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खून, पसीना और आंसू: कुछ ऐसा होता है खुद के पैसों से स्टार्टअप शुरू करने का सफर

स्टार्टअप इकोसिस्टम में बूटस्ट्रैपिंग यानी अपने पैसे लगाकर स्टार्टअप शुरू करना कोई नई घटना नहीं है। असल में, कई अनौपचारिक रिपोर्टें यह बताती हैं कि करीब 92 प्रतिशत भारतीय कंपनियां बूटस्ट्रैप्ड हैं या उन्होंने किसी तरह की इक्विटी/डेट फंडिंग नहीं जुटाई है।

खून, पसीना और आंसू: कुछ ऐसा होता है खुद के पैसों से स्टार्टअप शुरू करने का सफर

Thursday March 31, 2022 , 15 min Read

"मैं एक सुनसान रास्ते पर चलता हूं, यही एक रास्ता है जिसे मैं जानता हूं..मुझे नहीं पता कि यह कहां जाता है, लेकिन यह मेरे लिए घर है और मैं अकेला चलता हूं।"

यह पंक्तियां मशहूर रॉक बैंड ग्रीन डे के गाने 'बुलेवार्ड ऑफ ब्रोकन ड्रीम्स' की है। इस लाइन का व्यापक रूप से यह मतलब पाया जाता है कि यह जीवन की उथल-पुथल, खोए हुए प्यार से अकेले गुजरने और भविष्य की ओर देखने के बारे में है। हालांकि 15 से अधिक स्टार्टअप फाउंडरों से उनकी बूटस्ट्रैपिंग यात्रा पर बात करने के बाद, ऐसा लगता है कि यह गीत उनके लिए लिखा गया था।

जब मैंने यह बात 10 सालों से अधिक समय से बूटस्ट्रैप स्टार्टअप चला रहीं फाउंडर आरती के सामने रखी, तो वह भी इससे पूरी तरह से सहमत दिखीं।

उन्होंने कहा, "कहा जाता है बूटस्ट्रैप और ऐसी चीजों के अपने फायदे हैं, लेकिन यह फायदा बहुत समय के बाद आता है।" आरती ने खुद को सिर्फ अपने पहले नाम से परिचय कराया और इसके अलावा किसी भी दूसरे तरीके से अपना नाम नहीं लिए जाने या जोड़े को कहा। आरती ने बताया वह उन संभावित निवेशकों के सामने 'कमजोर' के तौर पर दिखने को लेकर थोड़ी चिंतित है, जिनसे उन्हें एक दिन पैसे जुटाने की जरूरत पड़ सकती हैं।

आरती ने कहा, "हमसे ऐसा व्यवहार करने की उम्मीद की जाती है कि जैसे स्टार्टअप शुरू करना काफी आसान है और हमारे पास इससे जुड़े सभी बकवास चीजों को बार-बार सहने का मानसिक लचीलापन होता है, जैसे यह कुछ होता ही नहीं है। मेरे कुछ ऐसे दोस्त रहे हैं जिन्होंने VCs पर अपना आपा खो दिया था क्योंकि वे अपने संघर्षों के प्रति ईमानदार थे।"

खैर यह एक अलग कहानी है, जिसे कभी और देखा जा सकता है।

बूटस्ट्रैपिंग स्टार्टअप्स के विषय पर वापस आते हैं और जानते हैं कि आखिर ऐसे स्टार्टअप को शुरू करने में क्या कुछ लगाना पड़ता है। आरती कहती हैं, बाहरी पैसे के बिना कारोबार खड़ा करने के लिए बहुत धैर्य की आवश्यकता होती है।

वह कहती हैं, "आपको काम करते रहना होगा और उम्मीद करनी होगी कि आप जो कुछ भी कर रहे हैं वह लंबे समय में भुगतान करेगा। इसके अलावा, आपको काफी लंबे समय तक टिके रहना होगा।" 

कंपनी को मुनाफे में लाने के लिए काफी देर तक टिके रहें ?

