Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
ADVERTISEMENT
Advertise with us

अपने बुरे समय के दौरान इन 8 संगठनों पर भरोसा कर सकती हैं महिलाएं

अपने बुरे समय के दौरान इन 8 संगठनों पर भरोसा कर सकती हैं महिलाएं

Monday February 24, 2020 , 10 min Read

भारत में जब भी महिलाओं के खिलाफ होने वाले शारिरिक या यौन हिंसा के आंकड़े सामने आते हैं, तो वे काफी डरावने होते हैं। फिर चाहें वे आंकड़े किसी भी घंटे, दिन या साल के हों। हालांकि अब ऐसे कई संगठन सामने आए हैं जो महिलाओं को हिंसा के इस निरंतर खतरे से निपटने में मदद करने और हमारे देश को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। ये संगठन नीतिगत बदलावों की शुरुआत करने के साथ जनता को शिक्षित करने के इरादे से जागरूकता अभियान भी चलाते हैं। ऐसे संगठन आमतौर पर नीचे दिए गए उद्देश्यों में से एक या अधिक उद्देश्य के साथ काम करते हैं:


  • असुरक्षित या हिंसक वातावरण से महिलाओं और बच्चों को बचाना और उन्हें रहने के लिए एक सुरक्षित स्थायी या अस्थायी आश्रय मुहैया कराना


  • कमजोर महिलाओं को वित्तीय सहायता या व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करना और उन्हें आर्थिक और सामाजिक रूप से आत्मनिर्भर बनने में मदद करना


  • यौन या शारीरिक हिंसा के पीड़िताओं को कानूनी सहायता दिला उन्हें उनके अधिकारों के बारे में समझाना और उन्हें न्याय दिलाने के लिए न्यायिक प्रक्रिया शुरू करना


  • काउंसलिंग के जरिए मनोवैज्ञानिक स्तर पर उन्हें मदद देना


हालांकि जब एक महिला कठिन मानसिक पीड़ा से गुजर रही होती है तो उसके लिए इन सैकड़ों संगठनों के बारे में खोजना, सभी से संपर्क करना और फिर उनमें से एक सही संगठन चुनना काफी मुश्किल भरा काम है। ऐसे में मैंने यहां उन सभी संगठनों के नाम को एक जगह पर देने की कोशिश की है, जो कमजोर महिलाओं के लिए एक निर्देशिका के रूप में काम कर सकता है।


k

फोटो क्रेडिट: getty images


आजाद फाउंडेशन

आज़ाद फाउंडेशन उन महिलाओं के लिए काम करता है जो अपने पति पर वित्तीय निर्भरता के चलते अपमानजनक रिश्तों में बनी हुई हैं। नई दिल्ली स्थित यह संगठन महिलाओं को उन व्यवसायों में ट्रेनिंग मुहैया कराता है, जो पारंपरिक रूप से उनके लिए बंद रहे हैं। इसके जरिए ये उन महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता हासिल करने में मदद करता है।


महिलाएं को करीब डेढ़ साल की ट्रेनिंग दी जाती है, जिसमें आत्मरक्षा, महिला अधिकार, कामुकता और प्रजनन अधिकार, प्रभावी संचार, सौंदर्य और सबसे अहम ड्राइविंग जैसे कोर्स शामिल हैं। सखा कंसल्टिंग विंग्स नाम से इस संगठन की एक सब्सिडियरी संगठन भी है, जो महिलाओं को कैब ड्राइवर के रूप में रोजगार मुहैया कराता है और इसके साथ ही कंपनी की महिला क्लाइंट्स को एक सुरक्षित ड्राइवर भी मिल जाता है।


इस संगठन को मई 2008 में शुरू किया गया था और पिछले कुछ सालों में इसने जयपुर, इंदौर और कोलकाता में भी ऑफिस खोलते हुए अपना विस्तार किया है।


कहां संपर्क करें:


टेलीफोन: +91 11 4060 1878


ईमेल: [email protected]


