वर्ष 2025 में कैसे रखें अपनी सेहत का ख्याल? जानिए...
वर्ष 2025 में कदम रखने के साथ, आइये हम डाइटरी कमियों को दूर करने पर ध्यान दें. फिर चाहे यह खाने से हो या सप्लीमेंट्स के जरिये. इस प्रकार हम ज्यादा संतुष्ट और सेहतमंद होकर जिन्दगी जी सकते हैं. सार्थक बदलाव करने का मौका अपनायें, पौष्टिक खाना खायें, सक्रिय रहें और सकारात्मक सोच को बढ़ावा दें.
साल 2025 में कदम रखने के साथ, लंबे वक्त तक अपनी सेहत बनाये रखने के लिए पोषण की भूमिका को समझना बेहद जरूरी है. लाइफस्टाइल के मामले में हमारी पसंद किस तरह से हमारी तंदुरुस्ती पर असर डालती है, इसे लेकर जागरूकता काफी बढ़ रही है. ऐसे में, अनिवार्य पोषक-तत्वों, जैसे कि प्रोटीन, ओमेगा-3एस, विटामिन्स और मिनरल्स को सबसे ज्यादा महत्व देना आवश्यक हो गया है. हमारी लाइफस्टाइल को बेहतर बनाने के लिए पोषण को लेकर एक बैलेंस्ड नजरिया जरूरी है. इसमें हमारे शारीरिक विकास एवं मेटाबॉलिज्म से जुड़ी आवश्यकतायें भी शामिल हैं. इस नजरिये को अपनाना सिर्फ एक विकल्प नहीं है; यह भविष्य में हमारे स्वास्थ्य तथा खुशियों के लिये एक दमदार निवेश होगा.
आजकल पोषण का मतलब सिर्फ कैलोरीज गिनने से नहीं है, बल्कि यह जानने से है कि आपके शरीर को क्या चाहिये और यह सुनिश्चित करना कि उसे ऊर्जा के लिये मैक्रोन्यूट्रियेंट्स और स्वस्थ तथा मजबूत बने रहने के लिये माइक्रोन्यूट्रियेंट्स का सही मिश्रण मिले. एबॅट में मेडिकल एण्ड साइंटिफिक अफेयर्स, न्यूट्रीशन बिजनेस की डायरेक्टर डॉ. प्रीति ठाकोर ने कहा, “खाने-पीने के मामले में लोग ज्यादा सचेत हो गये हैं और पोषक-तत्वों से भरे भोजन की मांग बढ़ रही है. इस प्रकार आहार-विहार के तरीके अधिक स्वस्थ हो गये हैं. इन प्रयासों में सहयोग देने के लिये ओरल न्यूट्रिशनल सप्लीमेंट्स (ओएनएस) पोषण की कमियों को पूरा करने में मददगार हो सकते हैं. खासकर वे भूख की कमी वाले, पोषण की अधिक आवश्यकता वाले या पोषक-तत्वों के अवशोषण में कठिनाई का अनुभव करने वाले लोगों में कुपोषण की रोकथाम के लिये सहायक होंगे.”
पोषण और उससे सम्बंधित उभरती आवश्यकताओं को समझना
अच्छी सेहत बनाये रखने के लिये अच्छा पोषण जरूरी है. इस बात को कई लोग समझते हैं, लेकिन इसका सही अर्थ अक्सर अस्पष्ट रहता है. लगातार हो रहे शोध और लोकप्रिय डाइट में उछाल, जैसे कि वीगन, पैलीयो, ग्लूटन-फ्री और केटो के साथ खान-पान के सही विकल्प खोजना कठिन हो सकता है. लेकिन सारे अध्ययनों में एक बात का प्रमाण हमेशा मिलता है: अच्छी तरह संतुलित डाइट से परिवारों का स्वास्थ्य एवं तंदुरुस्ती काफी बेहतर हो सकती है.
