मामूली गाड़ी को स्पेशल बना देता है ये स्टार्टअप, वाट्सऐप के को-फाउंडर ने भी लगाए हैं पैसे
इन दिनों गाड़ियां बढ़ने के साथ ही उनके चोरी होने की घटनाएं भी काफी बढ़ गई हैं. अगर आपको भी अपनी कार की चिंता रहती है तो चिंता को दूर कर देगा Trak N Tell. इसकी शुरुआत प्रांशु गुप्ता और रितु गुप्ता ने 2008 में की थी.
हाइलाइट्स
इन दिनों गाड़ियां बढ़ने के साथ ही उनके चोरी होने की घटनाएं भी काफी बढ़ गई हैं.
अगर आपको भी अपनी कार की चिंता रहती है तो चिंता को दूर कर देगा Trak N Tell.
इसकी शुरुआत प्रांशु गुप्ता और रितु गुप्ता ने 2008 में की थी.
वाट्सऐप के को-फाउंडर ब्रायन एक्टन भी इस कंपनी में निवेशक हैं.
आज के इस दौर में सड़कों पर गाड़ियों का ट्रैफिक काफी ज्यादा बढ़ गया है. गाड़ियां बढ़ने के साथ ही उनके चोरी होने की घटनाएं भी काफी बढ़ गई हैं, जिससे लोगों को हर वक्त अपनी गाड़ी की चिंता रहती है. बहुत सारी कंपनियां अपने यहां कर्मचारियों को कैब सर्विस देती हैं, लेकिन ये चिंता लगी रहती है कि कार का मिसयूज तो नहीं हो रहा. अगर आपको भी अपनी कार की चिंता रहती है तो आपकी इस चिंता को दूर कर देगा
. यह स्टार्टअप कई सालों से जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम मुहैया करा रहा है. गुरुग्राम का ये ब्रांड Bits N Bytes Soft Private Limited कंपनी के तहत आता है. इसकी शुरुआत प्रांशु गुप्ता और रितु गुप्ता ने 2008 में की थी. जीपीएस ट्रैकिंग के साथ-साथ ये स्टार्टअप अब कार में स्मार्ट म्यूजिक सिस्टम की सुविधा भी दे रहा है. वाट्सऐप के को-फाउंडर ब्रायन एक्टन भी इस कंपनी में निवेशक हैं.कैसे आया Trak N Tell का आइडिया?
ये बात करीब 15 साल पुरानी है. दिल्ली में रहने वाले प्रांशु गुप्ता को उन दिनों रोज अपने काम कि लिए दिल्ली से गुरुग्राम जाना पड़ता था. ऐसे में उन्होंने एक ड्राइवर रखा था. एक दिन उनके पिता ने कार को दिल्ली के कनॉट प्लेस में देखा तो प्रांशु को फोन कर के पूछा कि वह आज ऑफिस नहीं गए? इस पर प्रांशु ने बताया कि वह तो ऑफिस में ही हैं. तब उन्हें पता चला कि उनका ड्राइवर बिना बताए कार लेकर अपने किसी काम से कनॉट प्लेस पहुंच गया था. अमेरिका के फ्लोरिडा से पढ़े प्रांशु गुप्ता को तभी आइडिया आया कि एक ऐसा डिवाइस होना चाहिए जो कार की मूवमेंट को ट्रैक कर सके.
अब काफी एडवांस हो गया है ये डिवाइस
प्रांशु ने करीब 15 साल पहले शुरुआत में तो सिर्फ कार की मूवमेंट ट्रैक करने वाली कोई डिवाइस बनाने की सोची, लेकिन बाद में उसमें कुछ बदलाव किए. बदलाव के तहत इसे सिर्फ कार की मूवमेंट ट्रैक करने वाले डिवाइस तक सीमित नहीं रखा, बल्कि कार को कंट्रोल करने के फीचर्स भी इसमें जोड़े. इस डिवाइस को बनाने में कंपनी की को-फाउंडर रितु गुप्ता के साथ-साथ अनादि और अमित ने भी मदद की है. अनादि महाजन इस कंपनी में वाइस प्रेसिडेंट इंजीनियरिंग और सीटीओ हैं. अमित चक्रवर्ती कंपनी में वाइस प्रेसिडेंट प्रोडक्ट एंड ऑपरेशंस हैं.
बीपीओ कैब्स में डिवाइस लगाकर शुरू किया बिजनेस
इस प्रोडक्ट की शुरुआत बीपीओ कैब्स में लगाकर की गई, ताकि उसकी मूवमेंट ट्रैक की जा सके और आज सबकी मेहनत-लगन से Trak N Tell का टर्नओवर करीब 10 करोड़ रुपये हो चुका है. ये डिवाइस आपको कार का इंजन तक बंद करने का कंट्रोल दे देता है. यानी अगर आपको लगे कि आपकी गाड़ी कोई चुराने की कोशिश कर रहा है या चुरा चुका है तो आप मोबाइल पर एक बटन दबाकर ही उसका इंजन बंद कर सकते हैं. इसे इंस्टॉल करने में कंपनी को करीब 1 घंटे का वक्त लगता है. अच्छी बात ये है कि इसे इंस्टॉल करने में कार की कोई भी तार काटी नहीं जाती है, जिससे नई गाड़ी की भी वारंटी पर कोई असर नहीं पड़ता है.
