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बैंकिंग के क्षेत्र में बड़ा नाम करने वाली देश की प्रभावशाली और शक्तिशाली महिलाएं

अरुंधति भट्टाचार्य, चंदा कोचर, नैना लाल किदवई, रेनू सूद कर्नाड और शिखा शर्मा की कहानी

बैंकिंग के क्षेत्र में बड़ा नाम करने वाली देश की प्रभावशाली और शक्तिशाली महिलाएं

Thursday June 25, 2015 , 8 min Read

भारतीय बैंकिंग के क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ने के अलावा एक निर्णायक और अहम भूमिका निभा रही हैं। वास्तव में बैंकिंग के इस क्षेत्र में महिलाएं शीर्ष स्थानों तक पहुंचने में कामयाब हो रही हैं और इसका जीता-जागता सबूत है कई बैंकों के सीईओ के पदों पर काबिज हुई महिलाएं। यहां तक परिसंपत्तियों के मामले में देश के सबसे बड़े बैंक का संचालन भी एक महिला ही कर रही है! आइये आपको रूबरू करवाते हैं देश की सबसे शक्तिशाली महिला बैंकरों से जो देश के भविष्य को एक नया रूप देने के प्रयासों में लगी हुई हैं।


अरुंधति भट्टाचार्य, अध्यक्ष, भारतीय स्टेट बैंक

अरुंधति भट्टाचार्य

अरुंधति भट्टाचार्य


अरुंधति भट्टाचार्य को परिसंपत्तियों के मामले में देश के सबसे बड़े बैंक की पहली महिला अध्यक्ष होने का गौरव प्राप्त हुआ है। अरुंधति ने वर्ष 1977 में भारतीय स्टेट बैंक में एक प्रोबेशनरी अधिकारी (पीओ) के रूप में अपनी नौकरी शुरू की थी। बैंक के साथ 36 वर्षों के अपने लंबे करियर के दौरान अरुंधति ने कई महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दीं। वे बैंक की व्यापारिक बैंकिग शाखा - एसबीआई कैपिटल्स मार्केट्स की मुख्य कार्यकारी अधिकारी रहने के अलावा नई परियोजनाओं की देखभाल हेतु मुख्य महाप्रबंधक के पद पर भी आसीन रहीं। इसके अलावा वे बैंक की न्यूयाॅर्क शाखा में भी अपनी सेवाएं दे चुकी हैं। वे एसबीआई जनरल इंश्योरेंस, एसबीआई कस्टोडियल सेवाओं और एसबीआई मैक्वेरी इंफ्रास्ट्रक्चर फंड जैसे कई नए वयवसायों के शुभारंभ में बेहद सक्रिय रूप से शामिल रही हैं। अध्यक्ष पद पर आसीन होने से पहले वे भारतीय स्टेट बैंक में प्रबंध निदेशक और मुख्य वित्तीय अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दे चुकी हैं।


चंदा कोचर, प्रबंध निदेशक और सीईओर्, आअसीआईसीआई बैंक लिमिटेड

भारत के दूसरे सबसे बड़े बैंक और निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई बैंक का नेतृत्व करने के अलावा चंदा कोचर भारत में खुदरा बैंकिंग के क्षेत्र को नया आकार देने और भारत और दूसरे देशों में विभिन्न मंचों पर अपने योगदान के लिये भी जानी जाती हैं।

चंदा कोचर

चंदा कोचर


चंदा कोचर ने वर्ष 1984 में तत्कालीन आईसीआईसीआई लिमिटेड के साथ अपने व्यवसायिक जीवन का प्रारंभ किया और वर्ष 2001 में वे आईसीआईसीआई बैंक के निदेशक मंडल में शामिल होने में कामयाब रहीं। उन्होंने 1990 के दशक के दौर में आईसीआईसीआई बैंक को स्थापित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और तत्पश्चात बैंक के इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस और काॅर्पोरेट बैंकिंग के कारोबार को बखूबी संभाला। वर्ष 2000 में उन्होंने प्रौद्योगिकी, नई तकनीक, प्रक्रिया पुनर्रचना और विस्तार पर अपना ध्यान निवेश करते हुए उन दिनों सामने आ रहे खुदरा व्यापार की चुनौती का बखूबी सामना किया। यह उनके ही करिश्माई नेतृत्व का कमाल था कि बैंक इस क्षेत्र में बेहद कामयाब रहा और अग्रणी होकर सामने आया।

वर्ष 2006-2007 के दौरान जब भारतीय कंपनियां तेजी से वैश्विक फलक पर विस्तार कर रही थीं तब उन्होंने बैंक के काॅर्पोरेट और अंतर्राष्ट्रीय बैंकिग व्यवसायों का नेतृत्व किया। वर्ष 2007 से 2009 के दौरान जब वैश्विक वित्तीय परिदृश्य में तेजी से बदलाव हो रहे थे उस दौरान इन्होंने बैंक की संयुक्त प्रबंध निदेशक और मुख्य वित्तीय अधिकारी की कुर्सी का बखूबी संभाला। वर्ष 2009 में उन्हें आईसीआईसीआई बैंक की प्रबंध निदेशक बनाने के अलावा मुख्य कार्यकारी अधिकारी का प्रीभार भी सौंपा गया और उसके बाद से वे भारत और विदेशों में होने वाली बैंक की हर गतिविधि की जिम्मेदारी को संभाल रही हैं। इसके अलावा वे बैंक की सभी प्रमुख सहायक कंपनियों के बोर्ड की अध्यक्ष भी हैं जिनमें भारत की निजी क्षेत्र की जीवन और सामान्य क्षेत्र की प्रमुख कंपनियां शामिल हैं।