जब लोग जीवन की विभिन्न अवस्थाओं में आगे बढ़ते हैं, तब पोषण के मामले में उनकी आवश्यकताएं उभरती हैं. उदाहरण के लिये, बच्चों को विकास के लिये कुछ पोषक-तत्वों की ज्यादा मात्रा चाहिये, वयस्कों को मसल मास और बोन डेंसिटी बनाये रखने पर ध्यान देना होता है, जबकि बुजुर्गों को मसल लॉस रोकने के लिये ज्यादा प्रोटीन और विटामिन डी तथा बी12 की ज्यादा मात्रा लग सकती है, ताकि ज्ञानात्मक कार्य सुचारू रहें. एंश्योर जैसे उत्पादों को वयस्कों के आहार में शामिल करने से पोषण की कमियों को दूर करने में मदद मिल सकती है. उन्हें अनिवार्य पोषक-तत्वों का एक संतुलित स्रोत मिलेगा, जो पूरे स्वास्थ्य में सहयोग देगा. आहार के ऐसे विकल्प तैयार करने में इन बदलावों को समझना जरूरी है, जो व्यक्ति के स्वास्थ्य की विशेष आवश्यकताओं को पूरा करते हों.
इष्टतम स्वास्थ्य बनाये रखने के लिये यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आपका आहार संतुलित हो और उसमें तरह-तरह के अनिवार्य पोषक-तत्व हों. एक वयस्क व्यक्ति की डाइट में इन पोषक-तत्वों को शामिल किया जाना चाहिये:
- प्रोटीन: यह मांसपेशियों की मरम्मत और वृद्धि में सहयोग देता है और इसे दाल, काबुली चने, राजमा, पनीर, अंडे तथा चिकन से प्राप्त किया जा सकता है
- कार्बोहाइड्रेट्स: यह शरीर को ऊर्जा देने वाले पहले स्रोत होते हैं और आमतौर पर चावल, पूरे गेहूं की रोटी, पोहा, ओट्स तथा शकरकंद में पाये जाते हैं
- ओमेगा-3 फैटी एसिड्स: यह दिल की सेहत में काम आते हैं और प्रदाह को कम करने में सहायक होते हैं. यह अलसी, अखरोट, सरसों के तेल और मछली, जैसे कि इंडियन बांगदा या रोहू में मिलते हैं
- फाइबर: फाइबर पाचन में सहयोग करता है और वजन को स्वस्थ बनाये रखने में सहायक होता है. यह साबूत अनाज, जैसे कि ब्राउन राइस और मिलेट, अमरुद तथा सेब जैसे फलों और पालक एवं ब्रोकोली जैसी सब्जियों और इसबगोल में मिलता है.
- विटामिन्स:
- विटामिन डी: यह हड्डियों की सेहत के लिये कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है और इसे फोर्टिफाइड दूध, दही तथा धूप से लिया जा सकता है
- विटामिन ई: यह एंटीऑक्सीडेंट का काम करता है और कोशिकाओं को टूटने से बचाता है. यह बादाम, सूर्यमुखी के बीजों और सरसों का साग में पाया जाता है
- विटामिन सी: यह इम्युन फंक्शन और त्वचा की सेहत के लिये जरूरी होता है और साइट्रस फलों में उपलब्ध होता है, जैसे कि संतरे और नींबू, आंवला तथा अमरूद
- विटामिन बी6: मस्तिष्क के स्वास्थ्य और मेटाबॉलिज्म के लिये महत्वपूर्ण होता है. यह केले, आलू और सूर्यमुखी के बीजों में पाया जाता है
- विटामिन बी12: तंत्रिकाओं के कार्य और लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण में अनिवार्य. यह डेयरी उत्पादों, मछली और फोर्टिफाइड अनाजों में पाया जाता है
- मिनरल्स:
- कैल्शियम: हड्डियों की सेहत के लिये जरूरी. यह दूध, दही, रागी और तिल में मिलता है
- आयरन: मेटाबॉल्ज्मि की प्रक्रिया में सहयोग देता है और पालक, मेथी, गुड़ तथा दाल में पाया जाता है
- जिंक: इम्युन फंक्शन और घावों को भरने में मदद करता है. यह कद्दू के बीजों, काबुली चने और बाजारा जैसे साबूत अनाजों में पाया जाता है.
