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Zero to One: ये किताब कहती है, अगर इन सवालों का जवाब आपके पास है तभी शुरू करनी चाहिए कंपनी

जिसे भी टेक्नोलॉजी, स्टार्टअप्स और बिजनेस में दिलचस्पी है उसे यह किताब जरूर पसंद आएगी. Peter Thiel ने इस किताब में जिन थियरी पर बात की है, या जिक्र किया है वो पहले से मौजूद किसी आईडिये पर ही एक और नई कंपनी शुरू करने की बजाय ओरिजिनल आईडिया पर ध्यान देने के लिए प्रेरित करती हैं.

Zero to One: ये किताब कहती है, अगर इन सवालों का जवाब आपके पास है तभी शुरू करनी चाहिए कंपनी

Saturday March 18, 2023 , 5 min Read

Zero to One एक नॉन फिक्शन किताब है जो इनोवेशन और स्टार्टअप ईकोसिस्टम पर सटीक और काम की थियरी से रूबरू कराती है. 2014 में आई इस किताब को Peter Thiel ने ब्लैक मास्टर्स के साथ मिलकर लिखा है.

ऑथर ने किताब में मार्क ट्वेन से लेकर टॉल्सटॉय और शेख्सपीयर जैसे लेखकों का जिक्र करते हुए तकनीक की दुनिया को एक्सप्लेन करने की कोशिश की है, जो इस किताब को पढ़ने में बेहद दिलचस्प बनाती है.

जिसे भी टेक्नोलॉजी, स्टार्टअप्स और बिजनेस में दिलचस्पी है उसे यह किताब जरूर पसंद आएगी. Peter Thiel ने इस किताब में जिन थियरी पर बात की है, या जिक्र किया है वो आपको उन चीजों पर ध्यान देने के लिए प्रेरित करती हैं जिन पर अभी तक किसी ने भी ध्यान नहीं दिया है.

किताब का नाम Zero to One इसी कॉन्सेप्ट को बताता है. मान लेते हैं आपने बिल गेट्स से इंस्पायर होकर माइक्रोसॉफ्ट जैसी 5 कंपनियां बना ली, तो कहा जाएगा कि आपने 1 से n  तक का सफर तय किया. लेकिन अगर आप कोई ऐसी चीज बनाते हैं जो इससे पहले मौजूद नहीं थी तो कहा जाएगा आपने जीरो से वन (1) तक का सफर तय किया है. 

यह किताब आपको सॉलिड आईडिया सोचने पर मजबूर करती है ना कि पहले से मौजूद किसी टेक्नोलॉजी में कोई बदलाव जोड़ने के लिए. कोई भी ऐसी परेशानी जिसके लिए बाजार में सलूशन उपलब्ध नहीं है, वो आंत्रप्रेन्योर्स के लिए मौका होती है.

ऑथर के बारे में

Peter Thiel खुद एक अरबपति आंत्रप्रेन्योर हैं, उन्होंने 1998 में  डॉलर का ऑल्टरनेविट पेश करने के लिए Paypal की शुरुआत की थी. उसके बाद वो वेंचर कैपिटलिस्ट बने फिर स्टैनफोर्ड में आंत्रप्रेन्योरशिप पर क्लास दी. वो फेसबुक में पैसे लगाने वाले पहले बाहरी निवेशक थे. उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से फिलॉसॉफी की पढ़ाई की.

जरूरी सवाल

Theil अपने पसंदीदा इंटरव्यू सवाल से किताब की शुरुआत करते हैं, वो कौन सी महत्वपूर्ण सच्चाई है जिस पर आपसे बेहद गिने चुने लोग ही आपसे सहमति जताते हैं? आगे ये किताब आपसे सोचने को कहती है, वो कौन सी ऐसी कंपनी है जिसे कोई नहीं बना रहा?” आपने जो कंपनी सोची है अगर उससे हल्का फुल्का रेट ऑफ रिटर्न नजर आ रहा है तो समझिए कि आपके आईडिये में नयापन नहीं है. वो कहते हैं एक ओरिजनल आईडिया हमेशा आपको मोटा रिटर्न देगा.

