हकीम की दुकान से लेकर 5 करोड़ टर्नओवर वाली कंपनी तक, 134 वर्ष से लोगों की संवार रही सेहत
साल 2020 में धारीशाह आयुर्वेदा, ब्रांड के तौर पर इंट्रोड्यूस हुआ.
आयुर्वेद (Ayurveda) की ताकत को आधुनिक मेडिकल साइंस भी मानती है. कोरोना महामारी के दौर में तो इसमें कोई दोराय नहीं रह गई. जहां तक भारत की बात है तो आयुर्वेद का तोहफा भारत ने ही दुनिया को दिया है. शायद यही वजह है कि वर्तमान में कई कंपनियों का आयुर्वेद पर भरोसा बरकरार है और इस पर बेस्ड प्रॉडक्ट्स को मार्केट में मौजूद हैं. ऐसी ही एक कंपनी धारीशाह आयुर्वेदा (Dharishah Ayurveda) भी है. इसका अस्तित्व पिछले 134 वर्ष से है, वह अलग बात है कि उस वक्त यह कंपनी नहीं थी. YourStory Hindi ने धारीशाह आयुर्वेदा के फाउंडर व मार्केटिंग डायरेक्टर नमन धमीजा से कंपनी की जर्नी को लेकर विस्तार से बातचीत की.
परदादा से पड़ी नींव
धारीशाह आयुर्वेदा आयुर्वेद के सेक्टर में फंक्शनल है. अंबाला में बेस्ड कंपनी का मकसद नेचुरल व हर्बल आयुर्वेद की मदद से मानवता की सेवा करना है. धारीशाह आयुर्वेदा की नींव नमन के परदादा हकीम धारी शाह (Hakim Dhari Shah) ने वर्तमान पाकिस्तान के मियां वाली में रखी थी. वह एक आयुर्वेदिक हकीम थे और उनकी आयुर्वेदिक दवाएं काफी लोकप्रिय थीं. उन्होंने 1889 में मियां वाली में ही अपनी पहली फार्मेसी खोली. नमन बताते हैं कि यह फार्मेसी छोटी नहीं थी, बल्कि अच्छी खासी बड़ी थी. 100 किलोमीटर दूर से भी लोग फार्मेसी पर आते थे. नमन बताते हैं कि मियां वाली में धारी शाह परिवार काफी फेमस था. कहा जाता है कि मियां वाली में तीन चीजें काफी नामचीन थीं- वहां आने वाला तूफान, वहां की कचहरी यानी कोर्ट और धारी यानी धारीशाह.
विभाजन के बाद आए भारत
1947 के विभाजन और पाकिस्तान के गठन के बाद नमन के दादाजी के साथ धमीजा परिवार अंबाला कैंट आ गया. परदादा की हकीम धारी शाह की मृत्यु पाकिस्तान में ही हो गई थी. भारत आने पर अंबाला में ही मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाई गई और ऑपरेशंस शुरू किए गए. आयुर्वेदिक फार्मेसी को धारीशाह आयुर्वेदा ब्रांड बनाने का श्रेय नमन के पिता राजिंदर धमीजा को जाता है. वह कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं. उन्होंने अपने परिवार के आयुर्वेदिक ज्ञान की धरोहर की मदद से एक बिजनेस डेवलप किया. शून्य से की गई शुरुआत आज लगभग 5 करोड़ रुपये टर्नओवर वाला ब्रांड बन चुका है.
कब अस्तित्व में आया ब्रांड
नमन के मुताबिक, साल 2020 में धारीशाह आयुर्वेदा ब्रांड के तौर पर इंट्रोड्यूस हुआ. धारीशाह आयुर्वेदा के 2 स्टोर और एक मैन्युफैक्चरिंग फैसलिटी है. ये अंबाला में ही बेस्ड हैं. कंपनी खुद के प्रॉडक्ट की मैन्युफैक्चरिंग तो करती ही है, साथ ही दूसरी कंपनियों के लिए भी प्रॉडक्ट मैन्युफैक्चरिंग के कॉन्ट्रैक्ट लेती है. कंपनी का वर्तमान टर्नओवर करीब 5 करोड़ रुपये है. प्रॉडक्ट की संख्या 50-60 है.
नमन का कहना है कि उनकी कंपनी, ऑनलाइन तरीके से कॉन्टैक्ट करने वाले लोगों की अपने डॉक्टर से बात कराती है. बीमारी, टेस्ट रिपोर्ट के आधार पर उन्हें दवाएं सजेस्ट की जाती हैं. कंपनी के सारे प्रॉडक्ट आयुष मंत्रालय से सर्टिफाइड हैं. मैन्युफैक्चरिंग फैसिलटी जीएमपी सर्टिफाइड है. प्रॉडक्ट्स को ऑफलाइन और ऑनलाइन तरीके से खरीदा जा सकता है.
100 प्रतिशत प्लांट बेस्ड फॉर्म्युलेशंस का दावा
वर्तमान में धारीशाह आयुर्वेदा में करीब 30 लोगों की टीम है. ब्रांड का मकसद आयुर्वेद के महत्व को और मजबूती प्रदान करना है. धारीशाह, परंपरागत दवाओं और आधुनिकता के मेल से बना प्रॉडक्ट है. कंपनी आयुर्वेद में मौजूद प्राकृतिक तत्वों का इस्तेमाल कर बीमारी का इलाज उपलब्ध कराती है और थेरेपीज को प्रमोट करती है. धारीशाह का दावा है कि उसके फॉर्म्युलेशंस 100 प्रतिशत प्लांट बेस्ड हैं और उन्हें रिफाइंड मॉडर्न मेथड्स का इस्तेमाल कर तैयार किया गया है.
नमन ने नौकरी छोड़ संभाला बिजनेस
नमन धमीजा, धारीशाह आयुर्वेदा के फाउंडर व मार्केटिंग डायरेक्टर हैं. यह कंपनी नमन 26 वर्ष की उम्र में ही अपने इस फैमिली बिजनेस से जुड़ गए थे. नमन ने कंप्यूटर साइंस में बी.टेक किया हुआ है. वह नोएडा में एमिटी विश्वविद्यालय के छात्र रह चुके हैं. नमन ने बीटेक करने के बाद कुछ वक्त के लिए नौकरी भी की लेकिन फिर नौकरी छोड़कर पारिवारिक व्यवसाय से जुड़ गए. धारीशाह आयुर्वेद के मार्केटिंग डायरेक्टर के रूप में, नमन ने प्रॉडक्ट डेवलपमेंट, ऑपरेशंस मैनेजमेंट, बिजनेस स्ट्रैटेजीस के विकास व प्रशिक्षण में विशेषज्ञता प्राप्त की.