सेहत को बनाये रखने में हर पोषक-तत्व की एक खास भूमिका होती है. इसलिये ऐसा आहार लेना महत्वपूर्ण है, जो इन सामग्रियों से भरपूर हो.
रोजाना के भोजन पर एक नजर
कहा जाता है कि “नाश्ता राजा की तरह करें, दोपहर का भोजन राजकुमार की तरह और रात्रि का भोजन निर्धन व्यक्ति की तरह”. चूंकि कार्बोहाइड्रेट्स के मुकाबले प्रोटीन और वसा को पचाना कठिन होता है, इसलिये उन्हें नाश्ते या लंच में खाया जाना चाहिये. डिनर सबसे ज्यादा हल्का होना चाहिये, क्योंकि शाम को मेटाबॉल्जिम धीमा हो जाता है. पूरी रात कुछ न खाने के बाद सुबह के नाश्ते की शुरूआत हल्के गर्म पानी से होनी चाहिये, ताकि टॉक्सिन्स बाहर निकाले जा सकें. इसमें ऊर्जा से भरे कार्बोहाइड्रेट्स हों, जैसे कि पोहा, उपमा, डोसा, इडली या दालों के बने चीले. मौसमी सब्जियाँ इसे और भी बेहतर बना देंगी और साथ में फल या दूध का एक गिलास पोषण को बढ़ा देगा. लंच भी महत्वपूर्ण होता है और उसमें मुख्य भोजन से पहले अनप्रोसेस्ड फूड्स लेने चाहिये, जैसे कि सलाद. सलाद से जरूरी विटामिन मिलते हैं. संतुलित आहार, जैसे कि सब्जी के साथ रोटी या खिचड़ी, एक हल्का–फुल्का और पचने में आसान डिनर बना सकता है.
इन मुख्य चीजों के अलावा पोषक-तत्वों से प्रचुर एक छोटा-सा स्नैक, जैसे कि एंश्योर का एक गिलास भूख को मिटाने और पूरे दिन एनर्जी बनाये रखने में सहायक हो सकता है.
2025 में सेहत की बड़ी जीत के लिये छोटे-छोटे कदम
छोटे-छोटे बदलाव पूरी सेहत में काफी सुधार कर सकते हैं. ज्यादा संपूर्ण चीजों को शामिल करना, प्रोसेस्ड फूड्स को कम करना और हाइड्रेटेड रहना इसकी बढि़या शुरूआत हो सकती है. सही पोषण के साथ-साथ मसल मास और बोन डेंसिटी बनाये रखने के लिये नियमित शारीरिक गतिविधि महत्वपूर्ण होती है. हफ्ते में दो बार स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग एक्सरसाइज करने से मांसपेशियों की मजबूती बढ़ सकती है, संतुलन बेहतर हो सकता है और चयापचय के स्वास्थ्य में सहयोग मिल सकता है. पैदल चलना, तैरना या योग जैसी गतिविधियाँ भी आपकी सेहत में सकारात्मक योगदान देती हैं.
वर्ष 2025 में कदम रखने के साथ, आइये हम डाइटरी कमियों को दूर करने पर ध्यान दें. फिर चाहे यह खाने से हो या सप्लीमेंट्स के जरिये. इस प्रकार हम ज्यादा संतुष्ट और सेहतमंद होकर जिन्दगी जी सकते हैं. सार्थक बदलाव करने का मौका अपनायें, पौष्टिक खाना खायें, सक्रिय रहें और सकारात्मक सोच को बढ़ावा दें. इन लक्ष्यों का पालन करें और हम आने वाले साल को ज्यादा सेहतमंद और खुशहाल बना सकते हैं.