अभी तक जिन भी नए आईडिया पर कंपनियां बनाई गई हैं उनमें चार चीजें कॉमन दिखी हैंः

 

  1. इन कंपनियों की सफलता की वजह दमदार, फ्रेश आईडिया था ना कि उनके कदम.
  2. फाउंडर के पास क्लियर प्लान था. कोई भी प्लान ना होने से बेहतर है एक गलत प्लान होना. अपने प्लान में टेक्नोलॉजी का कैसे फायदा उठा सकते हैं.
  3. जिस भी स्पेस में कंपनी शुरू करें उसमें लीडर बनने की कोशिश करें, तभी आपके हिस्से में फायदा आएगा.
  4. सिर्फ अच्छा प्रोडक्ट लाना काफी नहीं होता, उसको बेचना भी जरूरी होता है.

थील आगे लिखते हैं- किस्मत जैसी कोई चीज नहीं होती. स्किल और अच्छी टीम आपकी सफलता को तय करती है.

अकेले एक शख्स स्टार्टअप नहीं बना सकता. उन्होंने जैक डॉर्सी के हवाले से लिखा, सफलता कभी किस्मत से नहीं मिलती. एक फाउंडर के पास लॉन्ग टर्म विजन क्लियर होना चाहिए.

स्टीव जॉब्स ने हर साल नए नए प्रॉडक्ट्स लाकर एपल की तकदीर तय की. जो लोग किसी नए आईडिये के साथ मार्केट में आएंगे वो हमेशा लीडर रहेंगे और जो लोग आईडिया कॉपी करके बिजनेस शुरू करेंगे उनके पास ज्यादा रेवेन्यू हासिल करने का मौका नहीं बचेगा.

क्या इन सवालों का जवाब है?

Thiel के मुताबिक हर स्टार्टअप के पास इन 7 सवालों का जवाब होना चाहिए:

  1. क्या आप ऐसी टेक्नोलॉजी बना सकते हैं जो 10गुना बेहतर है?
  2. क्या ये अपना बिजनेस शुरू करने का सही समय है?
  3. क्या इस बिजनेस के साथ आपके पास मार्केट का बड़ा हिस्सा होगा? हमेशा मोनोपॉली हासिल करने के बारे में सोचना चाहिए.
  4. क्या आपके पास अच्छी टीम है?
  5. क्या आपके पास प्रोडक्ट बनाने नहीं बल्कि उसे डिलीवर करने का भी तरीका है?
  6. क्या आज से 10 या 20 साल में मार्केट पोजिशन बरकरार रखने में सफल रह पाएंगे?
  7. क्या आपने कोई ऐसा मौका ढूंढा है जिस पर अभी तक किसी की नजर नहीं गई?

Thiel का मानना है कि आप कैसे कपड़े पहनते हैं इसका भी असर होता है. वो आपके नजरिये को बदलने के लिए कड़वे सच को कहने से जरा भी हिचकिचाते नहीं हैं. किताब को पढ़कर यकीनन आप सिर्फ ग्रोथ प्लान के बारे सोचना छोड़ देंगे. आपको समझ आएगा कि अगर आप आंत्रप्रेन्योर बनना चाहते हैं तो आप शॉर्ट टर्म रोडमैप के साथ नहीं चल सकते.

Thiel के साथ PayPal में काम करने वाले लोग ही बाद में Yammer, LinkedIn, YouTube और Yelp जैसी कंपनियों का हिस्सा बने. अगर कोई आंत्रप्रेन्योर अपना बिजनेस शुरू करना चाह रहा है तो उसे इस किताब को पढ़कर ये समझ आ जाएगा कि क्या ये आईडिया वाकई दमदार है? क्या वाकई इस आईडिया से उन्हें प्रॉफिट मिलने वाला है? क्या इस आईडिये में सेगमेंट लीडर बनाने की काबिलियत है?

कुल मिलाकर अगर आप भी आंत्रप्रेन्योर बनने या आम शब्दों में कहें तो अपना कुछ शुरू करने की सोच रहे हैं तो इस किताब को एक बार जरूर पढ़ें.


Edited by Upasana