 2011 में अपनी पहली कंपनी शुरू की थी. उसके बाद 2015 में नेस्टअवे को शुरू किया.

प्रॉडक्ट और सर्विस

कंपनी ने बैचेलर्स को टारगेट करते हुए शेयर्ड और फर्निश्ड अपार्टमेंट्स के लिए अग्रीगेटर की तरह शुरुआत की. बाद में इसने परिवारों को पूरा का पूरा घर किराये पर देना शुरू किया. कंपनी किरायेदारों के लिए स्टे की सुविधा ऑफर करती है जबकि मकानमालिकों के लिए उनके घर को मैनेज करने का काम.

कंपनी मकानमालिकों से किरायेदारों को लेकर उनकी प्राथमिकता पूछती है जैसे- बैचलर या वर्किंग या शादी शुदा. घर से रेंट क्या उम्मीद कर रहे हैं, घर फर्निश्ड देना या अनफर्निश्ड. उस जानकारी के आधार पर प्रॉपर्टी प्लेटफॉर्म पर लिस्ट होती है. यूजर्स को प्लेटफॉर्म पर जो प्रॉपर्टी पसंद आए, उसे जाकर चेक कर सकते हैं. पसंद आने पर ऑनलाइन बुकिंग कर सकते हैं.

रेंटल अग्रीमेंट से लेकर बाकी सभी जरूरी चीजें ऐप पर ही जेनरेट हो जाती हैं. रेंट पेमेंट भी ऐप पर ही कर सकते हैं और अगर प्रॉपर्टी में किसी तरह की दिक्कत है तो उसे ठीक कराने के लिए प्लेटफॉर्म पर ही शिकायत भी डाल सकते हैं. ये सारा काम डिजिटली हो जाता है, मकानमालिक को किसी भी चीज के लिए परेशान नहीं होना पड़ता है.

रिपेयरिंग से जुड़ी शिकायत के लिए हमने हर एरिया में होम मैनेजर बना रखा है. शिकायत को दूर करन की जिम्मेदारी उसकी होती है. अमूमन जिन खर्चों को मकानमालिक उठाता है उसका पैसा मकानमालिक देता है. जो खर्चे अमूमन किरायेदार उठाते हैं वो किरायेदार भरते हैं. हम बस रिपेयरिंग के लिए अपने आदमी भेज देते हैं. मिसाल के तौर पर सीपेज की दिक्कत है तो उसका खर्चा मकानमलिक हमें देता है, लेकिन अगर गीजर खराब हो गया है या ट्यूबलाइट खराब है तो इसका खर्चा किरायेदार देता है.

प्रॉपर्टी रजिस्टर की प्रक्रिया

शुरू में नेस्टअवे ने कस्टमर्स के बीच पहचान बनाने के लिए मार्केटिंग की, लेकिन अब 70-80 पर्सेंट मकानमालिक खुद से प्लेटफॉर्म पर आते हैं. आज हम इस स्पेस एक जाना माना नाम बन चुके हैं, तो जिस भी ओनर को घर मैनेज करने की सर्विस चाहिए होती है वो हमारे पास ही आता है. 

बिजनेस मॉडल

सभी प्रॉडक्ट्स पूरी तरह फ्री हैं. अभी हम 16 शहरों में सर्विस दे रहे हैं. महामारी से पहले हमारे पास 60 हजार के करीब किरायेदार थे. अब जैसे-जैसे कंपनियां दफ्तर खोल रही हैं लोग वापस आ रहे हैं और घर की डिमांड आ रही है. इसलिए हमारे प्लेटफॉर्म पर भी डिमांड बढ़ रही है.

रेवेन्यू मॉडल

कंपनी ओनर से प्रॉपर्टी रेंट का 8-10 फीसदी कमिशन के तौर पर चार्ज करती हैं. जब तक किरायेदार उस प्रॉपर्टी में रह रहा है तब तक किराये में से कमिशन कटता रहता है. अगर किसी प्रॉपर्टी से 1 लाख रुपये आ रहे हैं तो 8 से 10 हजार कंपनी रख लेते हैं और बाकी 90,000 रुपये मकानमालिक को ट्रांसफर कर दिए जाते हैं. किरायेदार से 15 दिन का किराया ब्रोकरेज के तौर पर लिए जाते हैं. 

कॉम्पिटीशन

आज की तारीख में जितने भी प्रॉपर्टी एग्रीगेटर हैं सभी प्रॉपर्टी की लिस्टिंग भर करते हैं. हम ओनर्स को घर मैनेज करने की फैसिलिटी भी दे रहे हैं. बाकी सभी कंपनियां लीड प्रोवाइड करती हैं जबकि हम सर्विस प्रोवाइडर हैं. 

रोडमैप

को-फाउंडर अमरेंदर ने बताया कि कंपनी ने चार फंडिंग राउंड में  110 मिलियन डॉलर की फंडिंग जुटाई है. फिलहाल और फंडिंग जुटाने का कोई प्लान नहीं है. रेवेन्यू भी अच्छा आ रहा है. आगे हम इसी यूएसपी के साथ अपनी रीच और बढ़ाने पर काम करेंगे. जहां-जहां लोकल पार्टनर्स मिल जाएंगे, टेक्नोलॉजी की पहुंच होगी उन-उन जगहों पर हम अपनी मौजूदगी बढ़ाते रहेंगे.