Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

इस प्लेटफ़ॉर्म की मदद से आप भी मिनटों में बना सकते हैं ख़ुद का ऑनलाइन ऐप

इस प्लेटफ़ॉर्म की मदद से आप भी मिनटों में बना सकते हैं ख़ुद का ऑनलाइन ऐप

Thursday March 15, 2018 , 5 min Read

स्मार्टफोन में ढेर सारे ऐप रखने से हर यूज़र कतराता है, क्योंकि ये फोन का स्पेस ख़त्म करते हैं और उसके परफ़ॉर्मेंस पर भी असर डालते हैं। इस समस्या को ख़त्म करते हुए बेंगलुरु आधारित स्टार्टअप, 'ऐप ब्राउज़र', एक ही प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए उपभोक्ताओं को कई ऐप्स के इस्तेमाल करने की सुविधा के साथ-साथ, छोटे बिज़नेस वेंचर्स को सेल करने की सुविधा भी मुहैया करा रहा है।

image


मार्च, 2017 में लॉन्च हुआ ऐप ब्राउज़र, रॉइज टेक्नॉलजीज़ का प्रोडक्ट है। ऐप ब्राउज़र की मदद से कोई भी बना सकता है अपना ऐप। कोई भी वेंचर इस प्लेटफ़ॉर्म से जुड़ने के 15 मिनटों के भीतर ही शुरू कर सकता है सेल।

स्टार्टअप: ऐप ब्राउज़र

फाउंडर्स: सनी गुरनानी और वेंकटेश राव

शुरूआत: 2017

जगह: बेंगलुरु

सेक्टर: मोबाइल-ऐप टेक्नॉलजी

फ़ंडिंग: 600,000 डॉलर की एंजल फ़ंडिंग

स्मार्टफोन में ढेर सारे ऐप रखने से हर यूज़र कतराता है, क्योंकि ये फोन का स्पेस ख़त्म करते हैं और उसके परफ़ॉर्मेंस पर भी असर डालते हैं। इस समस्या को ख़त्म करते हुए बेंगलुरु आधारित स्टार्टअप, 'ऐप ब्राउज़र', एक ही प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए उपभोक्ताओं को कई ऐप्स के इस्तेमाल करने की सुविधा के साथ-साथ, छोटे बिज़नेस वेंचर्स को सेल करने की सुविधा भी मुहैया करा रहा है। यहां तक कि ये बिज़नेस या सर्विस प्रोवाइडर्स, ऐप ब्राउज़र की मदद से अपना ऐप भी बना सकते हैं। कोई भी वेंचर प्लेटफ़ॉर्म से जुड़ने के 15 मिनटों के भीतर सेल शुरू कर सकता है। मार्च, 2017 में लॉन्च हुआ ऐप ब्राउज़र, रॉइज टेक्नॉलजीज़ का प्रोडक्ट है।

रॉइड टेक्नॉलजीज़ अक्टूबर 2015 में शुरू हुई थी। ऐप ब्राउज़र के डिवेलपमेंट की कहानी बताते हुए कपंनी के सीईओ सनी गुरनानी बताते हैं कि पहले प्रोटोटाइप से सॉल्यूशन देने में काफ़ी दिक्कतें पेश आईं। सनी मानते हैं कि अगर वे उस समय हिम्मत हार जाते तो आज ऐप ब्राउज़र के पास 2.5 लाख से अधिक ग्राहक न होते। ऐप ब्राउज़र की टीम ने सिंगापुर के एंजल इनवेस्टर से 600,000 डॉलर की फ़ंडिंग जुटाई है। सनी, ऐप ब्राउज़र की ख़ासियतों के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि आमतौर पर छोटे या लोकल बिज़नेस वेंचर्स ऐप बनाने का खर्चा नहीं कर पाते और न ही उसके प्रमोशन पर पैसा खर्च कर सकते हैं। उनकी सहूलियत को ध्यान में रखते हुए और छोटी बिज़नेस यूनिट्स को बढ़ावा देने के लिए ऐप ब्राउज़र डिवेलप किया गया है।

पढ़ें: 20 साल की उम्र से बिज़नेस कर रहा यह शख़्स, जापान की तर्ज पर भारत में शुरू किया 'कैप्सूल' होटल