आईसीआईसीआई समूह में अपनी जिम्मेदारियों के अलावा चंदा कोचर व्यापार और उद्योग से संबंधित प्रधानमंत्री द्वारा गठित एक परिषद की सदस्य भी हैं। साथ ही वे बोर्ड आॅफ ट्रेड की सदस्य, फाइनेंसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर उच्च स्तरीय समिति, अमेरिका-भारत सीईओ फोरम और ब्रिटेन-भारत सीईओ फोरम की सदस्य भी हैं। चंदा इसके साथ ही साथ अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधान के लिए भारतीय परिषद, राष्ट्रीय प्रतिभूति बाजार संस्थान, अंतर्राष्ट्रीय वित्त संस्थान और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा सम्मेलन के बोर्ड की भी सदस्य हैं। इसके अलावा वे वर्ष 2011 में आयोजित हुए विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक की सहअध्यक्ष भी रह चुकी हैं। चंदा को वर्ष 2011 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान में से एक पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है।


नैना लाल किदवई, समूह महाप्रबंधक और कंट्री हेड, एचएसबीसी इंडिया

नैना लाल किदवई एचएसबीसी इंडिया की कंट्री हेड होने के अलावा बोर्ड में कार्यकारी निदेशक के पद पर भी कार्यरत हैं। हार्वर्ड बिजनस स्कूल से एमबीए कर चुकी नैना लाल किदवई भारत समेत कई अन्य देशों में नेतृत्व और व्यापार में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिये कई पुरस्कार प्राप्त कर चुकी हैं। वाॅल स्ट्रीट जनरल की वयापार के क्षेत्र में शीर्ष महिलाओं की फॉर्च्यून ग्लोबल लिस्ट और फाइनेंशियल टाइम्स ग्लोबल लिस्ट आॅफ वोमेन में लगातार अपना स्थान बनाने वाली चंदा वर्ष 2002 में टाइम्स पत्रिका की 15 ग्लोबल इंफ्लूएंसर्स के रूप में सूचिबद्ध किया गया था।

नैना लाल किदवई

नैना लाल किदवई


नैना लाल किदवई को व्यापार और उद्योग में उनके योगदान के लिये भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है। आईसीआईसीआई के अलावा वे विश्वस्तर पर कई अन्य कंपनियों के साथ भी जुड़ी हुई हैं। वे नेस्ले एसए के बोर्ड पर गैर कार्यकारी निदेशक के रूप में जुड़ी होने के अलावा सिटी आॅफ लंदन्स एडवायजरी काउंसिल फाॅर इंडिया की अध्यक्ष, हार्वर्ड बिजनस स्कूल की वैश्विक सलासहकार होने के अलावा भारतीय सलाहकार बोर्ड की अध्यक्ष भी हैं। इसके अलावा नैना किदवई भारतीय ग्रामीण महिलाओं के लिये लघु वित्त सेवाएं देते हुए और आजीविका निर्माण करने और पर्यावरण के क्षेत्र में भी सक्रिय भूमिका निभाती हैं। वे फिक्की की अध्यक्ष भी हैं।


रेनू सूद कर्नाड, प्रबंध निदेशक, एचडीएफसी

रेनू सूद कर्नाड

रेनू सूद कर्नाड


रेनू सूद कर्नाड एचडीएफसी की प्रबंध निदेशक हैं। उन्होंने मंुबई विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक करने के अलावा दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में परस्नातक की डिग्री भी हासिल की है। वे अमरीका की प्रसिद्ध प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के वुडरो विल्सन स्कूल आॅफ इंटीनेश्नल अफेयर से परवीन फेलो भी हासिल कर चुकी हैं। वे वर्ष 1978 से इस संस्थान के साथ जुड़ी हुई हैं और वर्ष 2000 में उन्हें कार्यकारी निदेशक के रूप में चुना गया। इसके बाद अक्टूबर 2007 मेें वे दोबारा संस्थान की संयुक्त प्रबंध निदेशक के रूप में चुनी गईं। उन्हें 1 जनवरी 2010 से 5 वर्ष की अवधि के लिये संस्थान में प्रबंध निदेशक के रूप में नियुकत किया गया। इस पद पर रहते हुए वह संस्थान के संचालन, मानव संसाधन और संचार कार्यों की जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रही हैं। उन्हें वाॅल स्ट्रीट जर्नल द्वारा एशिया की आने वाले समय की 10 शीर्ष महिलाओं में स्थान दिया गया है।