"हर चीज के लिए... मुनाफा, ग्राहक, बिजनेस का विस्तार। मैंने 2008 में शुरुआत की थी और तब से मैं कम से कम हर दूसरे साल बिजनेस को छोड़ने के बारे में सोचती रही हूं। यह अविश्वसनीय रूप से कठिन है, और आपको इसके लिए बहुत कुछ देना होगा, लेकिन अगर इसे संभाल सके, तो मैं आपसे वादा करती हूं कि यह लंबे समय में आपको इसका फल मिलेगा।"

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जिन स्टार्टअप फाउंडरों ने अब तक कोई बाहरी फंडिंग नहीं जुटाई है, उनसे बात करके आम सहमति यही बनती दिख रही है कि बूटस्ट्रैपिंग पक्के तौर पर और प्रमाणिक तौर पर कठिन है, और संस्थापकों के लिए एक बहुत अकेला यात्रा है। ऐसा सिर्फ कैपिटल की चिंता को लेकर ही नहीं है, बल्कि दूसरे मामलों में भी है। वहीं इसकी तुलना में फंड जुटाने वाले फाउंडर को कुछ और एक्सपर्ट भी हाथ बंटाने को मिल जाते हैं।

हेल्थमाइंड्स कंसल्टिंग के सह-संस्थापक डॉ. चिन्मय पी चिगतेरी ने बताया, "मुझे लगता है कि बाहरी फंडिंग की उपलब्धता आपको न केवल नए विचारों के साथ प्रयोग करने के लिए गुंजाइश देती है, बल्कि आपको सबसे अच्छे टैलेंट को हायर करने के लिए पर्याप्त नकद भी देती है और इससे आप अपने काम को काफी बेहतर तरीके से कर सकते हैं।"

हेल्थमाइंड्स कंसल्टिंग, सिंगापुर की एक स्टार्टअप है जो हेल्थकेयर एंटरप्राइज और अकादमिक हाई-एंड डेटा एनालिटिक्स और हेल्थकेयर कंटेंट प्रदान करती है।

उन्होंने कहा, "मैं हमेशा चाहता हूं कि जब भी मुझे एक अच्छे टैलेंट को काम पर रखने की जरूरत पड़े, तो मेरे पास पर्याप्त धन की उपलब्धता हो। न कि ऐसी स्थिति हो कि हम सिर्फ उसे इसलिए न हायर कर पाएं क्यों कि हम उसके मुताबिक सैलरी का भुगतान नहीं कर सकते थे। मेरा मानना है कि लोग ही मिलकर किसी ऑर्गनाइजेशन को परिभाषित करते हैं और मैं सोचता हूं काश मैंने ऐसी स्थितियों में फंड जुटाए होते।"

डॉ. चिन्मय और उनकी सह-संस्थापक शुभांगिनी चिगतेरी ने मिलकर 8 साल पहले हेल्थमाइंड को अपने पैसों से शुरू किया था और वे इस वित्त वर्ष में कंपनी के मुनाफे के साथ बंद होने की उम्मीद कर रहे हैं। वे अब एक सीरीज ए राउंड के तहत फंड जुटाना चाहते हैं और उन्हें विश्वास है कि इससे उन्हें अपने कारोबार को बेहतर बनाने और चलाने में मदद मिलेगी।

वेंचर कैपिटलिस्ट आज स्टार्टअप इकोसिस्टम के चीयरलीडर्स हैं। हालांकि कुछ लोग इसके उलट ये भी कहते हैं ये कि युवा कंपनियों और आंत्रप्रेन्योर्स को कई गुना पैसा बढ़ाने वाले फसल के रूप में देखते हैं। खैर स्टार्टअप को इन दशकों के इंडस्ट्री अनुभव और विशेषज्ञता का लाभ भी मिलता है, जो एक बूटस्ट्रैप्ड आंत्रप्रेन्योर के पास नहीं होता है और उसे कई मौकों पर इसकी कमी खलती है।

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(Image credit: Daisy Mahadevan, Team YourStory Design)

ट्रैवल बुकिंग स्टार्टअप ट्रैवोमिंट के फाउंडर, आलोक सिंह ने बताया, "किसी ब्रांड, प्रोटोटाइप आदि चीजों को खड़ा करने के लिए कई कनेक्शन की जरूरत पड़ती है और कई बार निवेशकों के सहयोग के बिना यह हासिल करना मुश्किल होता है। हमें अपना कंज्यूमर बेस बनाना था और बिना किसी परिचय, मार्गदर्शन और फंडिंग के अपने दम पर सहयोगियों की खोज करनी थी।"

इनक्यूबेटर, एक्सेलेरेटर, मेंटरशिप प्रोग्राम और सैंडबॉक्स का एक पूरा नेटवर्क है जो आज भी स्टार्टअप फाउंडरों को उनके आइडिया डेवलपमेंट के चरण से ही उनके मदद के लिए तैयार है।

