Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
ADVERTISEMENT
Advertise with us

स्टैंड-अप इंडिया योजना के तहत 6 वर्षों में 30,160 करोड़ रुपये से अधिक की ऋण धनराशि स्वीकृत

केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि हम स्टैंड-अप इंडिया योजना की छठी वर्षगांठ मना रहे हैं, यह देखना सुखद है कि इस योजना के तहत अब-तक 1.33 लाख से अधिक रोजगार के अवसरों का सृजन करने वालों और उद्यमियों को सुविधा दी गई है।

हम स्टैंड-अप इंडिया योजना की छठी वर्षगांठ मना रहे हैं। ऐसे में इस बात का आकलन करना उपयुक्त है कि इस योजना ने उद्यमियों, विशेष रूप से महिलाओं एवं अनुसूचित जाति (एससी) तथा अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदाय से जुड़े लोगों की आकांक्षाओं को किस तरह पूरा किया है। इसके साथ ही योजना की उपलब्धियों, मुख्य विशेषताओं व इसके विस्तार पर भी नज़र डालना जरूरी है।

योजना की शुरुआत के बाद से 21 मार्च 2022 तक स्टैंड-अप इंडिया योजना के तहत 1,33,995 खातों में 30,160 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं।

अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला समुदाय के आकांक्षी उद्यमियों के सामने आने वाली चुनौतियों को स्वीकार करते हुए जमीनी स्तर पर उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए 5 अप्रैल 2016 को स्टैंड-अप इंडिया योजना की शुरुआत की गयी थी। योजना के केंद्र-बिंदु हैं - आर्थिक सशक्तिकरण और रोजगार सृजन। 2019-20 में, स्टैंड-अप इंडिया योजना को 15वें वित्त आयोग की पूरी अवधि यानि 2020-25 तक के लिए विस्तार दिया गया था।

इस अवसर पर, केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि हम स्टैंड-अप इंडिया योजना की छठी वर्षगांठ मना रहे हैं, यह देखना सुखद है कि इस योजना के तहत अब-तक 1.33 लाख से अधिक रोजगार के अवसरों का सृजन करने वालों और उद्यमियों को सुविधा दी गई है।

सीतारमण ने आगे कहा कि इस योजना के छह वर्षों के दौरान 1 लाख से अधिक महिला संरक्षकों (प्रमोटर) को लाभ मिला है। सरकार आर्थिक विकास को गति देने में इन उभरते उद्यमियों की क्षमता को समझती है, जो अपनी भूमिकाओं के माध्यम से न केवल धन का, बल्कि रोजगार के अवसरों का भी सृजन करते हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि योजना के लक्ष्य के अंतर्गत विभिन्न प्रकार की सुविधाओं से वंचित उद्यमी वर्ग के अधिक से अधिक लाभार्थियों को शामिल किया जाता है। इस प्रकार हम आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं।

Stand-Up India Scheme

भारत विकास-पथ पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसके साथ ही संभावित उद्यमियों, विशेष रूप से महिलाओं और अनुसूचित जाति (एससी) व अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदाय से जुड़े लोगों की आशाएं, आकांक्षाएं और अपेक्षाएं भी बढ़ रही हैं। वे अपना खुद का एक उद्यम स्थापित करना चाहते हैं, ताकि वे स्वयं भी सफल हो सकें और आगे बढ़ सकें। ऐसे उद्यमी देश भर में फैले हुए हैं तथा अपने और अपने परिवार के प्रति योगदान देने से सम्बंधित नए विचारों से युक्त हैं। इस योजना में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला उद्यमियों की ऊर्जा और उत्साह का समर्थन करने तथा उनके मार्ग में आने वाली विभिन्न बाधाओं को दूर करते हुए, उनके सपनों को साकार करने की परिकल्पना की गई है।

स्टैंड अप इंडिया योजना की छठी वर्षगांठ मनाते हुए, आइए हम इस योजना की विशेषताओं और उपलब्धियों पर एक नज़र डालें।

स्टैंड-अप इंडिया का उद्देश्य महिलाओं एवं अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के समुदायों के लोगों में उद्यमिता को बढ़ावा देना है तथा उन्हें विनिर्माण, सेवा या व्यापार क्षेत्र एवं कृषि से जुड़ी गतिविधियों के क्षेत्र में ग्रीनफील्ड उद्यम शुरू करने में सहायता प्रदान करना है।

स्टैंड-अप इंडिया का उद्देश्य

  • महिलाओं एवं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के समुदायों में उद्यमिता को बढ़ावा देना;

  • विनिर्माण, सेवा या व्यापार क्षेत्र और कृषि से संबंधित गतिविधि के क्षेत्र में ग्रीनफील्ड उद्यमों के लिए ऋण प्रदान करना;

  • अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की प्रत्येक बैंक शाखा में कम से कम एक अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति से सम्बंधित उधार लेनेवाले और उधार की इच्छुक कम से कम एक महिला को 10 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये के बीच बैंक ऋण की सुविधा उपलब्ध कराना।

स्टैंड-अप इंडिया क्यों?

