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मिलें मशहूर रंगकर्मी, कवि, लेखक, एक्टर और कैंसर अचीवर विभा रानी से, जो अपनी कला और लेखनी के माध्यम से जागरुक कर रही हैं कैंसर फाइटर्स को

कैंसर से लड़ाई सकारात्मकता और हौसले के साथ किस तरह जीती जाती है, विभा रानी इसका बेहतरीन उदाहरण हैं। कई विधाओं में पारंगत विभा सोशल मीडिया और अपने लेखन के माध्यम से लोगों के बीच कैंसर को लेकर जागरूकता भी फैला रही हैं।

विभा रानी

विभा रानी



कैंसर की बीमारी भले ही लाइलाज न रही हो, लेकिन आज भी देश समेत पूरे विश्व में कैंसर की चपेट में आकर लाखों लोग अपनी जानें गंवा रहे हैं। इसी के साथ कैंसर की रोकथाम और जागरूकता के लिए 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। इसके साथ कैंसर की लड़ाई में जीतने वाले लोगों की कहानियाँ अन्य कैंसर फाइटर्स के लिए प्रेरणाश्रोत बनती हैं-


कैंसर से लड़ाई के दौरान मैंने तीन शब्द बदले हैं। मैं लोगों से आग्रह करती हूँ कि वो भी इन्ही शब्दों का प्रयोग करें-

“क़ैसर मरीज हमारे लिए कैंसर फाइटर्स हैं। इस लड़ाई में जो लोग दुर्भाग्यवश हमारी जिंदगी से निकल गए, उन्हे हम क़ैसर वॉरियर्स कहते हैं और जो लोग इस लड़ाई को जीत चुके हैं उन्हे हम कैंसर अचीवर्स कहते हैं, ना कि हम उन्हे कैंसर सर्वाइवर्स बुलाते हैं।"

ये कहना है विभा रानी का। विभा रानी देश की मशहूर थिएटर आर्टिस्ट, कवि, लेखक और एक्टर हैं। विभा रानी ने अपने जज्बे को बरकरार रखते हुए कैंसर की लड़ाई लड़ी और जीती। साल 2013 में विभा रानी का ब्रेस्ट कैंसर डायग्नोज़ हुआ था।


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मंच पर विभा

बीमारी के कठिन दौर के बारे में बात करते हुए विभा कहती हैं,


“हमारे घर में कैंसर के चलते पहले भी कई लोग हमें छोड़कर जा चुके थे और मेरे सामने भी दो विकल्प थे, या तो मैं परिस्थिति को हंसते हुए स्वीकार कर सकती थी या रोते हुए। तब मैंने पहला विकल्प चुना।”


विभा आगे कहती हैं,

“मैं बीमारी से जूझ रही थी, लेकिन मुझे कोई अधिकार नहीं था कि मेरी वजह से मेरे परिवार वाले दुखी हों।”


जब विभा के इलाज की बारी आई तो उन्हे बहुत से लोगों ने अलग-अलग सुझाव दिये। इसमें झाड़-फूँक और अंधविश्वास समर्थित तरीके से भी शामिल थे, लेकिन अपने इलाज के लिए उन्होने पूरी तरह से चिकित्सा आधारित इलाज ही चुना।


कैंसर के इलाज के दौरान होने वाली तकलीफ़ों से लड़ने के लिए विभा ने क्रिएटिव कामों में अपने आप को व्यस्त रखने की कोशिश की। इस दौर के बारे में बात करते हुए विभा कहती हैं,

“मैंने अपने आप को व्यस्त रखने के लिए इस दौरान कई किताबें पढ़ीं और लेखन भी किया। इस दौरान मैंने ‘ओ वुमनिया’ नाम से एक सिरीज़ भी बनाई, जो यूट्यूब पर उपलब्ध है।”
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हमसफर अजय ब्रह्मात्मज के साथ विभा

इस दौरान उन्होने ‘अवितो क्रिएटिव इवनिंग’ कार्यक्रम की शुरुआत की। यह रूम थिएटर कॉन्सेप्ट पर बेस्ड था।


विभा शनिवार को कीमो कराकर घर आती थीं और सारी रात जागने के बाद वे रविवार को थिएटर के लिए तैयार रहती थीं।


यह थिएटर शाम 6 बजे तक चलता था, फिर लोगों के विदा होने के बाद विभा लगभग दो दिन बाद सो पाती थीं।


इस दौरान लिखी गई कविताओं के पहले संकलन को विभा ने ‘CAN’ नाम से प्रकाशित किया, जबकि उन्होने ‘I Must’ नाम से अपने अगले कविता संकलन को भी जारी किया।

लोगों को कर रही हैं जागरूक

इसके बाद विभा ने लोगों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए फेसबुक पर ‘सेलिब्रेटिंग कैंसर’ नाम से एक पेज की शुरुआत की, जिसका मुख्य उद्देश्य कैंसर से लड़ रहे फाइटर्स को सकारात्मकता का अनुभव कराना है।


विभा लेखन, फिल्म, थिएटर, फोक और कैंसर जागरूकता के फ्रंट पर बखूबी काम कर रही हैं। विभा किताबों के माध्यम से मिलने वाले राजस्व को कैंसर के मरीजों के इलाज में इस्तेमाल करती हैं। वे कहती हैं,

“हम ये पैसे किसी एनजीओ को नहीं देते हैं, बल्कि जो कैंसर फाइटर्स हमसे जुड़ते हैं हम सीधे तौर पर उनकी हरसंभव मदद करते हैं।”
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अपनी दोनों बेटियों के साथ विभा

कला और संस्कृति से लगाव

विभा खुद मिथिला से हैं और वो इस खास संस्कृति से लोगों का बखूबी परिचय करवा रही हैं। विभा फेसबुक और इंस्टाग्राम पर मिथिला मार्वल नाम से एक पेज का संचालन करती हैं, जिसके जरिये वे मिथिला की संस्कृति और पकवान के संबंध में लोगों को वीडियो माध्यम से रूबरू कराती हैं।


विभा अब तक 22 किताबें लिख चुकी हैं, इसी के साथ उन्होने हाल ही में आई फिल्म ‘लाल कप्तान’ में भी अभिनय किया है। विभा ने मैथिली में कई नाटक और कहानियाँ लिखी हैं, इसी के साथ उन्होने मैथिली से कई अनुवाद भी किए हैं।