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ISRO के चंद्रयान-3 और आदित्य L-1 से सोलर एनर्जी को मिलेगा बढ़ावा?

यदि चंद्रयान-3 कि तरह इसरो का आगामी महत्वाकांक्षी मिशन- आदित्य L-1 सफल हो जाता है तो क्लीन एनर्जी / ग्रीन एनर्जी अपनाने की दिशा में हम तेजी से आगे बढ़ेंगे और अपनी भावी पीढ़ी को निश्चित तौर पर एक बेहतर भविष्य दे पाएंगे.

ISRO के चंद्रयान-3 और आदित्य L-1 से सोलर एनर्जी को मिलेगा बढ़ावा?

Monday August 28, 2023 , 4 min Read

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 द्वारा 23 अगस्त को चंद्रमा पर ऐतिहासिक सॉफ्ट लैंडिंग करने के बाद, एजेंसी अपने महत्वाकांक्षी मिशन- आदित्य L-1 के काम में जुट गई है. इसरो प्रमुख के अनुसार सूर्य के लिए आदित्य मिशन सितंबर में लॉन्च होने की संभावना है.आदित्य-एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला देश का पहला अंतरिक्ष-आधारित मिशन होगा, और इसे सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु 1 के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा.

इस बीच, चंद्रयान-3 का प्रज्ञान रोवर, विक्रम लैंडर के सॉफ्ट लैंडिंग के कुछ ही घंटों के बाद ही लैंडर से अलग हो चुका है और चंद्रमा की सतह पर आगे बढ़ना शुरू कर दिया है. रोवर अगले 14 दिनों तक चंद्रमा की सतह पर घूमता रहेगा, जो लगभग एक चंद्र दिवस की अवधि है. इन 14 में एनर्जी की आवश्यकता पूरी करने के लिए रोवर में सोलर पैनल लगाए गए हैं.

इस नए युग में सोलर एनर्जी या ग्रीन एनर्जी जैसे विकल्प पर तेजी से विचार किया जा रहा है तभी तो हम यातायात के साधनों के तौर पर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स से लेकर सौर एनर्जी से चलने वाले एयर कण्डीशनर, इन्वर्टर और अन्य उपकरणों के अपनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. इसका सबसे प्रमुख कारण पारंपरिक इंधन से पैदा होने वाला प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग है. यदि हमें सस्टेनेबल फ्यूचर चाहिए तो इसका एक ही समाधान है कि सोलर से पैदा होने वाली बिजली पर तेजी से काम किया जाए.

सौर पैनल के घटक क्या हैं?

सौर पैनल किसी भी सौर ऊर्जा प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. वे सूर्य की ऊर्जा को ग्रहण करते हैं और उसे उपयोग योग्य बिजली में बदल देते हैं. यहां सौर पैनल के कई भाग होते हैं .

1. सौर सेल: सिलिकॉन से बने ये सूर्य के प्रकाश को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं.

2. बैकशीट, एनकैप्सुलेशन और फ्रेम: एक इंसुलेटिंग बैकशीट, एक ग्लास या पॉलिमर एनकैप्सुलेशन और एक धातु फ्रेम सौर कोशिकाओं को एक साथ रखते हैं और उन्हें तत्वों से बचाते हैं.

3. जंक्शन बॉक्स: जंक्शन बॉक्स डायोड, वायरिंग कनेक्शन और अन्य विद्युत घटकों की सुरक्षा करता है.

4. कनेक्टर्स: MC4 कनेक्टर्स का उपयोग आमतौर पर सौर पैनलों के साथ-साथ आपके सौर पैनल सिस्टम के अन्य घटकों को जोड़ने के लिए किया जाता है.

Aponyx Electric Vehicles के फाउंडर और चेयरमैन MS Chugh इस समस्या के समाधान को लेकर बताते हैं कि उनकी कंपनी ने एक ऐसी टेक्नोलॉजी विकसित की है जो ईवी को सीधे सोलर से चार्ज करेगी. कंपनी ने उसका नाम कोहिनूर रखा हुआ है. यह एक चार्जर है जो धूप से बैटरी चार्ज करने में सक्षम होगा. अगर कभी धूप नहीं होती है तो कंपनी उसके साथ एक बैटरी बैकअप देगी जो वाहन को चार्ज करने का काम करेगी.

इस बारे में Exalta India के फाउंडर आशुतोष वर्मा बताते हैं - पीएम मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार के स्पष्ट नीतियों के कारण, सौर ऊर्जा उद्योग में काफी सकारात्मक बदलाव देखे जा रहे हैं. यदि आंकड़ों की माने तो, 2014 से 2021 के बीच भारत में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में 250 प्रतिशत का विस्तार हुआ है. भारत सहित दुनिया भर में, सौर ऊर्जा धीरे-धीरे कोयले की जगह ले रही है. 2040 तक, सौर फोटोवोल्टिक की वजह से बिजली की कीमत में 66% तक की कमी दर्ज की जा सकेगी.

एक साल पहले, सरकार ने मिशन इनोवेशन क्लीनटेक एक्सचेंज की भी शुरुआत की थी, यह राष्ट्रों के बीच स्वच्छ ऊर्जा नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक वैश्विक पहल है. इसके अलावा, केंद्रीय बजट 2022-23 में, नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र ने उच्च दक्षता वाले सौर मॉड्यूल के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई योजना के लिए 19,500 करोड़ रुपये ($2.57 बिलियन) आवंटित किए थे.

ऐसे में, इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं कि यदि चंद्रयान-3 कि तरह इसरो का आगामी महत्वाकांक्षी मिशन- आदित्य L-1 सफल हो जाता है तो क्लीन एनर्जी / ग्रीन एनर्जी अपनाने की दिशा में हम तेजी से आगे बढ़ेंगे और अपनी भावी पीढ़ी को निश्चित तौर पर एक बेहतर भविष्य दे पाएंगे.

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