इस महिला उद्यमी ने अपने घर से 10 हजार रुपये लगाकर शुरू किया स्टार्टअप, अब चला रही है 100 लोगों की टीम वाली कम्युनिकेशन एजेंसी
अक्षरा लालवानी कम्युनिकेट इंडिया की संस्थापक हैं। उन्होंने इसे अपने बेडरूम में स्थापित छोटे से कार्यालय से शुरू किया है। आज यह कम्युनिकेशन एजेंसी 100 से अधिक कर्मचारियों और कई प्रसिद्ध ग्राहकों के साथ एक बड़े आकार की कंपनी में रूप से विकसित हुई है।
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अक्षरा लालवानी
अक्षरा लालवानी का हमेशा से मानना रहा है कि अपने भाग्य का मालिक होने के लिए एक उद्यमी बनने से बेहतर और कोई तरीका नहीं है क्योंकि "आप जितना चाहें उतने तेज, उतने ही व्यापक और धीमे हो सकते हैं"।
अक्षरा बचपन से ही कड़ी प्रतिस्पर्धी थीं, और आगे बढ़ने के लिए उत्सुक थीं। मुंबई के जय हिंद कॉलेज से अर्थशास्त्र में पढ़ाई करने के बाद, अक्षरा एक फाइनेंशियल एडवाइजर और इन्वेस्टमेंट बैंकर बन गईं। आत्मनिरीक्षण करने पर, उन्हें लगा कि वह अपने करियर को सिर्फ एक क्षेत्र तक सीमित नहीं रखना चाहतीं।
तभी उनके एक फैमिली फ्रेंड ने सुझाव दिया कि चूंकि उनके पास प्रभावी ढंग से संवाद करने की कला है, इसलिए उन्हें जनसंपर्क अर्थात पब्लिक रिलेशन (PR) में जाना चाहिए। 23 साल की उम्र में, उन्होंने एक बुटीक पीआर फर्म शुरू की। और इस तरह, कम्युनिकेट इंडिया का जन्म हुआ।
केवल 10 हजार रुपये से की शुरुआत
उन्होंने केवल 10,000 रुपये से एक बेडरूम में मेकशिफ्ट ऑफिस से फर्म शुरू की थी। इन पैसों में आधे पैसे उनके दोस्त द्वारा एक प्रिंटर खरीदने के लिए दिए गए गिफ्ट वाउचर के थे। वे कहती हैं,
“मेरा पहला क्लाइंट बांद्रा में एक रेस्तरां था, जो मेरे जुनून और उत्साह में विश्वास करता था और उसने हमारे साथ छह महीने का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था। सच कहूं, तो बूटस्ट्रैपिंग ब्लेसिंग इन डिसगाइज था। इसने मुझे मितव्ययिता सिखाई, और कैसे अधिक रचनात्मक होना और अपने आप को अव्यवस्था से अलग करना सिखाया। सौभाग्य से, मैं एक सर्विस बिजनेस में थी और प्रोडक्ट-बेस्ड सर्विस के विपरीत उठने और चलने के लिए बहुत अधिक पूंजी की आवश्यकता नहीं थी। जैसा कि एलन मस्क कहते हैं, 'मुझपर ये काम करने का भूत सवार था।"
शुरुआत में, अक्षरा को क्लाइंट्स से कुछ हिचकिचाहट का सामना करना पड़ा, जो 23 वर्षीय उस लड़की पर भरोसा करने के लिए उत्सुक नहीं थे, यह सोचकर कि क्या उसके पास अनुभव और विजन भी है, भले ही उनके पास जुनून और उत्साह क्यों न हो।
विजन में भरोसा
उन्होंने अन्य चुनौतियों का भी सामना किया जैसे; ऐसे कई लोग थे जो स्टार्टअप में शामिल नहीं होना चाहते थे, और टीम के वरिष्ठ सदस्यों को उनके विजन पर विश्वास करना भी मुश्किल था। वे बताती हैं,
"जब मुझे व्यवसाय और मेरे अपने बारे में गहरी समझ मिली और तो मुझे विश्वास हुआ कि अब मेरा व्यवसाय बढ़ने लगा है। क्लाइंट्स की उम्मीदों पर खरा उतरना और न केवल उनके साथ सहमत होना अल्पकालिक प्रभाव था, बल्कि लंबे समय तक व्यापार पैमाने को बनाए रखने और ग्राहकों को बनाए रखने में मदद करता है। जब आपके पास एक महान टीम होती है, तो यह आपके समय को दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों की तुलना में अधिक लक्ष्य और रणनीति पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करती है।”
