बहन की खराब सेहत ने ऋषि को दिया स्टार्टअप आइडिया, आज हैं अरबपति
ऋषि शाह की कंपनी 'आउटकम हेल्थ' न केवल नई यूनिकॉर्न कंपनी है, बल्कि उसे बीते हफ्ते सम्मान भी मिला है, साथ ही वह पहले ही 100 करोड़ डॉलर की करीब 200 नॉन पब्लिक कंपनियों की लिस्ट में 30वें पायदान पर पहुंच गई।
10 साल पहले कॉलेज छोड़ चुके ऋषि शाह आंत्रेप्रेन्योर बनने का सपना बहुत लंबे समय से देख रहे थे और सपना ऐसा देखा कि अरबपति बनकर ही माने। अपनी दोस्त के साथ मिलकर शुरू की गई कंपनी को ऋषि आज उन ऊंचाईयों तक ले जा चुके हैं, जहां तक पहुंच पाना किसी के लिए भी आसान नहीं, लेकिन मेहनत और लगन यदि ऋषि जैसी हो, तो कुछ भी नामुमकिन नहीं...
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भारतीय अमेरिकन ऋषि शाह की स्टार्टअप कंपनी 'आउटकम हेल्थ' एक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके फिज़िशियन्स को सेवाएं देने के साथ-साथ मरीजों को भी उपचार से जुड़ी जानकारियां देती है। यह कंपनी उपचार से लेकर मेडिकल वार्निंग तक की बातें बताती है।
भारतीय-अमेरिकन ऋषि शाह ने 10 साल पहले ही कॉलेज छोड़ दिया था और आंत्रेप्रेन्योर बनने का सपना देखने लगे। अब वह एक अरबपति बन चुके हैं। उनकी बिजनेस पार्टनर श्रद्धा अग्रवाल भी जल्द ही इस सूची में शामिल होने वाली हैं। उन दोनों ने मिलकर साल 2006 में शिकागो में एक हेल्थ केयर टेक कंपनी 'आउटकम हेल्थ' की नींव रखी थी। उनकी कंपनी आउटकम न केवल डॉक्टरों को अपनी सेवाएं दे रही है, बल्कि मरीजों को भी सेवा मुहैया करा रही है। आउटकम हेल्थ एक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके फिजिशियन को सेवाएं दे रही है, साथ ही मरीजों को भी उपचार से जुड़ी जानकारियां देती है। यह कंपनी उपचार से लेकर मेडिकल वार्निंग तक की बातें बताती है।
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आज आउटकम हेल्थ पिछले सप्ताह ही न केवल सबसे नई यूनिकॉर्न कंपनी का दर्जा प्राप्त करनेवाली कंपनी है, बल्कि यह एक बिलियन डॉलर मूल्य की करीब 200 कंपनियों की सूची में टॉप 30वां स्थान भी हासिल कर चुकी है।
मीडिया को दिए गए एक इंटरव्यू में ऋषि ने बताया कि 'डॉक्टरों के दफ्तरों में कॉन्टेंट मुहैया करानेवाली कंपनी का शुरुआती विचार मुझे मेरी बहन की प्रेरणा से आया। मेरी बहन को टाइप 1 डायबिटीज है। उसे इंसूलिन पंप मिलता है तो उसका ब्लड सुगर कंट्रोल बेहतर हो जाता है। वह अपना ब्लड शुगर की जांच ज्यादा प्रभावी तरीके से कर पाती है। डिवाइस बनानेवाले, इन्सूलिन बनानेवाले, ब्लड ग्लूकोमीटर, डॉक्टर सब फायदे में हैं, लेकिन सबसे ज्यादा फायदे में हैं मरीज। खासकर मेरी बहन को बहुत फायदा हुआ है।' आज आउटकम हेल्थ पिछले सप्ताह ही न केवल सबसे नई यूनिकॉर्न कंपनी का दर्जा प्राप्त करनेवाली कंपनी है, बल्कि यह एक बिलियन डॉलर मूल्य की करीब 200 कंपनियों की सूची में टॉप 30वां स्थान भी हासिल कर चुकी है।
कॉलेज में मिली बिजनेस पार्टनर
ऋषि ने नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। यूनिवर्सिटी में ही उनकी मुलाकात एक साथी स्टूडेंट श्रद्धा अग्रवाल से हुई। शिकागो में डॉक्टरों के दफ्तरों के दरवाजे खटखटाते हुए दोनों को अपने आइडिया पर काम करने की भूख पैदा हुई। कंपनी के सीईओ 31 वर्षीय ऋषि शाह और प्रेजिडेंट श्रद्धा अग्रवाल साल 2006 में नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी रहते हुए कॉन्टेक्स्टमीडिया की स्थापना की थी। कंपनी बिना किसी बाहरी निवेश के फिजिशियनों और अस्पतालों को वीडियो मॉनिटर सर्विसेज बेचने लगी। अगले 10 सालों में कंपनी का काम-काज काफी बढ़ गया। अब बड़े निवेशकों की नजर उनकी कंपनी पर पड़ने लग गई।
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लेकिन शाह और अग्रवाल ने ऑर्गेनिकली बढ़ने और मालिकाना हक अपने पास रखने का निर्णय लिया। दोनों ने सारे इन्वेस्टमेंट ऑफर्स ठुकरा दिए। जब कंपनी को पहली बड़ी फंडिंग मिलने वाली थी, तो कंपनी ने अपना नाम बदलकर आउटकम हेल्थ कर दिया गया। आउटकम हेल्थ मरीजों और डॉक्टर्स दोनों की मदद कर रहा है। वह देश भर के हॉस्पिटल्स और हेल्थ केयर ऑफिस को टच स्क्रीन मॉनिटर्स उपलब्ध करा रहा है। शाह के पिता एक डॉक्टर हैं, जो कई साल पहले भारत से अमेरिका जा बसे थे। उनकी मां ने भी अपने पति का मेडिकल प्रैक्टिस में हाथ बंटाया। शाह शिकागो के उपनगरीय इलाके ओक ब्रूक में पले-बढ़े हैं।
ऐसे मिली कंपनी को पहचान
आउटकम हेल्थ न केवल नई यूनिकॉर्न कंपनी है, बल्कि उसे बीते हफ्ते सम्मान भी मिला। साथ ही, वह पहले ही 100 करोड़ डॉलर की करीब 200 नॉन पब्लिक कंपनियों की लिस्ट में 30वें पायदान पर पहुंच गई। दोनों ने जब अपनी कंपनी शुरू की थी तब इसकी लागत 600 मिलियन डॉलर लगी थी और अब इसका वैल्युएशन 5.6 बिलियन डॉलर पर पहुंच चुका है।
क्रेन के मुताबिक, कंपनी को बीते साल 13 करोड़ डॉलर से ज्यादा का रेवेन्यू मिला और उनका ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन करीब 40 फीसदी रहा। आउटकम हेल्थ पिछले दो साल से अपने रेवेन्यू को डबल कर रही है। साथ ही, कंपनी ने नवंबर 2006 में एक्ससेंट हेल्थ को भी खरीदा है।