स्टैंड-अप इंडिया योजना; व्यापार में सफल होने के लिए उद्यम स्थापित करने, ऋण प्राप्त करने और समय-समय पर अन्य सहायता प्राप्त करने में महिलाओं एवं अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के समुदायों के लोगों के सामने आने वाली चुनौतियों की पहचान पर आधारित है। इसलिए यह योजना एक ऐसा इकोसिस्टम बनाने का प्रयास करती है, जो कारोबार करने के लिए सुविधाजनक तथा सहायक वातावरण प्रदान करता है और इसे बनाए रखता है। यह योजना उद्यम स्थापित करने के लिए उधार के इच्छुक व्यक्तियों को बैंक शाखाओं से ऋण प्राप्त करने में सहायता प्रदान करती है। अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की सभी शाखाओं में इस योजना की सुविधा उपलब्ध है। इस योजना का लाभ निम्न तीन संभावित तरीकों से प्राप्त किया जा सकता है:

  • सीधे शाखा पर जाकर या,

  • स्टैंड-अप इंडिया पोर्टल (www.standupmitra.in) के माध्यम से या,

  • अग्रणी जिला प्रबंधक (एलडीएम) के माध्यम से।

ऋण के लिए पात्र कौन हो सकते हैं?

  • अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और/या महिला उद्यमी, जिनकी आयु 18 वर्ष से अधिक है;

  • योजना के तहत ऋण केवल परियोजनाओं के लिए उपलब्ध हैं। इस संदर्भ में, ग्रीनफील्ड का मतलब है; विनिर्माण, सेवा या व्यापार क्षेत्र और कृषि से संबद्ध गतिविधियों में लाभार्थी का पहली बार उद्यम;

  • गैर-व्यक्तिगत उद्यमों के मामले में, 51 प्रतिशत शेयरधारिता और नियंत्रण हिस्सेदारी अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति और/या महिला उद्यमी के पास होनी चाहिए;

  • उधार लेनेवाले को किसी बैंक/वित्तीय संस्थान में ऋण न चुका पाने का दोषी नहीं होना चाहिए;

इस योजना में ऋण प्राप्तकर्ता द्वारा जमा की जाने वाली अग्रिम धनराशि (मार्जिन मनी) के '15 प्रतिशत तक' होने की परिकल्पना की गई है, जिसे उपयुक्त केंद्रीय/राज्य योजनाओं के प्रावधानों के अनुरूप उपलब्ध कराया जा सकता है। ऐसी योजनाओं का लाभ स्वीकार्य सब्सिडी प्राप्त करने या अग्रिम धनराशि (मार्जिन मनी) आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जा सकता है, लेकिन सभी मामलों में, उधार लेने वाले को परियोजना लागत का न्यूनतम 10 प्रतिशत स्वयं के योगदान के रूप में देना होगा।

समर्थन व मार्गदर्शन

स्टैंड अप इंडिया योजना के लिए भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) द्वारा ऑनलाइन पोर्टल www.standupmitra.in विकसित किया गया है, जो ऋण के इच्छुक व्यक्तियों को बैंकों से जोड़ने के अलावा, संभावित उद्यमियों को व्यावसायिक उद्यम स्थापित करने के उनके प्रयास में मार्गदर्शन प्रदान करता है। इनमें प्रशिक्षण सुविधा से लेकर बैंक की आवश्यकताओं के अनुसार ऋण आवेदन भरने तक के कार्य शामिल हैं। 8,000 से अधिक समर्थन व मार्गदर्शन (हैंड होल्डिंग) एजेंसियों के नेटवर्क के माध्यम से, यह पोर्टल उधार के इच्छुक व्यक्तियों को विशेषज्ञ एजेंसियों से जोड़ने के लिए चरण-दर-चरण मार्गदर्शन की सुविधा प्रदान करता है, जैसे कौशल विकास केंद्र, समर्थन व मार्गदर्शन, उद्यमिता विकास कार्यक्रम केंद्र, जिला उद्योग केंद्र आदि के पते और फ़ोन नंबर।

स्टैंड-अप इंडिया योजना में बदलाव                              

वित्त वर्ष 2021-22 के बजट भाषण में केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा की गई घोषणा के अनुरूप, स्टैंड-अप इंडिया योजना में निम्नलिखित बदलाव किए गए हैं:

• उधार के इच्छुक व्यक्ति द्वारा लाई जाने वाले अग्रिम धनराशि (मार्जिन मनी), जिसे ऋण प्राप्ति के लिए बैंक में जमा करना होता है, की सीमा को परियोजना लागत के '25 प्रतिशत तक’ से घटाकर ’15 प्रतिशत तक’ कर दिया गया है। हालांकि, उधार के इच्छुक व्यक्ति द्वारा परियोजना लागत का कम से कम 10 प्रतिशत स्वयं के योगदान के रूप में देना जारी रहेगा;

• 'कृषि से संबद्ध गतिविधियों' उदाहरण - मछली पालन, मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन, पशुधन, पालन, श्रेणीबद्ध करना, छंटाई, कृषि उद्योग एकत्रीकरण, डेयरी, मत्स्य पालन, कृषि और कृषि व्यवसाय केंद्र, खाद्य और कृषि प्रसंस्करण (फसल ऋण व नहरों, सिंचाई, कुओं जैसे भूमि उन्नयन को छोड़कर) आदि से जुड़े उद्यम और इन उद्यमों का समर्थन करने वाली सेवाएं, योजना के लिए पात्र मानी जायेंगी।

बिना गिरवी के ऋणप्राप्ति की सुविधा का विस्तार करने के क्रम में, भारत सरकार ने स्टैंड-अप इंडिया (CGFSI) के लिए ऋण गारंटी कोष की स्थापना की है। ऋण सुविधा प्रदान करने के अलावा, स्टैंड-अप इंडिया योजना में संभावित उधार लेने वालों को समर्थन व मार्गदर्शन प्रदान करने की भी परिकल्पना की गई है। इसमें केंद्र/राज्य सरकार की योजनाओं के साथ तालमेल का भी प्रावधान है। इस योजना के तहत आवेदन ऑनलाइन पोर्टल पर भी जमा किए जा सकते हैं।