वेबसाइट: http://www.azadfoundation.com/


फेसबुक: https://www.facebook.com/pages/AZAD-FOUNDATION/150560224895


भारतीय ग्रामीण महिला संघ

भारतीय ग्रामीण महिला संघ या BGMS (नेशनल एसोसिएशन ऑफ रूरल वूमेन इंडिया) की स्थापना 1955 में हुई थी। यह संगठन किसी राजनीतिक संस्था या पंथ से जुड़ा हुआ नहीं है और इसकी 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में उपस्थिति हैं। इस संगठन का संबंद्ध एसोसिएटेड कंट्री वूमन ऑफ द वर्ल्ड (ACWW) से है, जो ग्रामीण महिलाओं के लिए दुनिया की सबसे बड़ी संस्था है और यूनेस्को, WHO, और ILO जैसी प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को परामर्श देने काम करती है।


BGM का लक्ष्य महिलाओं और बच्चों का कल्याण और सशक्तिकरण है। महिला सशक्तिकरण और शिक्षा के लिए ये संगठन अपने इलाकों में आने वाले गांवों में महिला मंडल (महिला स्वयं सहायता समूह) बनाता है।


जिन महिलाओं को घरों से निकाल दिया जाता है, जो अपने पति, ससुराल या परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा सताई हुई हैं और खुद को बिना किसी घर के पाती हैं, BGMS उन्हें रहने के लिए घर मुहैया कराता है। इन महिलाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण और नौकरी देकर आत्मनिर्भर बनाने में मदद किया जाता है। बुजुर्ग महिलाएं, जिनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है, BGMS उन्हें भी रहने के लिए जगह दिलाता है। इन महिलाओं को उन्हें भोजन, चिकित्सा देखभाल और दूसरी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।


ICRW

वाशिंगटन डीसी मुख्यालय वाले इंटरनेशनल सेंटर फॉर रिसर्च ऑन वुमन (ICRW) के ऑफिस नई दिल्ली और मुंबई में भी हैं। ICRW की स्थापना इस विश्वास के साथ की गई थी कि जब महिलाओं को अपने जीवन को बेहतर बनाने के अवसर मिलते हैं, तो इससे पूरे समाज को लाभ होता है। जब महिलाएं पैसे कमाती हैं और उसके खर्च पर उनका पूरा नियंत्रण रहता है तो इस बात की संभावना अधिक रहती है कि उनके बच्चों की स्कूली शिक्षा पूरी होगी, उनके परिवार को अच्छा खाना मिलेगा, वे स्वस्थ रहेंगे और पूरा समुदाय आगे बढ़ेगा।


हालांकि वास्तविकता यह है कि महिलाओं को हिंसा, बाल विवाह, शिक्षा और संसाधनों की कमी जैसे समस्याओं का सामना करती हैं। ICRW महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक स्थिरता में आने वाली बाधाओं की पहचान करने से जुड़े रिसर्च करती है और महिलाओं को सशक्त बनाने वाले कार्यक्रम डिजाइनरों, डोनर्स और नीति निर्माताओं के लिए साक्ष्य-आधारित योजनाओं को डिजाइन करता है।


कहां संपर्क करें:

नई दिल्ली कार्यालय: 011 4664 3333


ईमेल आईडी: [email protected]


Helplinelaw.com

Helplinelaw.com पोर्टल को 2000 में लॉन्च किया गया था और यह ऑनलाइन कानूनी सेवाएं प्रदान करता है। यह शुरुआत में सिर्फ भारत में सेवाएं देता था। हालांकि 2004 में इसने वकीलों के इंटरनेशनल मार्केट में एंट्री कर ली। अब इसकी 217 देशों में मौजूदगी है। Helplinelaw कानूनी जानकारी प्रदान करने के साथ दुनिया के किसी भी हिस्से में यूजर्स के लिए योग्य और विश्वसनीय वकीलों और लॉ फर्म के कॉन्टैक्ट डिटेल्स भी मुहैया कराती है।


