बंगाल के इस शिक्षक ने दीवारों को बना डाला ब्लैकबोर्ड और सड़कों को क्लासरूम, जरूरतमंद बच्चों को दे रहे हैं शिक्षा
कोरोना महामारी के चलते लागू हुए देशव्यापी लॉकडाउन ने उन छात्रों की पढ़ाई को खासा प्रभावित किया है जो इस दौरान ऑनलाइन क्लास अटेंड करने के लिए स्मार्टफोन या लैपटॉप का प्रबंध नहीं कर सकते थे। लेकिन इसी दौरान कुछ शिक्षकों और समाजसेवियों ने ऐसे छात्रों की शिक्षा को लगातार जारी रखने के लिए उद्देश्य से कई उल्लेखनीय प्रयास भी किए हैं।
पश्चिम बंगाल के पश्चिम बर्धमान जिले के रहने वाले 34 वर्षीय शिक्षक दीप नारायण नायक ऐसे ही एक शिक्षक हैं। दीप नारायण ने बीते एक साल में तमाम घरों की दीवारों पर ब्लैकबोर्ड पेंट करने का काम किया है, इसी के साथ वे इस दौरान जरूरतमंद बच्चों के लिए सड़कों पर ही क्लास का संचालन करते रहे हैं।
‘सड़क वाले शिक्षक’
दीप नारायण के इन प्रयासों की जमकर सराहना हो रही है। मीडिया से बात में दीप नारायण से पढ़ने वाले छात्रों के परिजनों ने बताया है कि महामारी के दौरान जब स्कूल बंद हुए तब छात्रों के पास पढ़ाई के लिए मोबाइल और लैपटॉप जैसे साधन मौजूद नहीं थे और इसके चलते वे सड़क पर ही घूम कर समय बिताया करते थे, लेकिन दीप नारायण के आने के बाद अब सब बदल गया है।
दीप नारायण अब इन बच्चों को नर्सरी कविताओं से लेकर मास्क पहनने और हाथ धोने के महत्व को भी सिखा रहे हैं। क्षेत्र के लोग उन्हें ‘सड़क वाले शिक्षक’ नाम से भी संबोधित करते हुए देखे जा रहे हैं। दीप नारायण ने इसके लिए लोगों के घरों की दीवारों को अब ब्लैकबोर्ड की तरह पेंट कर दिया है जहां वे इन बच्चों को पढ़ाते हैं, इसी के साथ वे सड़क पर ही अपनी क्लास का संचालन करते हैं।
ताकि ना रुके बच्चों की पढ़ाई
न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स से बात करते हुए दीप नारायण ने बताया है कि वे इसे लेकर काफी चिंतित थे क्योंकि उनके पास अभी जितने भी बच्चे पढ़ने आ रहे हैं उनमे से अधिकतर अपने परिवार में पहले ऐसे सदस्य हैं जो शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। उन सभी के माता-पिता दैनिक वेतन वाले कामगार हैं और ऐसे में अगर किसी भी कारणवश इन बच्चों की शिक्षा रुक जाती है तो वे शिक्षा से पूरी तरह दूर हो जाएंगे और ऐसे में इसका नुकसान समाज को भी उठाना होगा।
दीप नारायण के अनुसार उन्होने इस दौरान गाँव के बच्चों को मवेशी चराते हुए और इधर उधर घूमते हुए देखा था, ऐसे में वे इसे लेकर चिंतित थे कि उनकी शिक्षा किसी भी तरह से प्रभावित न हो।
चिंताजनक हैं आंकड़े
हाल ही में ग्रामीण इलाकों के 1400 स्कूली छात्रों पर किए गए एक सर्वे के अनुसार इनमे से सिर्फ 8 प्रतिशत बच्चे ही ऐसे थे जो कोरोना काल के दौरान नियमित तौर पर ऑनलाइन क्लास ले रहे थे, जबकि 37 प्रतिशत बच्चे ऐसे थे जिन्होने इस बीच अपनी पढ़ाई पूरी तरह छोड़ दी थी।
इन बच्चों में लगभग आधे बच्चे ऐसे थे जो मुश्किल से किताब से कुछ शब्द पढ़ पा रहे थे। ऐसे में इन बच्चों के परिजन भी यह चाहते हैं कि जल्द से जल्द स्कूल खुल जाएँ ताकि इन बच्चों की शिक्षा को फिर से सुचारु रूप से जारी रखा जा सके।
Edited by Ranjana Tripathi