अपने स्टार्टअप से गांव के बच्चों को खेल-खेल में रोबोटिक्स और कोडिंग सिखा रहीं सूर्यप्रभा
यूकोड स्टार्टअप पूरी तरह से बूटस्ट्रेप्ड है और फिलहाल ये किसी भी कार्यक्रम के लिये स्कूल या फिर बच्चों से कैसा भी कोई शुल्क नहीं वसूलते हैं। रामानाथपुरम में इन्हें औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) के अलावा आईसीआईसीआई फाउंडेशन और विरुधानगर में पीटीआर कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग द्वारा सहायता मिली हुई है।
"यूकोड की स्थापना से पूर्व सूर्यप्रभा ने आईटी के क्षेत्र की कोई औपचारिक शिक्षा नहीं ली थी। तमिलनाडु के थेनी जिले के एक छोटे से शहर कुंबम से ताल्लुक रचाने वाली सूर्या ने कोडाईकनाल विश्वविद्यालय से संबद्ध नादर सरस्वती कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड साईंस से जीव विज्ञान में बीएससी की डिग्री हासिल की।"
के सूर्यप्रभा ने तमिलनाडु के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों को मजेदार, आसान तरीके से और खेल-खेल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से रूबरू करवाने के उद्देश्य के साथ यूकोड इंटेलिजेंस सॉल्यूशंस की स्थापना की। हालिया दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रौद्योगिकी के सभी रूपों में कुशल होने के सपने को साकार करने का उद्देश्य सामने रखकर कई स्मार्ट उद्यमियों ने एडटेक के क्षेत्र में अपने कदम आगे बढ़ाए हैं।
वास्तव में प्रधानमंत्री द्वारा सुझाए गए एक नए आइडिया - आईटी + आईटी =आईटी - यानि इंफॉर्मेशन टेक्नॉलॉजी + इंडियन टैलेंट= इंडिया टुमॉरो को अमली जामा पहनाते हुए के सूर्यप्रभा ने तमिलनाडु के सुदूर गांवों में रहने वाले बच्चों तक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को पहुंचाने के लिये चेन्नई में यूकोड इंटेलिजेंस सॉल्यूशंस की स्थापना की।
सूर्यप्रभा कहती हैं, 'प्रधानमंत्री ने हमेशा से ही तकनीक को सामूहिक रूप से अपनाने की वकालत की है न कि आहिस्ता-आहिस्ता वो भी टुकड़ों में। इसके अलावा इसे समाज के सभी वर्गों द्वारा भी समान रूप से अपनाया जाना चाहिये ताकि इसके लाभ सभी को समान रूप से मिल सकें। चूंकि भारत की एक बड़ी आबादी गांवों में बसती है, इसलिए भारत को एक महाशक्ति बनाने के क्रम में इस बात जरूरत है कि प्रौद्योगिकी को गांवों तक ले जाया जाए।'
एक बेहद दिलचस्प जानकारी यह है कि यूकोड की स्थापना से पूर्व सूर्यप्रभा ने आईटी के क्षेत्र की कोई औपचारिक शिक्षा नहीं ली थी। तमिलनाडु के थेनी जिले के एक छोटे से शहर कुंबम से ताल्लुक रचाने वाली सूर्या ने कोडाईकनाल विश्वविद्यालय से संबद्ध नादर सरस्वती कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड साईंस से जीव विज्ञान में बीएससी की डिग्री हासिल की। इसके बाद उनकी शादी हो गई और वे अपने पति कार्तिक के साथ चेन्नई आ गईं जहां उन्होंने चार वर्षों तक एक विज्ञापन डिजाइनिंग कंपनी में नौकरी की।
एक बार जब उनके बच्चे स्कूल जाने लायक हो गए तब उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि अब उनके पास इतना खाली समय मौजूद है जिसमें वे कुछ बिल्कुल नया सीख सकती हैं। उन्होंने अपने आप ही कोडिंग सीखना शुरू किया और साथ ही अपने पति कार्तिक के साथ प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नए रुझानों पर चर्चा करनी शुरू की। सीखने की यह प्रक्रिया जल्द ही एक जुनून में बदल गई जिसे वे दूसरों, विशेषकर बच्चों के साथ बांटना चाहती थीं, और इस प्रकार यूकोड की नींव पड़ी। यूकोड ने अपनी टीम में कंप्यूटर साइंस और मेकाट्रोनिक्स के क्षेत्र में पारंगत युवा इंजीनियरों के एक जोशीले समूह को जोड़ा।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को ग्रामीण बच्चों तक लेकर जाना
यूकोड अब तक मदुरै, विरुधानगर और रामानाथपुरम जिलों के करीब 3000 ग्रामीण बच्चों तक अपनी पहुंच बना चुका है। रामानाथपुरम जिला (जिसे स्थानीय भाषा में रामनाड कहा जाता है) इनकी ताजा पहल का एक हिस्सा है। सूर्यप्रभा बताती हैं, 'केंद्रीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल के शुरू में कहा था कि रामनाड को उसके पिछड़े दर्जे से बाहर निकालने और उसे एक महत्वाकांक्षी जिले के रूप में स्थापित करने के लिये जरूरी तमाम कदम उठाए जाएंगे और उनके इसी बयान को अमली जामा पहनाने के लिये हम जिला कौशल प्रशिक्षण कार्यालय के निदेशक एस रमेश कुमार के साथ मिलकर एआई में प्रशिक्षण देने का काम कर रहे हैं।'