अक्षरा की जर्नी को आठ साल हो गए हैं, अक्षरा का कहना है कि कम्युनिकेट इंडिया एक स्ट्रेटजिक फुल-सर्विस फर्म है, जो ग्राहकों के साथ उनके कम्युनिकेशन और मार्केटिंग उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए काम करती है।
इसमें विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाली एक विविध टीम, कॉर्पोरेट, बुनियादी ढांचा, यात्रा और पर्यटन, स्वास्थ्य सेवा, सौर ऊर्जा, सीमेंट, रियल एस्टेट, खाद्य और पेय, और अन्य शामिल हैं। वह कहती हैं,
''छोटी कंपनियों से लेकर फॉर्च्यून 500 फर्मों तक हम आकार, क्षेत्र, या भौगोलिक स्थिति के बावजूद ब्रांड बनाने में मदद करते हैं।''
असफलताएं और चुनौतियां
अपनी इस यात्रा के बीच में, अक्षरा को एक गंभीर झटका लगा, जब मेहदी कॉटेज में उनके ऑफिस में आग लग गई और सब जलकर राख हो गया। वे याद करते हुए कहती हैं,
“यह हमारे लिए बहुत बड़ा झटका था, लेकिन हमारा सबसे बड़ा मोड़ भी था। हमने एक छोटे से क्रिएटिव बुटीक स्पेस से अपग्रेड करने का फैसला किया और आज हम जो कुछ भी कर रहे हैं उसकी रणनीतिक और कॉर्पोरेट इकाई तक पैमाना बना सकते हैं। यह वास्तव में एक बड़ा दांव था, क्योंकि हम अपनी बचत से बिजनेस में निवेश करते हैं।”
अपने डर पर विजय पाना पिछले आठ वर्षों में इस उद्यमी को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करता रहा है। वे कहती हैं,
"हमारे बहुत सारे एंप्लाई हमारे कंपटीटर्स के पास गए और कुछ ही समय में वापस हमारे के पास गए क्योंकि वे यहां की संस्कृति से प्यार करते थे और इससे मुझे खुशी हुई और लगा कि हम ऐसा कुछ जरूर कर रहे हैं जो हमारे पूर्व एंप्लाई को अच्छा लग रहा है और साल दर साल वे वापस आ रहे हैं।"
महिलाओं को प्रमुखता
कम्युनिकेट इंडिया में 90:10 का अनुपात है। अर्थात 100 में से 90 महिलाएं और 10 पुरुष काम करते हैं। क्योंकि अक्षरा का मानना है कि
“जहां भी संभव हो, महिलाओं को योग्यता पर अधिकार प्रदान करना चहिए। मुझे लगता है कि महिलाएं बहुत स्थिरता, व्यापक दृष्टि, और टेबल पर मल्टी-टास्किंग क्षमताओं को लाती हैं।"
वर्तमान में, कंपनी दो उभरते बाजारों में ऑफिस स्थापित करने पर विचार कर रही है और अमेरिका, यूके, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण पूर्व एशिया, भारत और यूरोप में अपने अलायंस के माध्यम से उपस्थिति है। अक्षरा 100 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी की उम्मीद कर रही है क्योंकि "एक आदर्श कंपनी 100 प्रतिशत शुद्ध लाभ और 100 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी" है। अक्षरा का कहना है कि भारत में एक महिला उद्यमी बनना दिलचस्प है।
वह अंत में कहती हैं,
“भारत बड़े पैमाने पर विकसित हो रहा है। महिला उद्यमियों के लिए समान अवसर, प्रतिस्पर्धा और बढ़ता सम्मान है। मैं काम पूरा होने में विश्वास रखती हूं बावजूद इसके कि चाहे वह कोई भी हो पुरुष हो या महिला।”