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डिलिवरी के बाद कैसे स्‍वस्‍थ रहे मां? इस स्‍टार्टअप ने दादी-नानी के नुस्‍खों को बनाया बिजनेस

कहते हैं, आवश्‍यकता आविष्‍कार की जननी है. संयुक्‍त परिवारों के टूटने और एकल परिवारों के बढ़ने ने एक जरूरत को पैदा किया और उसे पूरा करने के लिए ईशा ने ‘मां मिताहारा’ की शुरुआत की.

डिलिवरी के बाद कैसे स्‍वस्‍थ रहे मां? इस स्‍टार्टअप ने दादी-नानी के नुस्‍खों को बनाया बिजनेस

Tuesday August 02, 2022 , 7 min Read

ईशा गुप्‍ता का जन्‍म ऐसे मारवाड़ी परिवार में हुआ था, जहां लड़कियों का कॉलेज जाना, पढ़ना बस शौक था, जरूरत नहीं. उनके घर से बाहर निकलकर नौकरी करने का तो सवाल ही नहीं उठता था. औरत बिजनेस करे, पैसा कमाए, इसे बुरा माना जाता. जीवन में कुछ होने-बनने से पहले ही 24 की उम्र में शादी हो गई. लड़का भी माता-पिता ने मारवाड़ी समाज में ही खोजा था. लेकिन लड़का बाकी मारवाड़ी लड़कों जैसा नहीं था. उसने ईशा को जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. प्रोफेशनल पढ़ाई करने, नौकरी करने और अपना वजूद खोजने की ईशा की यात्रा शादी के बाद शुरू हुई और आज 39 साल की उम्र में वह स्‍टार्ट अप की फाउंडर हैं.  

यह कहानी है ईशा गुप्‍ता और उनके स्‍टार्ट अप ‘Maa Mitahara’ की. ईशा राजस्‍थान की राजधानी जयपुर में रहती हैं और वहीं उन्‍होंने एक साल पहले  मां मिताहारा की शुरुआत की.

क्‍या करता है मां मिताहारा

यह स्‍टार्टअप मुख्‍यत: गर्भवती महिलाओं के लिए है. गर्भवती महिलाओं की सभी समस्‍याओं, जरूरतों और सवालों के लिए वन स्‍टॉप सॉल्‍यूशन. इसकी शुरुआत हुई थी गर्भवती महिला की डिलिवरी के बाद उनके स्‍वास्‍थ्‍य और खानपान संबंधी जरूरतों को समझने से. ईशा का अपना अनुभव भी कुछ ऐसा ही था. न्‍यूक्‍लीयर फैमिली होने के कारण वह प्रेग्‍नेंसी के दौरान और डिलिवरी के बाद अपना ख्‍याल नहीं रख पाई थीं.

ईशा को लगा कि आज हमारे आसपास ऐसे ढेरों एकल परिवार हैं, जहां प्रेग्‍नेंसी के दौरान महिला की विशेष जरूरतों का ध्‍यान रखने के लिए कोई बड़ा-बुजुर्ग आसपास नहीं होता. यदि ऐसे में इन महिलाओं को वो सभी जरूरी पोषक तत्‍व यानि एक कंप्‍लीट डाइट प्‍लान पैकेज्‍ड फूड के रूप में एक जगह मिले तो उनके लिए सहूलियत होगी.

 

कहते हैं, आवश्‍यकता आविष्‍कार की जननी है. संयुक्‍त परिवारों के टूटने और एकल परिवारों के बढ़ने ने इस जरूरत को पैदा किया और उसे पूरा करने के लिए ईशा ने मां मिताहारा की शुरुआत की.

आज यह स्‍टार्टअप पोस्‍टपार्टम न्‍यूट्रीशनल फूड के साथ-साथ बेबी प्रोडक्‍ट, जापा मेड और मालिश के लिए मेड आदि भी उपलब्‍ध करवा रहा है. मां मिताहारा के पास न्‍यूट्रीशनिस्‍ट और डॉक्‍टर्स का एक पूरा पैनल भी है. 