सनी ने योर स्टोरी को बताया कि उन्होंने सबसे पहले कॉलेज स्टूडेंट्स को टार्गेट किया। उनके मुताबिक़, अभी भी ज़्यादातर स्टूडेंट्स के पास हाई-एंड स्मार्टफोन नहीं है और उनके पास फोन में स्पेस की समस्या रहती है। ऐसे स्टूडेंट्स के लिए ऐप ब्राउज़र, बेहद कारगर है। बजट सीमित होने की वजह से टीम ने मार्केटिंग का काम भी कॉलेज ऐम्बैसडर्स के ज़रिए करवाया। ऐप ब्राउज़र प्लेटफ़ॉर्म की प्लानिंग थी कि शुरूआती 6-8महीनों में पर्याप्त मात्रा में यूज़र्स जोड़े जा सकें। सितंबर 2017 तक ऐप ब्राउज़र्स के यूज़र्स की संख्या 75,000 तक पहुंच सकी और कमाई शुरू हुई। फ़िलहाल, ऐप के 2.5 लाख से ज़्यादा यूज़र्स हैं और हर महीने 25 लाख रुपयों से अधिक का ट्रांजैक्शन होता है। मासिक रेवेन्यू ग्रोथ रेट 25 प्रतिशत का है।

ऐप और कैटेगरीज़ के हिसाब से हर सेल पर ऐप ब्राउज़र का मुनाफ़ा 3-12 प्रतिशत के बीच होता है। अगर ऐप सेल्स की बात करी जाए, तो स्टार्टअप का रेवेन्यू 1.3 लाख रुपयों के आस-पास पहुंचता है। बिल्डर प्लेटफ़ॉर्म के बारे में बात करें तो इस माध्यम से कमाई पिछले महीने ही शुरू हुई। फ़रवरी में कमाई का आंकड़ा 1 लाख रुपए से अधिक का है। सनी बताते हैं कि पिछले महीने लॉन्च हुए 'एक्सप्रेस ऐप्स' से अभी तक 75 से ज़्यादा बिज़नेस वेंचर्स जुड़ चुके हैं। ज़ाहिर तौर पर आवश्यकता से अधिक विकल्प ग्राहकों या उपभोक्ताओं के सामने असमंजस की स्थिति पैदा करते हैं। कौन सा ऐप, उनके लिए सबसे उपयुक्त है? यह सवाल बना रहता है। इस चुनौती को दूर करने के लिए सेक्टर की कई कंपनियां लंबे वक्त से अपने-अपने सॉल्यूशन्स खोज रही हैं और विकसित भी कर रही हैं।

ऐप ब्राउजर की टीम

ऐप ब्राउजर की टीम


सनी ने बताया कि गूगल प्ले स्टोर और ऐपल स्टोर पर 5 मिलियन से ज़्यादा ऐप्स हैं, लेकिन ज़्यादातार यूज़र्स के फोन में 20 से भी कम ऐप इन्सटॉल होते हैं। लोकल बिज़नेस चलाने वालों को इन ऐप्स पर जगह नहीं मिल पाती क्योंकि ये काफ़ी महंगे और समय खर्च करने वाले होते हैं। ऐप बिल्डर प्लेटफ़ॉर्म के तौर पर भी ऐप ब्राउज़र के कई प्रतियोगी मार्केट में मौजूद हैं। बाजार में प्रतियोगिता के बारे में बात करते हुए सनी कहते हैं कि अगर आप किसी बिज़नेस के लिए ऐप बनाते हैं तो सिर्फ़ ऐप के ज़रिए ग्राहकों तक पहुंचना लगभग असंभव है। इसके पीछे की वजह यह है कि ऐप मार्केटिंग एक पूरी तरह से अलग काम है और किसी भी ऐप को प्रमोट करने के लिए पर्याप्त पैसा और स्किल लगते हैं।

ऐप ब्राउज़र, 'बी टू सी' ऐप और 'बी टू बी बिल्डर' प्लेटफ़ॉर्म, दोनों ही ज़रियों से पैसा कमा रहा है। ऐप ब्राउज़र ने ऊबर, ओला, ज़ोमेटो, ऐमज़ॉन और फ़्लिपकार्ट जैसे बड़े मार्केट प्लेयर्स के साथ पार्टनरशिप कर रखी है। इसके तहत, जब भी कोई यूज़र प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए ऐप का इस्तेमाल करता है, तो सेल का कुछ हिस्सा ऐप ब्राउज़र के खाते में जाता है। सनी मानते हैं कि रेवेन्यू ग्रोथ, उनके क़यासों से भी बेहतर है। अब टीम इंटिग्रेटेड मार्केटिंग मॉड्यूल भी तैयार कर रही है, जो रेवेन्यू का तीसरा सोर्स होगा। सनी बताते हैं कि टीम की प्लानिंग है कि प्लेटफ़ॉर्म के यूज़र ऐक्सपीरियंस को और भी सहज बनाया जाए ताकि छोटी बिज़नेस यूनिट्स भी मिनटों में ऐक्सप्रेस ऐप बना सकें। टीम का लक्ष्य है कि 2018 के अंत तक यूज़र्स की संख्या को 1.25 मिलियन तक और बिज़नेस वेंचर्स के आंकड़े को 2,000 तक पहुंचाया जा सके।

यह भी पढ़ें: मिलिए एमबीबीएस करने के बाद 24 साल की उम्र में गांव की सरपंच बनने वाली शहनाज खान से