इस पोर्टल पर उपलब्ध सभी जानकारी वकीलों की बजाय आम लोगों पर आसानी से समझ में आने वाली भाषा में है। इनका दावा है कि ये वकीलों और लॉ फर्म को वेबसाइट पर सूचीबद्ध करने से पहले उनकी जांट-पड़ताल करते हैं। जिन महिलाओं को दहेज उत्पीड़न या तलाक के लिए कानूनी सहायता की आवश्यकता होती है, उन्हें फोन या ईमेल के जरिए एक अलग तरीके की और बेहद भरोसेमेंद कानूनी सलाह मुहैया कराई जाती है।


http://www.helplinelaw.com/family-law


http://www.helplinelaw.com/family-law/DVLI/domestic-violence-in-india.html


वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर या निर्भया सेंटर

भारत में पीड़िता को अक्सर अस्पताल से लेकर थानों और अदालतों में उनकी मानसिक स्थिति के प्रति किसी भी तरह की संवेदनशीलता दिखाए बिना उन्हें शर्मिंदा किया जाता है। कई बार तो उन्हें इलाज के अधिकार और प्राथमिकी दर्ज करने से भी इनकार कर दिया जाता है।


2012 के निर्भया गैंगरेप मामले के बाद गठित जस्टिस वर्मा कमेटी ने इन पहलुओं को देखते हुए पीड़िताओं को तत्काल चिकित्सा, कानूनी और मनोवैज्ञानिक मदद देने के लिए एक वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर बनाने की सिफारिश दी थी। केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय ने शुरू में देश भर में 660 वन-स्टॉप संकट केंद्रों की योजना बनाई थी।


हालांकि बाद में, सरकार ने बजट को घटा दिया और केवल 36 केंद्रों को पायलट आधार पर बनाने की मंजूरी दी। छत्तीसगढ़ के रायपुर में पहला निर्भया केंद्र खुला है। इस केंद्र में संकट और रेस्क्यू के लिए 24 घंटे की हेल्पलाइन सेवा भी है। इमरजेंसी रिस्पॉन्स और बचाव सेवाओं के अलावा 108 एंबुलेंस सर्विस जैसे मौजूदा सिस्टम को भी इन केंद्रों से जोड़ा गया है, जिससे पीड़िताओं को समय पर मदद मिलने की उम्मीद है।


महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने घोषणा की है कि उत्तराखंड, मेघालय और मध्य प्रदेश राज्यों के केंद्र इस साल से शुरु हो जाएंगे, जबकि नागालैंड और असम में केंद्रों के लिए काम शुरू हो रहा है।


लॉयर्स कलेक्टिव

यह एक क गैर सरकारी संगठन है, जिसे 1981 में शुरू किया गया था। इसकी स्थापना सीनियर एडवोकेट आनंद ग्रोवर और इंदिरा जयसिंग ने की है। इसके सदस्यों में पेशेवर वकील, कानून के छात्र और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं शामिल हैं। एनजीओ का उद्देश्य वंचितों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों, असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों और हाशिए के समूहों के अन्य सदस्यों को विशेषज्ञ कानूनी सहायता प्रदान करना है। लॉयर्स कलेक्टिव के वकील प्रोफेशनल और सार्वजनिक हित दोनों तरह के काम करते हैं और प्रोफेशनल सर्विस से अर्जित पैसों का इस्तेमाल सार्वजनिक हित के कार्यों में करते हैं।


हालांकि ये अपने प्रोफेशनल जीवन में भी लॉयर्स कलेक्टिव के सिद्धांतों से बंधे हुए हैं और वे उन केस को नहीं लेते हैं जो सार्वजनिक हित के सिद्धांतों के साथ टकराव से जुड़े हों।


इसी तरह व कथित बलात्कारी, या श्रम कानूनों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों का भी केस नहीं लेते हैं। आंनद ग्रोवर ने नाज फाउंडेशन के उस केस को लड़ा था, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को खत्म करने का फैसला सुनाया गया थआ। यह धारा भारत में समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी देती थी।


लायर्स कलेक्टिव की महिला अधिकार इकाई

टेलीफोन: 91-11-24374830

ईमेल: [email protected]