इस स्‍टार्टअप का आइडिया कैसे आया

साल 2008 में ईशा की शादी हुई. उनके पति अमित गुप्‍ता चार्टर्ड फायनेंशियल एनालिस्‍ट थे. 2009 में वह अपने पहले बच्‍चे के साथ प्रेग्‍नेंट थीं. वो दिल्‍ली में अपने पति के साथ अकेले रहती थीं. मां, दादी-नानी या कोई बड़ा-बुजुर्ग साथ नहीं था. कोई बताने वाला भी नहीं था कि इस दौरान उन्‍हें किस चीजों का ध्‍यान रखना चाहिए.

ईशा बताती हैं कि पहली प्रेग्‍नेंसी में उन्‍होंने अपना कुछ भी ख्‍याल नहीं रखा. वही फास्‍ट फूड खाना, न सोने का कोई वक्‍त, न जागने का. किसी तरह का व्‍यायाम, योग और एक्‍सरसाइज भी नहीं. प्रेग्‍नेंसी में उतनी ही लापरवाही बरती, जितनी जवानी के दिनों में आमतौर पर लोग बरतते हैं. लापरवाही कोई भी हो, परिणाम तो भुगतना ही होता है. लेकिन प्रेग्‍नेंसी के समय बरती गई लापरवाही के परिणाम लंबे समय तक भुगतने पड़ते हैं.

her story- Isha gupta’s startup maa mitahari

चूंकि डिलिवरी के दौरान ईशा ने अपने स्‍वास्‍थ्‍य का ध्‍यान नहीं रखा था तो डिलिवरी के बाद का समय उनके लिए काफी मुश्किल रहा. उन्‍हें रिकवर करने में चार-पांच महीने लग गए. जबकि डॉक्‍टर कहते हैं कि यदि प्रेग्‍नेंसी के दौरान मां का खानपान और सेहत दुरुस्‍त है तो रिकवरी का वक्‍त 30 से 40 दिन का होता है. उससे ज्‍यादा समय लगने का अर्थ है कि मां की सेहत और खानपान ठीक नहीं है.

लेकिन पांच साल बाद 2015 में दूसरी प्रेग्‍नेंसी के समय ऐसा नहीं हुआ. इस दौरान उनकी सासू मां और मां, दोनों साथ थीं और उनके पास लापरवाही करने का न मौका था, न इजाजत. डिलिवरी के बाद दोनों मांओं ने उन्‍हें जापा गोंद, सोंठ, अजवाइन, नारियल और गुड़ के लड्डू बनाकर दिए. आश्‍चर्यजनक रूप से इस बार उनका रिकवरी टाइम काफी कम रहा.

उन्‍हें समझ में आया कि यह सिर्फ बातें नहीं, बल्कि एक मां की बहुत बुनियादी और प्राकृतिक जरूरत है. भारत जैसे पितृसत्‍तात्‍मक देश में, जहां आमतौर पर महिलाओं के लिए बहुत सम्‍मान, दुलार, ख्‍याल और बराबरी की जगह नहीं है, वहां भी एक गर्भवती स्‍त्री और सद्य: प्रसूता स्‍त्री का बहुत ख्‍याल रखा जाता है. उत्‍तर से लेकर दक्षिण तक जापे के दौरान औरतों को खिलाए जाने वाले खाने की समृद्ध परंपरा है. एक तरह से देखा जाए तो ईशा ने उन्‍हीं पारंपरिक चीजों को एक जगह, एक प्‍लेटफॉर्म पर उपलब्‍ध करवाया है, जो अब हमारी आधुनिक जीवन शैली में हर हर स्‍त्री और हर परिवार के लिए करना मुमकिन नहीं है.

पोस्‍ट पार्टम फूड

आज मां मिताहारा की लिस्‍ट में पोस्‍ट पार्टम फूड का पूरा पैकेज है, जिसमें बतीसा, हल्‍दी, लोध और सुपारी लड्डू शामिल हैं. साथ ही उनका एक खास प्रोडक्‍ट है जापा लड्डू, जो उत्‍तर भारत के क्‍लाइमेट को ध्‍यान में रखते हुए बनाया गया है. यह लड्डू उत्‍तर भारतीय परिवारों में डिलिवरी के बाद मां को दिया जाता है.