स्कूलों और कॉलेजों में स्टार्टअप जर्मिनेशन प्रोग्राम और क्लब हैं जिनका इरादा होनहार उद्यमियों की पहचान करना और उनको बढ़ावा देना है। इसके अलावा बड़ी-बड़ी प्राइवेट इक्विटी कंपनियां भी हैं जो सीरीज एफ और सीरीज जी राउंड तक निवेश करना चाहती हैं।

इस तरह जहां कुछ फाउंडर मानते हैं कि अगर उन्होंने शुरुआत में VC राउंड आयोजित कर लिया होता तो उनका जीवन आसान होता और उनके लिए नए दरवाजे खुल जाते। वहीं कुछ इससे असहमत हैं और कहते हैं वे प्रयोग करने, असफल होने और अपनी गलतियों से सीखने के लिए किसी और के बताए रास्ते पर चलने की जगह आजाद रहना पसंद करते हैं। 

वेदस एक्सपोर्ट्स के फाउंडर और डायरेक्टर पलाश अग्रवाल कहते हैं, "जब मैं अपने कारोबार को संभाल रहा हूं तो मुझे बहुत अधिक हस्तक्षेप पसंद नहीं है। जब मेरे व्यवसाय की बात आती है तो मेरा एक स्पष्ट नजरिया होता है। फंड जुटाने और बोर्ड में अधिक लोगों के होने से अंत में कारोबार पर फोकस बनाने में बाधा उत्पन्न होगी। साथ ही यह विवादों के लिए भी जगह बनाता है और इससे निर्णय लेने में देरी हुई। मैं एक तेजी से फैसले लेना पसंद करता हूं।" वेदस एक्सपोर्ट्स एक घरेलू सजावट और एसेसरीज कंपनी है, जो विदेशों में भारतीय शिल्पकारों के कार्यों का निर्यात करती है।

पलाश ने 2014 में कंपनी की स्थापना की, और कहते हैं कि उनके स्टार्टअप बहुत समय पहले ही मुनाफे में आ गया था।

जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें बाहरी फंडिंग नहीं लेने और बूटस्ट्रैप के तौर पर कंपनी शुरू करने के फैसले पर कोई पछतावा है, तो उन्होंने कहा, "कोई पछतावा नहीं।"

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बूटस्ट्रैपिंग काफी कुछ लेता है

मेरी परछाई ही है जो मेरे बगल में चलती है; मेरा उथला दिल ही धड़क रहा है; कभी-कभी, मेरी इच्छा है कि कोई मुझे मिल जाए; 'तब तक, मैं अकेला चलता हूँ।

अधिकतर स्टार्टअप फाउंडरों के लिए नितांत अकेलापन ही एक निरंतर साथी होता है - फिर चाहें वो बूटस्ट्रैप्ड हैं या नहीं।

स्टार्टअप और आंत्रप्रेन्योर कोच क्रिस्टीना रिचर्डसन ने 2019 में एक सर्वे कराया था। इसमें उन्होंने पाया कि हर एक व्यक्ति ने अपने बिजनेस को खड़ा करने के सफर को बताते समय 'अकेलापन' शब्द का जरूर इस्तेमाल किया है।

जब स्टार्टअप इकोसिस्टम की बात आती है, तो सभी के अंदर 18-18 घंटे काम, न नहाना, न खाना जैसे टॉक्सिक और भीड़-भाड़ वाले कल्चर को सही ठहराने की प्रवृत्ति होती है और उम्मीद यह है कि कंपनी के हर स्तर पर हर कर्मचारी बिजनेस को खड़ा करने के लिए खुद की हड्डियां तक गलाने के लिए तैयार रहेगा।

अभी तक, संस्थापकों के तेजी से गिरते मानसिक स्वास्थ्य को रोकने के लिए 15 मिनट की शुरुआती वार्ता, 45 मिनट का मेडिटेशन, "माइंडफुलनेस रूम", गोवा जैसे काम की जगहों से दूर लोकेशन पर आराम और ऑफिस बियर पार्टियों को उपाय के रूप में देखा जाता है।

