Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
ADVERTISEMENT
Advertise with us

8 दिन से लगातार गिर रहा ये शेयर, 15% तक टूटा, जानिए गौतम अडानी से क्यों हो रही तुलना

पिछले दिनों वेदांता (Vedanta) के प्रमुख अनिल अग्रवाल (Anil Agrawal) की अचानक से चर्चा होने लगी. उन पर कर्ज का भारी बोझ होने की खबर आई. देखते ही देखते पिछले 8 कारोबारी दिनों में कंपनी का शेयर करीब 15 फीसदी तक गिर चुका है.

8 दिन से लगातार गिर रहा ये शेयर, 15% तक टूटा, जानिए गौतम अडानी से क्यों हो रही तुलना

Wednesday March 01, 2023 , 4 min Read

एक महीने से भी ज्यादा दिनों से गौतम अडानी (Gautam Adani) और हिंडनबर्ग रिपोर्ट (Hindenburg Report) की चर्चा हो रही थी. इसी बीच पिछले कुछ दिनों में एक और नाम चर्चा में आ गया है. वेदांता (Vedanta) के प्रमुख अनिल अग्रवाल (Anil Agrawal) की अचानक से चर्चा होने लगी है. इसकी शुरुआत हुई फरवरी महीने के बिल्कुल बीच में. खबरें आने लगीं कि अनिल अग्रवाल पर भारी कर्ज है. कर्ज के बोझ तले दबे होने की वजह से ही गौतम अडानी की दौलत करीब 40 दिनों में 130 अरब डॉलर से घटकर 35 अरब डॉलर तक आ गई. ऐसे में निवेशक घबरा गए कि कहीं अनिल अग्रवाल अगले गौतम अडानी ना साबित हों. फिर क्या था, वेदांता के शेयरों में गिरावट का ऐसा दौर शुरू हुआ जो महीना खत्म होने तक जारी रहा.

लगातार 8 सत्रों में वेदांता में आई बड़ी गिरावट

अगर वेदांता के शेयर की बात करें तो ये 8 सत्रों में लगातार गिरावट के साथ बंद हुआ. 16 फरवरी को आखिरी बार कंपनी का शेयर हरे निशान में बंद हुआ था. उसके बाद से गिरावट का जो सिलसिला शुरू हुआ, जो 28 फरवरी यानी महीना खत्म होने तक चला है. 16 फरवरी को कंपनी का शेयर 314.90 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था. वहीं 28 फरवरी को कंपनी का शेयर 268.45 रुपये के लेवल पर बंद हुआ. इस तरह करीब आधे महीने में ये शेयर 46.45 अंक यानी 14.75 फीसदी तक गिर चुका है.

आखिरी सत्र में गिरा 9 फीसदी तक

अगर बात 28 फरवरी की करें तो इसमें करीब 9 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिली. हालांकि, शाम तक थोड़ी रिकवरी आई और वेदांता का शेयर 6.6 फीसदी की गिरावट के साथ 268.35 रुपये के लेवल पर बंद हुआ. सुबह ये शेयर 282.10 रुपये के लेवल पर खुला था. दिन के कारोबार में शेयर गिरते-गिरते 261.95 रुपये के लेवल तक चला गया था.

लेकिन गिरता ही क्यों जा रहा है वेदांता का शेयर?

कंपनी के शेयरों में गिरावट की पहली और सबसे बड़ी वजह तो यही है कि कंपनी पर भारी कर्ज है. वेदांता लिमिटेड की पैरेंट कंपनी है वेदांता रिसोर्सेज, जिस पर आज के वक्त में करीब 8 अरब डॉलर यानी 65 हजार करोड़ रुपये का कर्ज होने की खबर है.

इंटरनेशनल जिंक बिजनेस डील में देरी से नुकसान!

वेदांता के लिए एक और खबर अच्छी साबित नहीं हो रही है. पिछले ही दिनों वेदांता लिमिटेड ने स्कीम ऑफ अरेंजमेंट्स के तहत जिंक बिजनेस को ग्रुप की सब्सिडियरी कंपनी हिंदुस्तान जिंक को ट्रांसफर करने का ऐलान किया था. अगर ऐसा होता तो वेदांता लिमिटेड को इससे करीब 25 हजार करोड़ रुपये मिल जाते.

हिंदुस्तान जिंक को प्राइवेटाइजेशन के तहत अनिल अग्रवाल ने खरीद लिया है और इस कंपनी के पास पर्याप्त मात्रा में कैश है. हालांकि, खबर ये आई कि भारत सरकार ने इस डील को खारिज कर दिया है. इसके चलते बाजार में एक निगेटिव सेंटिमेंट फैला और उसका सीधा असर वेदांता के शेयरों पर देखने को मिल रहा है. हिंदुस्तान जिंक में करीब 64.9 फीसदी हिस्सेदारी वेदांता की है, जबकि 29.5 फीसदी हिस्सेदारी सरकार की है. ऐसे में बिना सरकार की इजाजत के ये डील नहीं हो सकती है.

रेटिंग घटने का डर भी सता रहा

S&P Global Ratings ने हाल ही में एक रिपोर्ट में कहा कि अगर वेदांता लिमिटेड की पैरेंट कंपनी वेदांता रिसोर्सेस 2 बिलियन डॉलर का फंड नहीं जुटा पाती है या फिर इंटरनेशनल जिंक बिजनेस को हिंदुस्तान जिंक को नहीं बेच पाती है तो इससे कंपनी की रेटिंग घटाई जा सकती है. जून 2023 तक वेदांता लिमिटेड को करीब 500 मिलियन डॉलर यानी 4000 करोड़ रुपये से ज्यादा का फंड जुटाना होगा, क्योंकि यह कंपनी की न्यूनतम देनदारी है.

अडानी से क्यों हो रही है तुलना?

गौतम अडानी ग्रुप के निवेशक इसलिए उनकी कंपनी के शेयरों से दूरी बना रहे हैं, क्योंकि उन्होंने बहुत सारे शेयर गिरवी रखकर उसके बदले कर्ज लिया हुआ है. वेदांता लिमिटेड के मामले में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है. इस कंपनी में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी करीब 69.69 फीसदी है और ये सारे (99.99) फीसदी शेयर गिरवी रखे हुए हैं. अगर कोई कंपनी शेयर गिरवी रखकर कर्ज लेती है तो उससे कंपनी की इमेज निगेटिव बनती है. ये दिखाता है कि कंपनी के पास गिरवी रखने के लिए कोई दूसरा असेट नहीं बचा है, इसलिए कंपनी को शेयर गिरवी रखने पड़ रहे हैं.

संकट से उबने की हर कोशिश कर रहे अनिल अग्रवाल

अरबपति अनिल अग्रवाल की कंपनी Vedanta Resources ने इस महीने मैच्योर होने वाले अपने लोन को चुकता कर दिया है. इकनॉमिक टाइम्स के अनुसार अब कंपनी के आगामी भुगतानों को पूरा करने के लिए कंपनी करीब एक अरब डॉलर जुटाने के लिए बार्कलेज और स्टैंडर्ड चार्टर्ड सहित कुछ बैंकों के साथ बातचीत कर रही है.