यदि आप जानना चाहते हैं कि किस प्रोडक्‍ट को बनाने में किन पदार्थों का इस्‍तेमाल हुआ है और उसकी न्‍यूट्रीशनल वैल्‍यू क्‍या है तो आप उनकी वेबसाइट चेक कर सकते हैं. हर प्रोडक्‍ट के साथ यह सारी जानकारी दी गई है, जिसमें फोलिक एसिड, ओमेगा3 फैट, कैल्शियम, पोटैशियम, फॉस्‍फोरस और तमाम जरूरी विटामिन मौजूद हैं.

 

इसके अलावा बादाम का हलवा उनके प्रोडक्‍ट में एक खास चीज है, जो प्रसव के बाद शिशु के लिए दूध के निर्माण में मददगार होता है. जिसमें प्रोटीन, कैल्शियम और फाइबर भरपूर मात्रा में होता है.  

her story- Isha gupta’s startup maa mitahari

कई बार महिलाएं प्रेग्‍नेंसी के दौरान डायबिटिक भी हो जाती हैं. कुछ को थायरॉइड या बीपी की शिकायत होती है. उनकी खास जरूरत के हिसाब से यहां शुगर फ्री प्रोडक्‍ट भी उपलब्‍ध हैं, जिसे चीनी की जगह गुड़ या खांड से बनाया गया है.

मां मिताहारा के साथ जुड़ा डॉक्‍टर्स और न्‍यूट्रीशनिस्‍ट का पैनल उनके पोषक तत्‍वों को सुनिश्चित करने का काम करता है. ईशा कहती हैं कि जानकारी न होने पर कई बार महिलाएं ज्‍यादा मात्रा में भी पोषक तत्‍वों का सेवन कर लेती हैं. न्‍यूट्रीशनिस्‍ट कहते हैं कि हर तत्‍व और हर्ब्‍स का संतुलन में होना जरूरी है. यदि शरीर में उन तत्‍वों की कमी नुकसानदायक है तो उनकी अधिकता भी कम खतरनाक नहीं. इसलिए जरूरी है कि हम जो भी खा रहे हैं, वह न्‍यूट्रीशनिस्‍ट की निगरानी में ही खाएं.  

मां मिताहारा का बिजनेस मॉडल

आज अमेजन, मीशो, फ्लिपकार्ट, फर्स्‍ट क्राय और टाटा 1 एमजी जैसी वेबसाइट और एप पर मां मिताहारा के सारे प्रोडक्‍ट उपलब्‍ध हैं. साथ ही उनकी अपनी वेबसाइट भी है, जहां आपको उन प्रोडक्‍ट के साथ उनकी बाकी सर्विसेज की भी जानकारी मिल सकती है. सिर्फ एक साल के भीतर 500 से ज्‍यादा गर्भवती महिलाएं और नई मांएं मिताहारा से लाभान्वित हो चुकी हैं. एक साल में कंपनी ने 25 लाख का बिजनेस किया है. अभी फिलहाल प्रॉफिट की स्थिति नहीं है, लेकिन एक साल के भीतर ही सारी लागत लौट चुकी है. नए क्‍लाइंटेल तक पहुंचने के लिए इस स्‍टार्टअप ने अस्‍पतालों के साथ टाई अप किया है.

भविष्‍य की योजनाएं

भविष्‍य में पोस्‍ट पार्टम फूड के साथ प्री नेटेल फूड प्रोडक्‍ट भी बाजार उतारने की योजना है. ईशा कहती हैं कि हमारे शास्‍त्रों, वेदों और उपनिषदों में जो गर्भ संस्‍कार की बात कही गई है, वह भी हम भविष्‍य की मांओं तक पहुंचाना चाहते हैं. मां मिताहारा ने प्रसव के बाद मां और बच्‍चे की देखभाल के लिए जापा मेड की सुविधा देने की भी शुरुआत की है, लेकिन अभी यह शुरुआती चरण में है.