शिखा शर्मा, प्रबंध निदेशक और सीईओ, एक्सिस बैंक

शिखा शर्मा

शिखा शर्मा


शिखा शर्मा वर्ष 2009 से एक्सिस बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पद पर आसीन हैं। शिखा ने एक्सिस बैंक के साथ अपने करियर का प्रारंभ किया और प्रारंभ में वे प्रोजेक्ट फाइनेंस, रिटेल बैंकिंग और निवेश बैंकिंग जैसे क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दी रही थीं। आखिरी जिम्मेदारी के तौर पर उन्होंने देश की निजी क्षेत्र की बीमा अग्रणी कंपनी आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस कंपनी की प्रबंध निदेशक ओर सीईओ के पद को सफलतापूर्वक संभाला। शिखा की उपलब्धियों के लिये वैश्विक रूप पर मान्यता मिली है और वे विभिन्न पुरस्कारों से नवाजी जा चुकी हैं। 2012 में आयोजित हुए एआईएमए के मैनेजिंग इंडिया अवार्डस में ‘वर्ष की परिवर्तनकारी बिजनस लीडर’, उसी वर्ष ब्लूमबर्ग-यूटीवी फाइनेंशियल लीडरशिप अवार्डस में ‘वोमेन लीडर आॅफ द ईयर’ का पुरस्कार जीतने के अलावा वे वर्ष 2012 में ही बिजनसवल्र्डस बैंकर आॅफ द ईयर से भी सम्मानित हो चुकी हैं। इसके अलावा उन्हें कुछ प्रमुख प्रकाशनों में भी उल्लेखनीय स्थान मिला है। उन्हें वर्ष 2012 की फोब्र्स की एशिया की 50 पावर बिजनस वुमैन की सूची में स्थान मिलने के अलावा इंडियन एक्सप्रेस की ओर से वर्ष 2012 के शक्तिशाली भारतीयों में भी शामिल रही हैं। इसके अलावा वे इंडिया टुडे की वर्ष 2012 की प्रभावशाली महिलाओं की पावर लिस्ट में भी शामिल हो चुकी हैं।


शुभलक्ष्मी पानसे, अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, इलाहाबाद बैंक

शुभलक्ष्मी पानसे ने जनवरी 2012 में बैंक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के रूप में पदभार ग्रहण किया। अपनी इस वर्तमान नियुक्ति से पहले वे नवंबर 2009 से विजया बैंक में कार्यकारी निदेशक के पद पर आसीन थीं। विजया बैंक में वे सभी विभागों के प्रबंधन का काम देखने के अलावा बैंक के प्रशासन और व्यापार के विकास के काम की जिम्मेदारी संभाल रही थीं। सुश्री पानसे ने वर्ष 1976 में बैंक आॅफ महाराष्ट्र में एक प्रोबेशनरी अधिकारी के रूप में अपने बैंकिंग करियर का आगाज किया था। उन्होंने बैंक ऑफ महाराष्ट्र में अपने कार्यकाल के दौरान देश में कई स्थानों पर विभिन्न स्तरों पर ऋण प्रबंधन, रिकवरी, खजाना और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे विविध विषयों में व्यापक प्रदर्शन और विशेषज्ञता के कामों में महारथ हासिल करने में कामयाबी पाई थी। इसके अलावा वे बैंक के दक्षिणी उत्तरार्ध की सर्किल हेड भी रहीं और उन्होंने कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरला, गोवा और पांडिचेरी की जिम्मेदारियों को बखूबी संभाला।

शुभलक्ष्मी पानसे

शुभलक्ष्मी पानसे


सुश्री पानसे एनआईबीएम, पुणे, एएससीआईआई एण्ड जेएदआईडीबीआई, हेदराबाद, एमडीआई गुड़गांव, बीटीसी एंड आरबीआई, मुंबई, यूरोपियन स्कूल आॅफ मैनेजमेंट, लंदन, ब्रिटेन, पेरिस और फ्रांस, बैंक आॅफ इंटरनेशनल सेटलमेंट, स्विटजरलैंड और बहरीन के कई प्रतिष्ठित संस्थानों से विभिन्न पाठ्यक्रम और प्रशिक्षण भी ले चुकी हैं।

बैंकिग के क्षेत्र में उनके उललेखनीय योगदान के मद्देनजर पुणे नगर निगम में उन्हें वर्ष 2000 में सम्मानित किया था। इसके अलावा वे विभिन्न पुरस्कारों से भी नवाजी जा चुकी हैं। वर्ष 2005 में इन्हें मुंबई की विसिटेक्स फाउंडेशन द्वारा बैंकर आॅफ द ईयर, मई 2008 में राजीव गांधी फाउंडेशन, उड़ीसा द्वारा बैंकिंग के क्षेत्र में आईटी के क्षेत्र में योगदान के लिए राजीव गांधी सद्भावना पुरस्कार, जून 2008 में एमईएस सोसायटी पुणे द्वारा बैंकिंग में आईटी के क्षेत्र में योगदान के लिए नारी चेतना पुरस्कार और बैंकिंग और वित्त के क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए वर्ष 2011 में सूर्यदत्त राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।