हालांकि कुछ फाउंडर बूटस्ट्रैपिंग में भी सुकून खोजते हैं।

मोहा की फाउंडर और CEO गीतांजलि गोंधले ने बताया, "मुझे लगता है कि मैं खुश हूं कि मैंने फंड नहीं जुटाया क्योंकि यह बड़ी जिम्मेदारियों के साथ आता है जैसे कि तेजी से विस्तार करना अधिक मंथन करना, और वित्तीय आंकड़ों को सुधारने के पीछे भागना आदि।" मोहा एक डिजाइनर सिल्वर वेंचर हैं, जिसे 2014 में शुरू किया गया था।

2013 में शुरू हुई ट्रेडस्मार्ट ऑनलाइन के सह-संस्थापक, विकास सिंघानिया भी कुछ ऐसी ही राय रखते हैं। ट्रेडस्मार्ट, यह एक ऑनलाइन डिस्काउंट ब्रोकिंग प्लेटफॉर्म है।

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(Image credit: Daisy Mahadevan, Team YourStory Design)

वे कहते हैं, ''कई VC ने कई मौकों पर हमारी कंपनी में दिलचस्पी दिखाई। हालांकि, हमने दबाव और अन्य संबंधित पहलुओं से बचने के लिए वीसी फंडिंग नहीं जुटाई, जो बाहरी पार्टियों के कारोबार में निवेश किए जाने पर प्रदर्शन से जुड़े होते हैं।''

काफ्तान कंपनी के सह-संस्थापक नवीन राव ने बताया कि काम और व्यक्तिगत जीवन के बीच संतुलन उनके लिए हमेशा से जरूरी था, यहां तक कि जब वह कंपनी को शुरू कर रहे थे, तब भी वह इसका ध्यान रखते थे। काफ्तान कंपनी एक टिकाऊ लाउंजवियर और काफ्तान कपड़ों की वेंचर है, जिसे 2011 में शुरू किया गया था।

उन्होंने कहा, “हमें खुशी है कि हमने वीसी फंडिंग नहीं जुटाई। काम और व्यक्तिगत जीवन में संतुलन को ध्यान में रखते हुए विकास की अपेक्षित दर का मैनेज करना सकारात्मक साबित हुआ है।"

लेकिन इस थ्योरी की आलोचना भी काफी है।

खुद से ऐसा लक्ष्य रखना, जिसे आसानी से हासिल किया जा सके, ताकि आप मुनाफे के पीछे न भागे और आपको काम के बाद अपने व्यक्तिगत जीवन में खेल या दूसरे शौक को पूरा करने के लिए समय मिले, इससे तनाव तो जरूर कम होता है।

हालांकि, फिर इससे भारी आंतरिक दबाव भी बनता है क्योंकि आपको उन लोगों को पेमेंट करना होता है, जो आपके बिजनेस को संभव बना रहे हैं और उसे गिरने से बचा रहे हैं। साथ ही परिवार के उन सदस्यों और दोस्तों को भी रिटर्न देना होता है, जिन्होंने बिजनेस में निवेश किया है।

ट्रैवोमिंट के आलोक बताते हैं, "एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखना और व्यवसाय स्थापित करना कोई आसान काम नहीं था। मेरे पास कोई फाइनेंसर नहीं था। मेरे पास बस अपने माता-पिता का आशीर्वाद और थोड़ी सी बचत और मेरे भाई का साथ हासिल था।"

उन्होंने कहा, "मेरे अंदर एक घबराहट थी क्योंकि मैं अपने माता-पिता की मेहनत की कमाई को अपने स्टार्टअप में डालने की योजना बना रहा था।"

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अपने परिवार को विनाशकारी वित्तीय संकट में ना ले जाने का बोझ बहुत बड़ा है और इंटरनेट असफल स्टार्टअप की कहानियों से भरा हुआ है।

हेल्थमाइंड्स के डॉ. चिन्मय ने बताया, "यह सफर निश्चित रूप से आसान नहीं रहा है। न केवल मुझ पर, बल्कि मेरे परिवार के लिए भी। यह आपकी मानसिक स्थिति को प्रभावित करता है, जो भविष्य की उस अनिश्चितता का नतीजा है जो आपके दिमाग में लगातार बना रहता है।"

अपनी खुद की गर्दन आग करना और पैसा लगाने का मतलब यह भी है कि किसी भी तरह की गड़बड़ी होने पर उससे बाहर निकलने का रास्ता भी आपको अकेले ही सोचना होगा। साथ ही ऐसा बिना किसी "कारोबारी विशेषज्ञों" के करना होगा, जो शायद ऐसी परिस्थितियों में आपके सभी सवालों का जवाब दे सकते थे।