यूकोड कार्यक्रम को विभिन्न डीईओ (जिला शैक्षिक अधिकारियों) से अनुमोदन लेकर शुरू किया गया था, जिन्होंने कंपनी को स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम शुरू करने की अनुमति दी थी। इस कार्यक्रम लक्ष्य प्रमुख रूप से सभी सरकारी स्कूलों में कक्षा छह से ऊपर के छात्रों को इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर विज्ञान और रोबोटिक्स तकनीक में जागरूकता लाने का है।
इसमें - 'कोड द रोबोट्स', 'बिकम ए रोबोट' और 'एक्सपीरियंस एआई' - तीनों ही क्षेत्रों को शामिल किया जाता है जिसके तहत एआई की शक्तियों को विस्तार से समझाने के लिये गूगल और अमेजन की किट्स का प्रयोग किया जाता है। यह एक एक-दिवसीय कार्यक्रम है जिसमें बच्चों की सहभागिता और पारस्परिक विचार-विमर्श के साथ विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है।
इसके अलावा सूर्यप्रभा केंद्रीय प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद के बयान का भी हवाला देती हैं, जिन्होंने हाल ही में कहा था, 'हम औद्योगिक क्रांति से चूक गए, हम 70 और 80 के दशक में हुई उद्यमी क्रांति से चूक गए, लेकिन हम डिजिटल क्रांति में पीछे नहीं रहना चाहते हैं। हम इसमें सबसे आगे रहना चाहते हैं।'
सूर्यप्रभा कहती हैं, 'कम उम्र के बच्चों को लक्षित करने का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि वे कोडिंग और एआई जैसे विषयों को प्रारंभ से ही बेहतर तरीके से आत्मसात कर पाते हैं। इसके अलावा इस जागरुकता कार्यक्रम के माध्यम से हम सबकुछ एक बेहद मजेदार और खेल-खेल वाले माहौल में समझाते हैं जिससे बच्चों के मध्य सीखने के प्रति स्वाभाविक रुचि विकसित होती है। उदाहरण के लिये हमारे इंजीनिर उन्हें (बच्चों को) दिखाते हैं कि कैसे कोडिंग की सिर्फ एक लाइन लिखकर रोबोट में हलचल पैदा की जा सकती है। यह उन्हें नई अवधारणाओं और एक ऐसे क्षेत्र से परिचित करवाता है जिसे वे भविष्य में अपना सकते हैं।'
यूकोड पूरी तरह से बूटस्ट्रेप्ड है और फिलहाल ये किसी भी कार्यक्रम के लिये स्कूल या फिर बच्चों से कैसा भी कोई शुल्क नहीं वसूलते हैं। रामानाथपुरम में इन्हें औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) के अलावा आईसीआईसीआई फाउंडेशन और विरुधानगर में पीटीआर कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग द्वारा सहायता मिली हुई है। इसका प्रमुख उद्देश्य सीएसआर फंडिंग को टैप करना और इसे गांवों में एआई शिक्षा के लिए चैनल करना है।
वे कहती हैं, 'अबतक मिली प्रतिक्रिया काफी जबर्दस्त रही है। कोड लिखे जाने पर किसी रोबोट में हलचल होते देखने पर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों के चेहरों पर आने वाली खुशी और जोश के भाव देखने पर मेरी आंखों से खुशी के आंसू बह निकलते हैं।'
वे आगे कहती हैं, 'हमारे द्वारा प्रदान की जाने शिक्षा भले ही बिल्कुल बुनियादी हो लेकिन इससे पैदा होने वाली जागरुकता निश्चित ही भविष्य की राह खोलेगी और इस दिशा में उनका रुझान बढ़ाने में मददगार साबित होगी। इस बात में तनिक भी संदेह नहीं है कि आने वाले दशकों में मानव के तकनीक के साथ होने वाले बर्ताव के तरीके को मदलने में एआई बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। ऐसे में कंप्यूटर का ज्ञान बेहद जरूरी हो जाता है और हमारा मानना है कि बच्चों को कम उम में ही एआई (साॅफ्टवेयर और रोबोट के बिल्कुल सटीक मिश्रण के साथ) से स्बस् करवा देना चाहिये।'
सूर्यप्रभा को इस बात का भी पूरा इल्म है स्टार्टअप जगत पर अभी भी बड़े पैमाने पर पुरुषों का वर्चस्व है और एक टेक स्टार्टअप का संचालन करने वाली महिलाओं की संख्या उंगलियों पर गिने जाने लायक है। वे आगे कहती हैं, 'एडटेक के क्षेत्र में कदम रखना वास्तव में एक बेहद साहसिक कदम था। वास्तव में अपने परिवार के साथ व्यापार को संभावना मेरे लिये एक बड़ी चुनौती है लेकिन मैं इससे बेहद प्यार करती हूं। अधिक से अधिक गांवों के बच्चों तक पहुंचना और उन्हें सपनों और महत्वाकांक्षाओं को बनाए रखने के लिये प्रेरित करना मेरी भविष्य की योजनाओं के शीर्ष पर है। मैं एक महिला उद्यमी के रूप में अपनी अलग पहचान स्थापित करना चाहती हूं और मैं निश्चित ही ऐसा करके दिखाऊंगी।'
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