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स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के पास ई-रिक्शा चला ‘आत्मनिर्भर' बन गईं ये आदिवासी महिलाएं

इन महिलाओं में कई महिलाएं आदिवासी समुदाय से भी आती हैं और वे सिर्फ अपना नाम भर पढ़ और लिख सकती हैं, इसी के साथ उन्हें पूरी तरह से हिन्दी भाषा बोलनी भी नहीं आती हैं, हालांकि अब ये महिलाएं खुद को ‘आत्मनिर्भर महिला’ कहलाना पसंद करती हैं।

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के पास ई-रिक्शा चला ‘आत्मनिर्भर' बन गईं ये आदिवासी महिलाएं

Wednesday February 23, 2022 , 3 min Read

विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति स्ट्रैच्यू ऑफ यूनिटी यूं तो दुनिया भर से भारत आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र है, लेकिन फिलहाल स्ट्रैच्यू ऑफ यूनिटी के आस-पास का इलाका महिला सशक्तिकरण का केंद्र बन चुका है और बड़ी संख्या में महिलाएं इस क्षेत्र में बतौर ई-रिक्शा चालक अपने लिए रोज़गार का शृजन कर रही हैं।

इन महिलाओं में कई महिलाएं आदिवासी समुदाय से भी आती हैं और वे सिर्फ अपना नाम भर पढ़ और लिख सकती हैं, इसी के साथ उन्हें पूरी तरह से हिन्दी भाषा बोलनी भी नहीं आती हैं, हालांकि अब ये महिलाएं खुद को ‘आत्मनिर्भर महिला’ कहलाना पसंद करती हैं।

मिला बेहतर आय का साधन

स्ट्रैच्यू ऑफ यूनिटी को देखने के लिए देश और विदेश से आए पर्यटक सबसे पहले आमतौर पर एकता नगर रेलवे स्टेशन पहुंचते हैं। मालूम हो कि यह देश का पहला हरित ऊर्जा प्रमाणित रेलवे स्टेशन है और इसी रेलवे स्टेशन के पास करीब 60 से अधिक महिलाएं ई-रिक्शा चलती हैं।

मीडिया से बात करते हुए इन महिलाओं ने बताया है कि साल 2021 से पहले इन सभी को एक अपमानित जीवन जीने के लिए मजबूर होना पड़ता था, हालांकि अब उनके जीवन में बड़ा बदलाव आ चुका है और वे अब हर रोज़ 1000 रुपये से लेकर 1400 रुपये तक कमा लेती हैं।

ये सभी ई-रिक्शा चालक महिलाएं अपने वाहन के दैनिक किराए का भुगतान करने के बाद बचत के करीब 1000 हज़ार रुपये अपने घर ले जाती हैं और इस तरह उन्हें आर्थिक रूप से बड़ी स्वतन्त्रता हासिल हुई है। अपने काम को लेकर ये महिलाएं सोशल मीडिया पर भी जमकर तारीफ बटोर रही हैं।

मिला औपचारिक ड्राइविंग प्रशिक्षण

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी प्रबंधन के प्रवक्ता राहुल पटेल ने मीडिया से बात करते हुए बताया है कि आसपास के गांवों की रहने वाली ये महिलाएं एकतानगर कौशल विकास केंद्र में प्रशिक्षण लेने के बाद अब ई-रिक्शा चलाकर अपने लिए जीविका अर्जित कर रही रही हैं।

इस पहल के तहत अत्यंत गरीब परिवारों से आने वाली 260 से अधिक आदिवासी महिलाओं को औपचारिक ड्राइविंग प्रशिक्षण प्रदान करने की योजना बनाई गई है। आज ये महिलाएं ई-रिक्शा चलाने ले साथ ही पर्यटकों को स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के दर्शन करने के बाद अन्य स्थानों के बारे में जानकारी भी प्रदान करती हैं।

आंकड़ों के अनुसार, 31 अक्टूबर 2018 से अब तक बड़ी संख्या में विदेशियों के साथ ही करीब 75 लाख से अधिक पर्यटक स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को देखने आ चुके हैं। गौरतलब है कि उनमें से अधिकांश पर्यटकों ने इन्हीं आदिवासी महिलाओं द्वारा संचालित ई-रिक्शा की सवारी का आनंद लिया है।


Edited by Ranjana Tripathi