फॉरसारीज की फाउंडर रितु ओबेरॉय ने बताया, "यह निश्चित रूप से बाहर से कापी रंगीन दिखता है, लेकिन इसने अंदर से मेरे मानसिक स्वास्थ्य पर काफी असर डाला है, खासकर महामारी के दौरान। मेरे लिए, यह काफी नकारात्मक और कमजोर विचार से भरा था और मैं इससे खुद को बस बाहर निकालने के बारे में सोच रही थी। फॉरसारीज, मुंबई से बाहर एक गढ़ी और हाथ से बुनी हुई साड़ी स्टार्टअप कहती हैं।"

उन्होंने कहा, "दूसरी और आंशिक रूप से तीसरी लहर ने हमें सबसे अधिक प्रभावित किया। यह अब पैसे के बारे में नहीं रह गया था, बल्कि यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य को लेकर था जो इससे प्रभावित होने लगा था।"

रितु ने 2018 में ForSaree की स्थापना की, और स्टार्टअप शुरू होने के तुरंत बाद मुनाफे हो गई। हालांकि, कोविड-19 ने न केवल स्टार्टअप को गंभीर रूप से प्रभावित किया, बल्कि बुनकर समुदाय भी इससे काफी प्रभावित हुआ, जो रितु के साथ काम कर रहा था और इसने पहले से दबाव का सामना कर रही कंपनी पर दबाव और बढ़ा दिया।

उन्होंने बताया, “पहले लॉकडाउन के बाद, हमने महसूस किया कि अगर हमने फंड जुटाया होता, तो हमें जवाबदेह ठहराया जाता। लेकिन साथ ही जब हमारी पूंजी समाप्त हो जाती थी और जब मार्केटिंग टीम, कारीगरों और अन्य लोगों को भुगतान करने की बात आती थी, तो उस वक्त लगता था कि काश हमारे पास कुछ निवेशक हमें समर्थन करने के लिए होता। ऐसा लगा जैसे हमने सबसे निचले स्तर को छू लिया है और बाजार के थोड़ा खुलने पर फिर से शुरू करना पड़ेगा।”

आरती ने पारिवारिक धन का इस्तेमाल करके गुरुग्राम स्थित अपना स्टार्टअप बनाने का अपना अनुभव बताया।

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(Image credit: Daisy Mahadevan, Team YourStory Design)

वह कहती हैं कि एक समय था जब उनकी मां को आंखों की सर्जरी करानी पड़ी थी क्योंकि उनका मोतियाबिंद तेजी से बढ़ रहा था। लेकिन क्योंकि परिवार ने उनके कारोबार में अपना सब कुछ लगा दिया था, इसलिए कुछ भी नहीं बचा था।

फिर भी, उनकी मां अपने बारे में बात करने के बजाय कि वह कुछ भी ठीक से नहीं देख पाती हैं, आरती कहती है कि उसकी मां उससे उसके काम के दिन के बारे में सवाल पूछती रहती, उनके बिजनेस के मामलों पर चर्चा करतीं और उन्हें सलाह देती।

वह बताती हैं, "यह कुछ ऐसा था जैसे उनकी आंखों की सर्जरी कराना उनकी प्राथमिकता सूची में भी टॉप पर नहीं थी। वह इस बात से अधिक चिंतित थी क्या हैदराबाद के सप्लायर ने बड़ौदा के मैन्युफैक्चरर को कच्चा माल भेजा या नहीं। इस सब के दौरान, मैं कमरे के बीच में खड़ी हूं, रो रही हूं, और हमें इस स्थिति में सबको डालने के लिए माफी मांग रही हूं।"

एवेनर कैपिटल के संस्थापक शिवम बजाज का भी ऐसा ही अनुभव रहा है। एवेनर कैपिटल, एक इनवेस्टमेंट बैंकिंग स्टार्टअप है।

"एवेनर कैपिटल को फैमिली फंड की मदद से शुरू किया गया था। विडंबना यह है कि, मेरा पहला और सबसे कठिन सौदा मेरे अपने परिवार से ही पूंजी जुटाना था, जहां मुझे अपने परिवार के लोगों को ही पूरे आंकड़ों और विश्वास के साथ अपने बिजनेस आइडिया को रखना था।"

