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तमिलनाडु की यह पंचायत देश के लिए बनी मिसाल, कचरे से हो रहा है बिजली का निर्माण

इस पंचायत में कचरे हो रहा है बिजली और कीटनाशक का उत्पादन, खुल गए कमाई के नए रास्ते

तमिलनाडु की यह पंचायत देश के लिए बनी मिसाल, कचरे से हो रहा है बिजली का निर्माण

Wednesday August 25, 2021 , 3 min Read

"दो टन कचरे के साथ 200 यूनिट बिजली उत्पन्न की जा सकती है और यह बिजली एक साथ 200 ट्यूबलाइट्स को लगातार 24 घंटे तक जलाए रखने के लिए पर्याप्त है। इस पहल के साथ एक ओर जहां कचरे का प्रबंध होने लगा है, वहीं पंचायत के बिजली के बिल में भी कमी दर्ज़ की जा रही है।"

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शिवगंगा जिले में स्थित कांजीरांगल पंचायत के निवासी आज कचरे से पैसा कमा रहे हैं और साथ ही हो रहा है बिजली उत्पादन भी।

बीते कुछ सालों में देश के तमाम ग्रामीण क्षेत्रों से लगातार इनोवेशन सामने आ रहे हैं, जहां ये ग्रामीण क्षेत्र आज शहरी क्षेत्रों से भी आगे निकलते हुए नज़र आ रहे हैं। अब तमिलनाडु की एक पंचायत ने भी कुछ ऐसा कर दिखाया है जिसे लेकर उसकी तारीफ हर जगह देखी जा रही है। इस पंचायत ने दरअसल कचरा प्रबंधन का एक ऐसा तरीका खोज निकाला है जो इसके प्रबंधन के साथ ही बिजली भी पैदा करने के काम आ रहा है।


शिवगंगा जिले में स्थित कांजीरांगल पंचायत के निवासी आज कचरे से पैसा कमा रहे हैं, जबकि इसी के साथ जो बिजली उत्पादन हो रहा है वो अलग। पंचायत के निवासी रोजाना करीब 500 किलो कचरा पैदा करते थे, लेकिन इतनी बड़ी तादाद में कचरे को डंप करने के लिए उनके पास कोई जगह नहीं थी, जिससे यही कचरा उनके लिए एक समस्या का रूप लेता जा रहा था।

होगी लाखों रुपये की बचत

एक ओर जहां यह कचरा एक समस्या था वहीं दूसरी ओर पंचायत में हर साल 12 लाख रुपये के करीब का बिजली का बिल भी आता था, जिसका इस्तेमाल स्ट्रीट लाइट आदि जलाने के लिए किया जाता था। गौरतलब है कि बिजली का यह बिल दरअसल पंचायत के वार्षिक बजट का आधा हुआ करता था।


हालांकि अब इस बचे हुए धन का उपयोग पंचायत क्षेत्र के 8 गांवों में रहने वाले 14 हज़ार लोगों के विकास के लिए सीधे तौर पर किया जा सकेगा। 


द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में पंचायत के अध्यक्ष केसीएम मणिमुथु ने बताया है कि इस पहल के साथ अब एक ओर जहां कचरे का प्रबंध होने लगा है, वहीं पंचायत के बिजली के बिल में भी कमी दर्ज़ की जा रही है। मणिमुथु के अनुसार दो टन कचरे के साथ 200 यूनिट बिजली उत्पन्न की जा सकेगी और यह बिजली एक साथ 200 ट्यूबलाइटों को लगातार 24 घंटे तक जलाए रखने के लिए पर्याप्त होगी।


पंचायत के अध्यक्ष का अनुमान है कि इस तरह अगर वे रोजाना 200 यूनिट बिजली का उत्पादन कर सके तो वे बिजली के बिल के रूप में हर साल करीब 12 लाख रुपये बचा पाएंगे। हालांकि अभी कचरे का उत्पादन 0.5 टन का ही है, ऐसे में पंचायत को शिवगंगा नगरपंचायत से अतिरिक्त कचरा भी मिलने की संभावना है।

कीटनाशक से भी कमाई

इस प्रोजेक्ट के तहत एक हफ्ते में करीब 600 यूनिट बिजली का उत्पादन किया जा चुका है। इसके लिए सफाई कर्मी घर-घर जाकर बायोडिग्रेडेबल और नॉन बायोडिग्रेडेबल कचरे को अलग-अलग इकट्ठा करते हैं और फिर इसे बिजली उत्पादन यूनिट तक लाया जाता है।


यहाँ पर बायोडिग्रेडेबल कचरे को बायोगैस में बदला जाता है, जिसके जरिये फिर बिजली उत्पादन किया जाता है। इस प्रक्रिया में मिलने वाले अन्य उत्पादों का इस्तेमाल कीटनाशक के रूप में भी किए जाने की तैयारी है, जिससे पंचायत को पैसे कमाने का भी मौका मिल सकेगा।


कचरे से बिजली पैदा करने का यह आइडिया कलेक्टर पी मधुसूदन रेड्डी ने पंचायत को दिया था और अब तक इस प्रोजेक्ट पर राष्ट्रीय रूर्बन मिशन (एनआरयूएम) की तरफ से 65 लाख रुपये खर्च किए जा चुके हैं। इतना ही नहीं, राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री केआर पेरियाकरुप्पन ने पंचायत में निवासियों के इन प्रयासों की जमकर सराहना भी की है।


Edited by Ranjana Tripathi