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लोगों को प्रदर्शन करने का अधिकार है लेकिन अवश्य ही संतुलन रखना होगा : सुप्रीम कोर्ट

न्यायालय ने कहा कि लोकतंत्र विचारों की अभिव्यक्ति पर चलता है लेकिन इसके लिए भी सीमाएं हैं।

लोगों को प्रदर्शन करने का अधिकार है लेकिन अवश्य ही संतुलन रखना होगा : सुप्रीम कोर्ट

Tuesday February 18, 2020 , 3 min Read

नई दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि किसी कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने का लोगों के पास मूल अधिकार है लेकिन सड़कों को अवरूद्ध किया जाना चिंता का विषय है और अवश्य ही एक संतुलन रखना होगा।


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सांकेतिक चित्र



संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शनों के कारण सड़कें अवरूद्ध होने को लेकर दायर की गई याचिकाओं की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने कहा कि न्यायालय को इस बात की चिंता है कि यदि लोग सड़कों पर प्रदर्शन करना शुरू कर देंगे, तो फिर क्या होगा।


न्यायालय ने कहा कि लोकतंत्र विचारों की अभिव्यक्ति पर चलता है लेकिन इसके लिए भी सीमाएं हैं।


पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े और वकील साधना रामचंद्रन को प्रदर्शनकारियों से बात करने और उन्हें ऐसे वैकल्पिक स्थान पर जाने के लिए मनाने को कहा, जहां कोई सार्वजनिक स्थल अवरुद्ध नहीं हो।


बहरहाल, न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि 24 फरवरी तय की।


पीठ ने कहा कि लोगों को प्रदर्शन करने का मूल अधिकार है लेकिन जो चीज हमें परेशान कर रही है, वह सार्वजनिक सड़कों का अवरूद्ध होना है।


सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि शाहीन बाग प्रदर्शन से यह संदेश नहीं जाना चाहिए कि हर संस्था इस मुद्दे पर शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को मनाने की कोशिश कर रही है।


शीर्ष न्यायालय ने कहा कि यदि कुछ नहीं हो पाया, तो हम स्थिति से निपटना अधिकारियों पर छोड़ देंगे।


सीएए और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ प्रदर्शन के कारण पिछले वर्ष 15 दिसम्बर से कालिंदी कुंज-शाहीन बाग और ओखला अंडरपास बंद है।





शीर्ष न्यायालय ने इससे पूर्व कहा था कि दिल्ली के शाहीन बाग में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारी सड़कों को अवरूद्ध नहीं कर सकते हैं और अन्य लोगों के लिए असुविधा पैदा नहीं कर सकते है।


उच्चतम न्यायालय वकील अमित साहनी द्वारा दायर एक अपील की सुनवाई कर रहा था। साहनी ने दिल्ली उच्च न्यायालय का भी रूख किया था और 15 दिसम्बर को सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों द्वारा अवरूद्ध किये गये कालिंदी-शाहीन बाग मार्ग पर यातायात के सुचारू संचालन के लिए दिल्ली पुलिस को निर्देश दिये जाने का अनुरोध किया था।


साहनी की याचिका पर उच्च न्यायालय ने स्थानीय अधिकारियों को कानून एवं व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए स्थिति से निपटने को कहा था।


भाजपा के पूर्व विधायक नंद किशोर गर्ग ने शीर्ष न्यायालय में अलग से एक याचिका दायर की और शाहीन बाग से प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिये जाने का अनुरोध किया।


अपनी अपील में साहनी ने उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश या दिल्ली उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश से शाहीन बाग में स्थिति की निगरानी कराने का अनुरोध किया था।


साहनी ने अपनी याचिका में कहा कि शाहीन बाग में प्रदर्शनों ने अन्य शहरों में भी इसी तरह के प्रदर्शन किये जाने के लिए लोगों को प्रेरित किया और यदि ऐसा होता रहा तो इससे गलत उदाहरण स्थापित होगा।