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जेटली को हैं दिवाला व्यवस्था से उम्मीदें

भारतीय दिवाला एवं शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) की स्थापना दिवाला एवं अक्षमता संहिता के तहत की गई है। इसका मकसद कारपोरेट लोगों, भागीदारी फर्मों और व्यक्तिगत लोगों के लिए पुनर्गठन तथा दिवाला प्रस्ताव से संबंधित कानूनां को मजबूत व संशोधित करना है।

जेटली को हैं दिवाला व्यवस्था से उम्मीदें

Tuesday November 29, 2016 , 4 min Read

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, कि नई दिवाला व्यवस्था को लेकर काफी उम्मीदें हैं। उन्होंने भरोसा जताया कि आने वाले वर्षों में यह व्यवस्था वांछित परिणाम देगी। भारतीय दिवाला एवं शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) की स्थापना दिवाला एवं अक्षमता संहिता के तहत की गई है। इसका मकसद कारपोरेट लोगों, भागीदारी फर्मों और व्यक्तिगत लोगों के लिए पुनर्गठन तथा दिवाला प्रस्ताव से संबंधित कानूनों को मजबूत व संशोधित करना है।

वित्त मंत्री अरुण जेटली

वित्त मंत्री अरुण जेटली


वित्त मंत्री अरुण जेटली के पास कारपोरेट मामलों के मंत्रालय का भी प्रभार है। उन्होंने आईबीबीआई द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कहा कि मौजूदा सरकार ने आधुनिक दिवाला व्यवस्था की स्थापना के लिए नई पहल की है, जो दुनिया में सर्वश्रेष्ठ व्यवहार पर आधारित है।

दूसरी तरफ वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि समावेशी वृद्धि सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक है और सामाजिक क्षेत्र को संसाधनों का आवंटन बढ़ रहा है। विभिन्न सामाजिक क्षेत्र समूहों के प्रतिनिधियों के साथ बजट पूर्व बैठक में इस बात पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि सरकार बेहतर शिक्षा प्रणाली व विशेषकर बच्चों, महिलाओं व वरिष्ठ नागरिकों के लिए प्रभावी हेल्थकेयर पर ध्यान केंद्रित करते हुए व्यापक समाज कल्याण प्रणाली बनाना चाहती है। सामाजिक क्षेत्र को संसाधनों का आवंटन बढ रहा है। बेहतर नीतियों व समयबद्ध कार्यान्वयन के जरिए प्रभावी बदलाव लाया जाना समय की जरूरत है। बैठक में सामाजिक क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने वित्त मंत्री को 2017-18 के आगामी बजट के बारे में कई तरह के सुझाव दिये। प्रतिनिधियों ने सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं के लिये अधिक धन आंवटित किये जाने और ऐसी सभी योजनाओं के कार्यान्वयन की निगरानी के लिये समूचित व्यवस्था किये जाने पर जोर दिया। प्रतिनिधियों को सुझाव था कि विशेष रूप से खनन क्षेत्र के कामगारों के बच्चों के लिये स्कूल में स्वच्छ पीने के पानी और साफ सफाई के बेहतर व्यवस्था होनी चाहिये। उनके स्वास्थ्य देखभाल की भी बेहतर व्यवस्था होनी चाहिये। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि स्वास्थ्य चिंताओं को देखते हुये सभी तंबाकू उत्पादों पर अधिक से अधिक कर लगाया जाना चाहिये।

उधर दूसरी तरफ बात यदि आयकर की, की जाये तो विशेषज्ञों ने आयकर कानून में प्रस्तावित संशोधन को सभी पक्षों के लिये फायदेमंद बताया है। उनका कहना है कि यह कालाधन रखने वालों को 50 प्रतिशत कर और जुर्माना देकर पाक साफ होने का एक और मौका देगा। केपीएमजी (इंडिया) पार्टनर और कर मामलों के प्रमुख गिरीश वनवारी ने कहा, ‘जो प्रस्तावित संशोधन हैं, वे प्रगतिशील हैं और नोटबंदी की घोषणा के बाद बैंक खातों में जमा राशि पर जुर्माने को लेकर अनिश्चितता पर विराम लगाता है।’ 

वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आयकर कानून में संशोधन के लिये लोकसभा में कालाधान कानून (दूसरा संशोधन) विधेयक 2016 पेश किया। इसमें प्रस्ताव किया गया है कि अगर लोग अपनी अघोषित नकद की घोषणा करते हैं तो उन्हें कर एवं जुर्माने के रूप में 50 प्रतिशत देना होगा, जबकि ऐसा नहीं करने और पकड़े जाने पर 85 प्रतिशत कर एवं जुर्माना लगेगा। प्रस्तावित संशोधित आयकर कानून में यह भी प्रावधान है कि घोषणा करने वालों को अपनी कुल जमा राशि का 25 प्रतिशत प्रधानमंत्री मंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) में लगाना होगा जहां कोई ब्याज नहीं मिलेगा। साथ ही इस राशि को चार साल तक नहीं निकाला जा सकेगा। उन्होंने कहा, ‘यह संशोधन काफी रणनीतिक जान पड़ता है और सभी के लिये फायदेमंद है क्योंकि अगर सब कुछ अच्छा रहता है तो कर संग्रह उल्लेखनीय रूप से बढ़ेेगा।

पुन: विशेष बांड के जरिये देश में निवेश के लिये धन जुटाया जा सकता है। इतना ही नहीं करदाता के पास अघोषित आय का 25 प्रतिशत भविष्य में उपयोग के लिये रहेगा। अघोषित नकद और बैंक जमा का बड़ा हिस्सा वैकल्पिक पीएमजीकेवाई के अंतर्गत आएगा।

ग्रांट थोर्नटन एडवाइजरी निदेशक रियाज थिंगना का मानना है, कि प्रस्तावित संशोधन जटिल मुद्दे पर कुछ निश्चितता लाएगा और चूककर्ताओं को अपनी अघोषित नकद अर्थव्यवस्था में लगाने के लिये एक स्वीकार्य मार्ग उपलब्ध कराएगा।