गगनयान मिशन 2025 में पहले भारतीय को अंतरिक्ष में भेजेगा: डॉ. जितेंद्र सिंह
केंद्रीय अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने घोषणा करते हुए कहा कि चंद्रयान-3 एक प्रमुख उपलब्धि था: अब चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5 को लॉन्च किया जाएगा. उन्होंने यह भी बताया कि निजी साझेदारों के साथ सहयोग के कुछ ही महीनों में अंतरिक्ष क्षेत्र में 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हुआ है.
केंद्रीय अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बुधवार को नई दिल्ली में राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में प्रथम राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस की पूर्व संध्या पर मीडिया से बातचीत में इस कार्यक्रम के पूर्वावलोकन की घोषणा की. डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, "चंद्रयान-3 एक प्रमुख उपलब्धि था और अब चंद्रयान-4 और-5 का प्रक्षेपण किया जाएगा."
भारत 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा पर उतरने वाला चौथा और इसके दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर उतरने वाला पहला देश बन गया. इस ऐतिहासिक उपलब्धि का उत्सव मनाने के लिए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 23 अगस्त को "राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस" के रूप में घोषित किया था.
भारत 23 अगस्त, 2024 को अपना पहला राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मना रहा है. इसका विषय है "चंद्रमा को छूते हुए जीवन को छूना: भारत की अंतरिक्ष गाथा." इसका आयोजन नई दिल्ली में भारत मंडपम के प्लेनरी हॉल में भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु की गरिमामय उपस्थिति में किया जाएगा.
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन विभाग, में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “गगनयान मिशन 2025 में पहले भारतीय को अंतरिक्ष में भेजना है” जो अंतरिक्ष क्षेत्र में विश्व नेतृत्व के रूप में उभरने के भारत के प्रयासों पर प्रकाश डालता है. उन्होंने नौसेना प्रमुख एडमिरल डी. के. त्रिपाठी के साथ अपनी हालिया बैठक का भी स्मरण किया और मुख्य रूप से क्रू मॉड्यूल रिकवरी के लिए भारतीय नौसेना के साथ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की साझेदारी को रेखांकित किया.
केंद्रीय राज्य मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि निजी भागीदारों के साथ सहयोग के कुछ महीनों के भीतर अंतरिक्ष क्षेत्र में 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हुआ है.
डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्टार्टअप्स की भूमिका पर बल दिया और दोहराया कि अंतरिक्ष क्षेत्र में शुरुआत में बहुत कम स्टार्टअप्स थे, लेकिन अब इसमें लगभग 300 स्टार्टअप्स हैं, जिनमें से कई वैश्विक क्षमता वाले हैं. केंद्रीय राज्य मंत्री ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारामण के बजट भाषण को याद किया जिसमें उन्होंने उल्लेख किया था कि अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था अगले 10 वर्षों में 5 गुना बढ़ जाएगी.
इस कार्यक्रम में, डॉ. जितेंद्र सिंह ने दुनिया को अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की प्रगति देखने के लिए श्रीहरिकोटा के द्वार खोलने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिया. यह एक निजी प्रक्षेपण केंद्र की भी मेज़बानी करता है.
विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ने भविष्य की योजनाओं को साझा करते हुए कहा, "आधारशिला परियोजनाओं में से एक वर्ष 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना और वर्ष 2045 तक चंद्रमा पर एक भारतीय की लैंडिंग करनी है." उन्होंने यह भी बताया कि राकेश शर्मा गगनयान मिशन टीम का मार्गदर्शन कर रहे हैं. केंद्रीय राज्य मंत्री महोदय ने सुनीता विलियम्स को शुभकामनाएं भी दीं.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिक सचिव शांतनु भटवाडेकर भी बातचीत के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री के साथ उपस्थित थे. उन्होंने कहा, "इसरो ने हमारे देश के सात क्षेत्रों में कार्यक्रमों की एक श्रृंखला आयोजित की. प्रत्येक क्षेत्र ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा को प्रदर्शित करने के लिए प्रदर्शनियों, अंतरिक्ष विज्ञान मेलों और वैज्ञानिकों के साथ बातचीत के सत्र की मेजबानी की. कार्यक्रमों में सैटेलाइट टेक्नोलॉजी, मॉडल रॉकेटरी कार्यशालाओं का प्रदर्शन शामिल था. इन आयोजनों में अंतरिक्ष मिशनों के आभासी वास्तविकता अनुभव और इसरो रोबोटिक्स चैलेंज और भारतीय अंतरिक्ष हैकथॉन सहित राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं शामिल हैं."
इसके अलावा, उन्होंने इस बात पर बल दिया कि यह उत्सव सिर्फ वैज्ञानिक समुदाय के लिए नहीं बल्कि हर भारतीय के लिए है. देश भर के विद्यालयों और महाविद्यालयों ने अंतरिक्ष-विषय वाली प्रतियोगिताओं, वाद-विवाद और प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम में भाग लिया. अनुसंधान संगठनों, मंत्रालयों और गैर-सरकारी संगठनों ने कार्यशालाओं और जनसंपर्क कार्यक्रमों का संचालन करने के लिए इसरो के साथ सहयोग किया, जिससे अंतरिक्ष विज्ञान को जनता के लिए सुलभ बनाया गया. भारतीय नागरिकों को अंतरिक्ष प्रदर्शनियों को देखने, वैज्ञानिकों के साथ बातचीत करने और यहां तक कि इसरो केंद्रों पर सजीव प्रक्षेपण देखने का अवसर मिला.