फिनलैंड दुनिया का सबसे खुशहाल देश क्यों है? यह है वजह
150 देशों की सूची में भारत 126वें पायदान पर रहा. दिलचस्प बात यह है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण दोनों देशों की रैंकिंग में गिरावट आई. रूस 72वें और यूक्रेन 92वें स्थान पर है.
बीते 20 मार्च को विश्व प्रसन्नता दिवस के दिन वैश्विक प्रसन्नता सूचकांक की रिपोर्ट जारी कर दी गई है और फिनलैंड लगातार छठे साल इस सूची में शीर्ष पर है. वहीं, पिछले साल की तरह डेनमार्क दूसरे और आइसलैंड तीसरे स्थान पर बरकरार है.
150 देशों की सूची में भारत 126वें पायदान पर रहा. दिलचस्प बात यह है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण दोनों देशों की रैंकिंग में गिरावट आई. रूस 72वें और यूक्रेन 92वें स्थान पर है.
रैंक किए गए देशों में अफगानिस्तान को सबसे कम खुशहाल राष्ट्र माना गया, जिसमें लेबनान, सिएरा लियोन, जिम्बाब्वे और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य उससे पहले हैं.
वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट है क्या?
वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र सतत विकास समाधान नेटवर्क द्वारा जारी किया जाता है और 150 से अधिक देशों में लोगों के वैश्विक सर्वेक्षण डेटा पर आधारित होता है.
रिपोर्ट विभिन्न देशों के लोगों के औसत जीवन मूल्यांकन के आधार पर 150 से अधिक देशों को रैंक करने में मदद करने के लिए छह प्रमुख कारकों का उपयोग करती है. ये 6 कारक हैं:
- सामाजिक मदद
- आय
- हेल्थ
- फ्रीडम
- दयालुता
- भ्रष्टाचार की गैरमौजूदगी
इन कारकों का उपयोग करते हुए, रिपोर्ट प्रत्येक देश में जनसंख्या के शीर्ष और निचले आधे हिस्से के बीच खुशी के गैप की जांच करती है.
हैप्पीनेस इंडेक्स सबसे पहले ग्लोबल हैप्पीनेस काउंसिल द्वारा बनाया गया था, जो इंडीपेंडेंट अकेडमिक हैप्पीनेस स्पेशलिस्ट्स का एक ग्रुप है. लोगों के इस समूह ने 2012 से हर साल वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट (WHR) जारी की है.
हैप्पीनेस इंडेक्स की परिभाषा भूटानी ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस इंडेक्स से निकलती है. 1972 में, भूटान ने धन, आराम और आर्थिक विकास जैसे अन्य कारकों पर खुशी को प्राथमिकता देना शुरू किया. उन्होंने मापने योग्य कई कारकों के आधार पर खुशी के लिए एक इंडेक्स बनाया और तब से इस इंडेक्स पर नज़र बनाए हुए हैं.
इसने हैप्पीनेस काउंसिल को हैप्पीनेस इंडेक्स की अपनी परिभाषा तैयार करने के लिए प्रेरित किया, जिसे 2012 की वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट में गढ़ा गया था.
फिनलैंड क्यों है सबसे खुश देश?
वैश्विक प्रसन्नता सूचकांक में लगातार छठे साल टॉप करना फिनलैंड को निश्चित तौर पर दुनिया के बाकी देशों से अलग करता है. फिनलैंड के लोगों के खुश रहने के कई कारण हैं. इसका एक प्रमुख कारण तो यहां की आबादी है और आबादी कम होने के कारण लोगों को मिलने वाली सुविधाएं अच्छी होती हैं.
Worldometer के आंकड़ों के अनुसार, 22 मार्च, 2023 तक फिनलैंड की आबादी 5,564,041 थी, जो कि दुनिया की कुल आबादी का 0.07 फीसदी है. वहीं, भारत के दो दर्जन से अधिक राज्यों की आबादी फिनलैंड से अधिक है. जबकि फिनलैंड की 86 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्रों में रहती है.
फ़िनलैंड के दार्शनिक और मनोविज्ञान के शोधकर्ता, फ्रैंक मार्टेला के अनुसार, फ़िनलैंड के लोग इतने खुश क्यों हैं, इसका कारण यह है कि वे अपने पड़ोसियों से अपनी तुलना नहीं करते. इसके साथ ही वे न तो प्रकृति के लाभों को नज़रअंदाज़ करते हैं और न ही विश्वास का कम्यूनिटी सर्कल को तोड़ते हैं.
मार्टेला ने आगे कहा कि सफल दिखने पर कम और जो आपको खुश करता है उस पर अधिक ध्यान दें. सच्ची खुशी की ओर पहला कदम दूसरों से अपनी तुलना करने के बजाय अपने खुद के मानक निर्धारित करना है.
यही नहीं, फिनलैंड अपनी खुशी के ज्ञान को साझा करने के लिए भी तैयार है. फिनलैंड ने अपने यहां आने वाले पर्यटकों को आंतरिक खुशी खोजने में मदद करने के लिए एक मुफ्त "खुशी का मास्टरक्लास" प्रदान कर रहा है.