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स्लम के बच्चों को सिलिकॉन वैली के काबिल बनाने के लिए काम कर रहे ये भाई-बहन

भाई-बहन ने मिलकर बनाया एक ऐसा प्रॉडक्ट, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सहारे बच्चों की सही प्रतिभा का करेगा आकलन...

स्लम के बच्चों को सिलिकॉन वैली के काबिल बनाने के लिए काम कर रहे ये भाई-बहन

Tuesday March 06, 2018 , 3 min Read

केरल की निकिता हरी को उन लड़कियों में गिना जा सकता है जो इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद रिसर्च और सोशल स्टार्टअप के क्षेत्र में काम कर रही हैं। इस काम में उनके भाई अर्जुन हरी भी शामिल हैं जो कि 'वुडी' और 'फैवेली' नाम के दो सोशल वेंचर को संभाल रहे हैं। 

 निकिता हरी और अर्जुन

 निकिता हरी और अर्जुन


अर्जुन और निकिता ने एक ऐसा प्रॉडक्ट डेवलप किया जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सहारे बच्चों की सही प्रतिभा का आकलन कर सके। अगर किसी बच्चे की रुचि साहित्य में है तो उसकी प्रतिभा को गणित के सवालों से न जांचा जाए। 

आमतौर पर भारतीय लड़कियां इंजीनियरिंग जैसे पेशे में कम ही जा पाती हैं और उसमें भी इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी ब्रांच में उनका प्रतिशत और भी कम हो जाता है। इसके बाद जब उनकी पढ़ाई खत्म होती है तो अधिकतर नौकरी करना पसंद करती हैं। ऐसी इंजीनियर लड़कियां कम ही होती हैं जो रिसर्च और अकादमिक की दुनिया में अपना मुकाम चुनती हैं। केरल की निकिता हरी को उन लड़कियों में गिना जा सकता है जो इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद रिसर्च और सोशल स्टार्टअप के क्षेत्र में काम कर रही हैं। इस काम में उनके भाई अर्जुन हरी भी शामिल हैं जो कि 'वुडी' और 'फैवेली' नाम के दो सोशल वेंचर को संभाल रहे हैं। ये दोनों अलग-अलग स्टार्टअप हैं।

निकिता ने कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रॉनिक्स ऑफ इंस्ट्रूमेंशन ब्रांच में बीटेक किया फिर पोस्ट ग्रैजुएशन के लिए चेन्नई की एसआरएम यूनिवर्सिटी को चुना। वह कॉलेज में गोल्ड मेडलिस्ट रहीं। इसके बाद वह एनआईटी कोझिकोड में लेक्चरर के तौर पर पढ़ाने लगीं। इसी दौरान उन्होंने रिसर्च के लिए विदेशी यूनिवर्सिटियों में आवेदन किया। उत्कृष्ट शैक्षणिक पृष्ठभूमि और प्रतिभावान होने की वजह से उन्हें कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के साथ-साथ ऑक्सफर्ड और हार्वर्ड में भी एडमिशन मिल गया, लेकिन उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी को चुना। उन्हें वहां के हेड ऑफ डिपार्टमेंट के साथ काम करने काम करने का मौका मिला और यूनिवर्सिटी की तरफ से 50 लाख रुपये की स्कॉलरशिप भी मिली।

निकिता एक ऐसे इंस्ट्रूमेंट पर रिसर्च कर रही हैं जो गैर पारंपरिक ऊर्जा को इलेक्ट्रिक ग्रिड से जोड़ते वर्त ट्रांसमिशन हानि से बचाएगा। वह साइंटिस्ट बनना चाहती हैं और भविष्य में लड़कियों की शिक्षा पर काम करना चाहती हैं। वह उन लड़कियों को रिसर्च के क्षेत्र में लाना चाहती हैं जो पढ़ने में तो प्रतिभाशाली हैं, लेकिन आर्थिक स्थिति की वजह से आगे पढ़ाई नहीं कर पातीं। निकिता के पिता एक व्यवसाई हैं। वह अलबर्ट आइंस्टाइन और स्टीव जॉब को अपना प्रेरणास्रोत मानती हैं। भारत में बेरोजगार युवाओं की लगातार बढ़ती तादाद को देखकर निकिता चिंतित हुईं और उन्होंने एक ऐसा स्टार्टअप शुरू करने के बारे में सोचा जो बच्चों की सही प्रतिभा को पहचान कर उन्हें उनके क्षेत्र में आगे बढ़ाने पर जोर दे।

वह कहती हैं कि स्कूली शिक्षा व्यवस्था में बच्चों को एक दायरे में समेट दिया जाता है और उसके बाहर सोचने की इजाजत नहीं दी जाती। अर्जुन और निकिता ने एक ऐसा प्रॉडक्ट डेवलप किया जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सहारे बच्चों की सही प्रतिभा का आकलन कर सके। अगर किसी बच्चे की रुचि साहित्य में है तो उसकी प्रतिभा को गणित के सवालों से न जांचा जाए। अभी इस आइडिया पर आईआईएम कालीकट में काम हो रहा है और आने वाले समय में यह सामने निकलकर आएगा। वहीं दूसरा स्टार्टअप 'फैवेली' निकिता ने अपने कैंब्रिज के साथियों के साथ शुरू किया था। जिसके जरिए वह स्लम में रहने वाले बच्चों को शिक्षित कर रही हैं।

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