उन्होंने कहा, "कभी-कभी, जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं, तो लगता है शायद VC से पूंजी जुटाना आसान हो सकता था।"

अंत में सब ठीक हो जाता है? नहीं, लेकिन चीजें आसान हो जाती हैं

हमारी बातचीत के दौरान चौथी बार आरती कहती हैं, "अंत में यह सारी मेहनत सफल होती है। आपका खून, पसीना और आंसू लगाना काम आता है। अगर आप इसमें टिके रहते हैं, तो यह इसके लायक है।"

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और यह सच है। इस कहानी को एक साथ समेटने के लिए मैंने जिन भी 15 लोगों से बात की, उनमें से किसी ने नहीं कहा कि वे इसे किसी और तरीके से करेंगे।

हिल जिल वाइन (Fruzzante) की फाउंडर प्रियंका सेव कहती हैं, "किसी बिजनेस को बूटस्ट्रैप करना आपके अपने बच्चे की देखभाल करने और उनका पालन-पोषण करने जैसा है, जब तक कि वे दुनिया में बाहर जाने के लिए पर्याप्त उम्र के न हो जाएं।" फ्रजांटे एक एल्कोहलिक बेवरेज कंपनी है, जो फलों पर आधारित वाइन बनाती है।

अस्तित्व के संकट और संघर्षों को सही ठहराने की लागत पर व्यक्ति काफी कुछ सीखता है।

आप यहां तक कह सकते हैं कि यह एक प्रतिकूल कैरेक्टर का निर्माण करती है और एक ऐसी चीज सिखाती है जिसे अगर उन्हें एक थाली में आसानी से सौंप दिया गया होता तो वह शायद उन्हें पचा नहीं पाते। 

तेजस राठौड़ कहते हैं, "यह अब तक एक कठिन सफर रहा है, हमने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। लेकिन इसने हमें बहुत कुछ सिखाया है, जैसे विभिन्न समस्याओं का समाधान खोजना, बजट में चीजों का निर्माण करना सीखना, छोटी टीम रखना, कई जिम्मेदारियों को संभालना, और कई नजरिए से सोचना, आदि।" तेजस राठौड़, Mobavenue Media नाम के एक मीडिया बाइंग स्टार्टअप के को-फाउंडर हैं, जो मुंबई से बाहर स्थित है।

मानसिक लचीलापन और चरित्र निर्माण स्पष्ट रूप से बूटस्ट्रैपिंग के सीधे लाभ हैं, लेकिन WEFIRE के फाउंडर रोहित वारियर का कहना है कि यह इसके अलावा यह लोगों को बेहतर निर्णय लेने और खुद पर विश्वास करना भी सिखाता है। WEFIRE, आग से बचाव करने वाले उपकरणों की सप्लायर कंपनी है।

"खुद को प्रेरित रखना, उस समय के दौरान खुद को मजबूत रखना वास्तव में एक दिमागी खेल है। केवल एक चीज जिसने मुझे प्रेरित किया, वह था खुद पर विश्वास था हर सुरंग के अंत में रोशनी है। यदि आप बिना हार माने कोशिश करते रहते हैं, तो आप अंत में सीमाओं को पार करने में सक्षम होंगे। इसलिए आसान फंडा यह है कि एक बार फैसला लेने के बाद फिर कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखना है, चाहे स्थिति कितनी भी खराब क्यों न हो।"

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उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि निर्माण और बूटस्ट्रैपिंग का उद्देश्य स्वयं को चुनौती देना और चीजों में आनंद खोजना है।

उन्होंने कहा, "अगर मैं इसे खुद की इक्विटी को कम किए बिना कर सकता हूं, तो मुझे लगता है कि मैं अपने साथियों की तुलना में अधिक स्मार्ट हूं, जिन्होंने फंड जुटाया है और अब न केवल जवाबदेह हैं, बल्कि फंडिंग को काम करने के लिए अधिक तनाव में हो सकते हैं।"

अंत में मेरा निष्कर्ष यह रहा है कि बूटस्ट्रैपिंग एक ऐसी यात्रा है जिसे आप वास्तव में तब तक नहीं समझ सकते जब तक आप इसे स्वयं नहीं करते। और अभी तक तूफान का सफलतापूर्वक सामना सिर्फ वे लोग ही कर पाए हैं, जो उसमें कश्ती चलाने के लिए पर्याप्त हौसला रखते हैं।


Edited by Ranjana Tripathi