आंगला

बेंगलुरु में विमोचन नाम का एक महिला संगठन है। आंगला (मतलब आंगन) इसी संगठन का एक वूमन क्राइसिस इंटरवेंशन सेंटर है। इस सेंटर को 1993 में शुरू किया गया था। इस सेंटर को हिंसा और यौन शोषण से पीड़ित विवाहित या अविवाहति महिलाओं महिलाओं तक व्यवस्थित तरीके से पहुंचने और उन महिलाओं को नैतिक, सामाजिक और कानूनी समर्थन देने के इरादे से शुरू किया गया था, जिससे वे हिंसा से मुक्त गरिमामय जीवन जी सकें।


परामर्श और प्रत्यक्ष हस्तक्षेप को छोड़कर सभी मामले में महिलाओं से संपर्क कर नियमित रूप से अपडेट लिया जाता है। अंगला उससे संपर्क करने वाली महिलाओं को नौकरी दिलाने, अगर वे बच्चों की देखरेख नहीं कर पाती हैं, तो अनाथालय में उनके बच्चे/बच्चों को प्रवेश दिलाने, जीवनसाथी के साथ अपमानजनक रिश्ते के बाद सुलह कर वापस उनके घर जाने वाली महिलाओं के यहां नियमित जाकर उनसे मिलना, चिकित्सा उपचार मुहैया कराना, उनकी जरूरत के हिसाब से उन्हें रहने के लिए जगह मुहैया कराने जैसे मदद प्रदान करती है। यह सेंटर हर समय करीब 400 महिलाओं को जवाब देते हैं।


हेल्पलाइन-क्राइसिस इंटरवेंशन सेंटर:

टेलीफोन: + 91-80-25492781 / 25494266

ईमेल:  [email protected]


आसरा

आसरा एक क्राइसिस इंटरवेंशन सेंटर हैं, जिसे अकेली, व्यथित और आत्महत्या का विचार करने वाली महिलाओं के लिए शुरू किया गया है। इनकी गोपनीय हेल्पलाइन पर पेशेवर रूप से प्रशिक्षित लोग समस्याओं का जवाब देते हैं। ऐसे में फोन करने वाले की चाहें जो भी समस्याएं हों, वह इस बात के लिए निश्चिंत हो सकता है कि उसकी समस्याओं को बिना कोई धारणा बनाए और आचोलना किए बिना सुना जाएगा।


केंद्र का मिशन -

"हमारा उद्देश्य स्वैच्छिक, पेशेवर और अनिवार्य रूप से गोपनीय देखभाल मुहैया कराना और उदास और बेहद व्यथित लोगों को सहायता प्रदान करने के जरिए मानसिक बीमारी की रोकथाम और प्रबंधन में मदद करना है।"


कॉलर्स अपने वॉलंटियर्स को फोन कर सकते हैं या उनसे मुलाकात कर सकते हैं या उन्हें लिख सकते हैं और इस बात के लिए आश्वस्त हो सकते हैं कि उन्हें एक गर्मजोशी, देखभाल, सहानुभूति भरा जवाब मिलेगा है।


24 घंटे उपलब्ध हेल्पलाइन: 022-27546669

कार्यालय (सुबह 10 से शाम 7 बजे): 022-27546667

ईमेल: [email protected]


हैरी पॉटर की फिल्मों में डंबलडोर कहते हैं, 'मदद उसे मिलेगी, जो इसकी मांग करेगा।'

ऐसी समस्याएं जो अकल्पनीय लगती हैं, उन्हें भी हल किया जा सकता है। इसके लिए पीड़ित को किसी के समर्थन और मार्गदर्शन की जरूरत होती है, खासतौर से पेशेवर संगठनों से, जो ऐसी समस्याओं में मदद देने के लिए प्रशिक्षित होते हैं। सिर्फ एक फोन कॉल या एक ई-मेल जैसा छोटा सा कदम, जीवन को सकारात्मक अनुभव में बदल सकता है और ऐसा होना भी चाहिए।


(हमें किसी अन्य संगठनों/संसाधनों के बारे में बताएं जो महिलाओं के लिए संकट में काम सकते हैं)