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सरकार ने ‘समर्थ’ योजना को मार्च 2026 तक बढ़ाया; 3 लाख लोगों को रोजगार से जुड़ी स्किल्स मिलने की उम्मीद

इस योजना का उद्देश्य देश में वस्त्र मंत्रालय से संबंधित विभागों और संगठनों के माध्यम से कारीगरों को कौशल (स्किल) सीखाकर मांग आधारित रोजगार देना है. इसके कारण देश के कपड़ा उद्योगों को अच्छे कारीगर मिल रहे हैं और वहीं, जरूरतमंद लोगों को रोजगार मिल रहा है.

सरकार ने ‘समर्थ’ योजना को मार्च 2026 तक बढ़ाया; 3 लाख लोगों को रोजगार से जुड़ी स्किल्स मिलने की उम्मीद

Thursday October 17, 2024 , 3 min Read

केंद्र सरकार ने स्किल इंडिया मिशन (Skill India Mission) के तहत कपड़ा उद्योग के लिए वर्ष 2017 में ‘समर्थ’ योजना (Samarth Scheme) की शुरूआत की थी. इस योजना का उद्देश्य देश में वस्त्र मंत्रालय से संबंधित विभागों और संगठनों के माध्यम से कारीगरों को कौशल (स्किल) सीखाकर मांग आधारित रोजगार देना है. इसमें कताई और बुनाई को छोड़कर वस्त्र की पूरी मूल्य श्रृंखला शामिल है. इसके कारण देश के कपड़ा उद्योगों को अच्छे कारीगर मिल रहे हैं और वहीं, जरूरतमंद लोगों को रोजगार मिल रहा है.

इस योजना के तहत शुरुआती तीन सालों में 10 लाख लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया था. इस योजना को सफल बनाने के लिए सरकार देश के प्रमुख कपड़ा उद्योगों और संघों के साथ मिलकर कार्य कर रही है.

अब, समर्थ (वस्त्र क्षेत्र में क्षमता निर्माण योजना) योजना को 3 लाख लोगों को वस्त्र-संबंधी कौशल में प्रशिक्षित करने के लिए 495 करोड़ रुपये के बजट के साथ दो साल (वित्त वर्ष 2024-25 और 2025-26) के लिए और बढ़ा दिया गया है.

प्रवेश स्तर के कौशल के अलावा यह योजना परिधान क्षेत्रों में मौजूदा श्रमिकों की उत्पादकता में सुधार करने के लिए अपस्किलिंग और रीस्किलिंग कार्यक्रम भी प्रदान करती है. समर्थ हथकरघा, हस्तशिल्प, रेशम और जूट जैसे पारंपरिक कपड़ा क्षेत्रों की अपस्किलिंग और रीस्किलिंग आवश्यकताओं को भी पूरा करता है.

यह योजना कार्यान्वयन भागीदारों (आईपी) के माध्यम से कार्यान्वित की जाती है. इसमें वस्त्र उद्योग और उद्योग संघ, केंद्रीय और राज्य सरकार की एजेंसियां और वस्त्र मंत्रालय के क्षेत्रीय संगठन जैसे डीसी और हथकरघा, डीसी और हस्तशिल्प, केंद्रीय ऊन विकास बोर्ड और केंद्रीय रेशम बोर्ड शामिल हैं.

समर्थ योजना के अंतर्गत मंत्रालय ने कार्यान्वयन भागीदारों के माध्यम से 3.27 लाख उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया है. इसमें से 2.6 लाख (79.5 प्रतिशत ) को रोजगार मिला है. महिलाओं के रोजगार पर बल दिया गया है और अब तक 2.89 लाख (88.3 प्रतिशत) महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया है. समर्थ योजना का आप लाभ उठाने के लिए आप भी आसानी से ऑनलाइन ही आवेदन करना होगा.

इस योजना के प्रमुख लाभ हैं — पहला, लोगों को प्रशिक्षण दिया जायेगा, ताकि सभी लोग अपने-अपने कामों में दक्ष बनें और अच्छे से अपने अपने कार्य की प्रक्रिया को पूरी करके आगे बढ़ें. दूसरा, काम में हस्तकला, कालीन, बुने कपड़े, तैयार पोशाकें और हथकरघा को शामिल किया गया है, जिनमें महिलाएं विशेष दक्षता रखती हैं. इन कार्यों में सभी कलाएं दक्षता रखती हैं. तीसरा, लोगों को प्रशिक्षण के बाद नौकरियां प्रदान की जा रही हैं, जिससे देश-प्रदेश में रोज़गार के अवसर बढ़ रहे हैं. इससे बेरोज़गारी की समस्या में भी कमी आएगी और लोगों का सरकार की तरफ से गलत नजरिया बदलेगा.

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