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जानिए कैसे सहेली चटर्जी ने 110 रु से खड़ा किया 1,64,20,000 रु वाला बिजनेस

जानिए कैसे सहेली चटर्जी ने महज 110 रुपये से शुरुआत करते हुए डिजिटल मार्केटिंग सेक्टर में अपनी खास पहचान बनाई. उन्होंने AmbiFem की शुरुआत के साथ ऑन्त्रप्रेन्योरशिप का सफर शुरु किया तथा अपनी इनोवेटिव सोच के जरिए वे लीडर बनकर उभरी और इंडस्ट्री में अपनी छाप छोड़ी.

सहेली चटर्जी (Saheli Chatterjee) का सफर, जो बेहद साधारण शुरुआत से शुरू होकर एक सोशल मीडिया मार्केटिंग एक्सपर्ट के रूप में अपनी खास पहचान बनाने तक का है, वाकई में प्रेरणास्पद है. उनकी कहानी की शुरुआत मात्र 110 रुपये की कमाई से हुई थी, जो उन्होंने अपने पहले क्लाइंट प्रोजेक्ट से अर्जित की थी. आज उनकी सालाना कमाई 1,64,20,000 रुपये तक पहुँच गई है. यह कहानी केवल आंकड़ों की नहीं है, बल्कि धैर्य, कौशल और डिजिटल वर्ल्ड को अपने फायदे के लिए उपयोग करने की कला की है.

शुरुआत

सहेली की कहानी 18 वर्ष की उम्र में शुरू होती है. उन्होंने IIT, IIM, या NIT जैसे पारंपरिक मार्गों को न चुनते हुए, डिजिटल ऑन्त्रप्रेन्योरशिप की अप्रत्याशित दुनिया में कदम रखा. उन्होंने कोलकाता के बेथ्यून कॉलेज से आर्ट्स में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की.

डिजिटल वर्ल्ड

सहेली का डिजिटल वर्ल्ड में कदम उनकी अनुकूलनशीलता और दूरदर्शिता का प्रमाण है. शुरुआत में कंटेंट राइटिंग से शुरुआत करते हुए, उन्होंने जल्द ही मार्केटिंग में अपना रास्ता बना लिया, जहाँ उन्होंने न केवल अपनी पहचान बनाई बल्कि अपने निजी ब्रांड को भी विकसित किया.

AmbiFem: एक साकार सपना

सहेली का डिजिटल एंपायर AmbiFem है, जो उनके दृष्टिकोण का प्रमाण है. इस डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी का नाम महिलाओं की महत्वाकांक्षा और शक्ति को दर्शाता है, जो लॉन्च मैनेजमेंट, सोशल मीडिया मार्केटिंग और परामर्श में विशेषज्ञता प्रदान करती है.

ज्ञान के माध्यम से सशक्तिकरण

सहेली अपने ऑन्त्रप्रेन्योरियल वेंचर के अलावा, दूसरों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. Freelance 101 Academy के माध्यम से, वह डिजिटल वर्ल्ड में काम करने और फलने-फूलने के लिए फ्रीलांसरों को मार्गदर्शन प्रदान करती हैं.

कोलकाता से कनेक्शन

सहेली कोलकाता से हैं. इस शहर से उनका जुड़ाव उनके प्रेम और उनकी यात्रा की शुरुआत का गवाह है. कोलकाता, शायद अपने आरामदायक आकर्षण के साथ, उद्यमियों के लिए एक आदर्श केंद्र नहीं हो सकता हो, लेकिन सहेली के लिए यह प्रेरणा का स्रोत है.

सहेली चटर्जी की कहानी न केवल प्रेरणा देती है बल्कि डिजिटल वर्ल्ड में कदम रखने वालों के लिए एक रोडमैप भी है, जो उन्हें डिजिटल युग की सच्चा एक्सपर्ट बनाती है. हम सभी को इंतजार है कि आगे चलकर सहेली क्या नई उपलब्धियां हासिल करेंगी, लेकिन एक बात निश्चित है: डिजिटल वर्ल्ड उनकी मुट्ठी में है, और उनका सफर अभी शुरू हुआ है.

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