इस जीपीएस डिवाइस की इनहाउस मैन्युफैक्चरिंग होती है. हार्डवेयर से लेकर सॉफ्टवेयर तक के लिए इनहाउस टीम है. कुछ जरूरी सर्किट और पार्ट्स को इंपोर्ट किया जाता है, लेकिन प्रोडक्ट भारत में ही बनता है. यह एक पूरी तरह से मेक इन इंडिया प्रोडक्ट है. कंपनी का सबसे ज्यादा बिजनेस ओईएम (ओरिजनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर) से आता है. दो-पहिया और चार-पहिया दोनों ही तरह की गाड़ियों में इसका इस्तेमाल होता है.
बाइक, स्कूटी, कार से लेकर ट्रैक्टर और क्रेन तक में ये डिवाइस लगता है. इस ट्रैकर को तमाम ओईएम कंपनियां अपनी कार-बाइक में लगाकर बेचती हैं. साथ ही यह डिवाइस पूरे भारत में करीब 1500 कार एसेसरीज की दुकानों पर भी उपलब्ध है, जहां से लोग इसे खरीद सकते हैं. कंपनी का ये प्रोडक्ट अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे प्लेटफॉर्म्स पर भी उपलब्ध है, जहां से आप इसे खरीद सकते हैं. इस डिवाइस की कीमत 5000 रुपये से शुरू होती है.
क्या है कंपनी का बिजनेस मॉडल?
कंपनी का अधिकतर रेवेन्यू तो प्रोडक्ट बेचकर ही आता है, लेकिन कुछ हद तक कंपनी का रेवेन्यू रिन्यूअल्स से भी आता है. प्रांशु बताते हैं कि लगभग 20 फीसदी रेवेन्यू रिन्यूअल से आता है. दरअसल, जब आप डिवाइस खरीदते हैं तो उसके बाद आपको एक साल या किसी भी अवधि के लिए सब्सक्रिप्शन मिल जाता है. वहीं समय पूरा होने के बाद आपको फिर से सर्विस को रीन्यू कराना होता है.
कुछ चुनौतियां भी हैं इस राह में
अगर चुनौतियों की बात करें तो प्रांशु को सबसे बड़ी चुनौती प्रोडक्ट की कीमत लगती है. भारत में बहुत सारे ऐसे व्यापारी हैं जो सीधे चीन से ऐसे डिवाइस इंपोर्ट करते हैं और फिर उसे बेचते हैं. ऐसे में उनकी कीमत सस्ती रहती है, जिससे ट्रैक एन टेल को चुनौती मिल रही है. हालांकि, कंपनी की भी अच्छी सेल हो रही है, क्योंकि बहुत सारे लोग सिर्फ प्रोडक्ट को नहीं, बल्कि आफ्टर सर्विस को तवज्जो देते हैं. वहीं इस प्रोडक्ट में एक खास बात ये है कि अगर आप कार के पास हैं तो बिना नेटवर्क के भी कार में लगे जीपीएस डिवाइस को अपने मोबाइल से ऑपरेट कर सकते हैं.
क्या है फ्यूचर की प्लानिंग?
प्रांशु गुप्ता बताते हैं कि कंपनी का ट्रैकिंग डिवाइस का बिजनेस तो अब आराम से चल रहा है. अब उनका फोकस एक नई कैटेगरी पर है, जिसके तहत वह कार में ऑडियो डिवाइस लगाते हैं. यह एक टैबलेट है, जिसे आसानी से बिना कार की कोई तार काटे लगाया जा सकता है. अभी तमाम कारों में जो म्यूजिक सिस्टम होता है, उससे मोबाइल को कनेक्ट करने के बाद ही वह पूरा म्यूजिक सिस्टम बनता है. बिना मोबाइल से कनेक्ट किए कार का म्यूजिक सिस्टम सिर्फ एक एम्प्लिफायर भर होता है. वहीं ट्रैक एन टेल का म्यूजिक सिस्टम (IntelliPlay Car Stereo) अपने आप में पूरा म्यूजिक सिस्टम है. यह एंड्रॉयड पर आधारित है तो इससे आप नेविगेशन कर सकते हैं, गानों के ऐप डाउनलोड कर के मनपसंद गाना चला सकते हैं, यहां तक कि गूगल असिस्टेंस का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इसमें एक सिम कार्ड भी पड़ता है, जिसके चलते यह पूरी तरह से इंडिपेंडेंट होता है.
अगर आप अच्छे म्यूजिक सिस्टम वाली कोई नई कार नहीं लेना चाहते हैं तो अपनी पुरानी कार को ही इस म्यूजिक सिस्टम से अपग्रेड कर सकते हैं. जिस तरह आजकल लोग एंटरटेनमेंट के लिए तमाम ओटीटी ऐप्स के सब्सक्रिप्शन लेते हैं, उसी तरह गाड़ियों में भी खास सुविधाओं के सब्सक्रिप्शन आने लगे हैं. प्रांशु कहते हैं कि ऑटोमोटिव इंडस्ट्री का फ्यूचर है सब्सक्रिप्शन मॉडल, जिसकी मदद से आपको कहीं भी और कभी भी अपनी गाड़ी के बारे में कई जरूरी बातें पता चलती रहती हैं.