46 साल की उम्र में स्केटबोर्डिंग कर सोशल मीडिया पर धूम मचा रही हैं ऊरबी रॉय
46 साल की ऊरबी रॉय के लिए उनका यह शौक तब शुरू हुआ जब उन्होंने अपने बच्चों को स्केटबोर्डिंग करते हुए देखा। ऊरबी के लिए यह वो मौका था जब उन्होंने तय किया कि वे भी स्केटबोर्डिंग करना चाहती हैं।
उम्र महज एक संख्या भर है और समय-समय पर लोग इस बात को साबित भी करते रहते हैं, ऐसा ही कमाल इन दिनों भारतीय मूल की एक महिला भी कर रही हैं, जिन्हें सोशल मीडिया पर ‘कूल आंटी’ का तमगा हासिल है। साड़ी पहनकर स्केटबोर्डिंग करते हुए इनके वीडियो सोशल मीडिया पर आजकल जमकर वायरल हो रहे हैं।
46 साल की ऊरबी रॉय के लिए उनका यह शौक तब शुरू हुआ जब उन्होंने अपने बच्चों को स्केटबोर्डिंग करते हुए देखा। ऊरबी के लिए यह वो मौका था जब उन्होंने तय किया कि वे भी स्केटबोर्डिंग करना चाहती हैं।
कनाडा की निवासी ऊरबी ने अपनी स्केटबोर्डिंग की यात्रा को सोशल मीडिया पर साझा करना शुरू कर दिया और जल्द ही उन्हें सोशल मीडिया पर लोगों से सराहना हासिल होने लगी। ऊरबी के अनुसार, शुरुआत में वे स्केटबोर्डिंग करते हुए कई बार गिरीं और उन्हें चोटें भी आईं, हालांकि उनके लिए यह भाव आज़ादी से जुड़ा था।
खुलकर जीवन जीने का संदेश
उन्होंने अपनी स्केटबोर्डिंग सकिल को और धार देने के लिए हर रोज़ सुबह जल्दी उठकर स्केट पार्क जाना शुरू कर दिया। स्केट पार्क में भी उन्हें अन्य युवाओं से भरपूर समर्थन हासिल हुआ और इस तरह ऊरबी के लिए स्केटबोर्डिंग पर पकड़ बनाना और भी आसान होता गया।
मीडिया से बात करते हुए ऊरबी ने बताया है कि वे उस उम्र में भी स्केटबोर्डिंग के जरिये लोगों के बीच खुशी और सकारात्मकता का संदेश फैलाना चाहती हैं। ऊरबी के अनुसार, एक नई शुरुआत करने के लिए कभी भी देर नहीं होती है, किसी भी उम्र में अपने जीवन को खुलकर जिया जा सकता है।
लोगों को संदेश देते हुए वे कहती हैं कि उन्हें खुद की तुलना अन्य लोगों के साथ नहीं करनी चाहिए, बल्कि आगे बढ़कर वो काम करना चाहिए जो आपको खुशी देने के साथ ही बेहतर बनाता है।
शुरू की ‘आंटी स्केट्स’ पहल
आज ऊरबी साड़ी पहनकर स्केटबोर्डिंग करते हुए अपने वीडियोज़ सोशल मीडिया पर शेयर करती रहती हैं। ऊरबी ने ‘आंटी स्केट्स’ पहल की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य समाज में नकारात्मकता फैलाने वाले लोगों से उलट लोगों के बीच सकरतमकता फैलाना है। ऊरबी के अनुसार, वे खुद भी एक आंटी है, लेकिन आमतौर पर दक्षिण एशिया में मिलने वाले टॉक्सिक कल्चर के विपरीत वे सिर्फ पॉज़िटिविटी फैलाने पर यकीन रखती हैं।
आज ऊरबी को दुनिया भर से लोगों के मैसेज मिल रहे हैं, जहां लोग उन्हें उनके द्वारा दी जा रही प्रेरणा के लिए उन्हें धन्यवाद कह रहे हैं। ऊरबी का कहना है कि वयस्क आमतौर पर खेलना भूल जाते हैं और खेल से दूर होना परेशानी बढ़ा देता है। उनके अनुसार, आज स्क्रीन टाइम कम करते हुए परिवार के साथ अच्छा समय बिताने में खेल हमारे जीवन में बड़ी भूमिका निभा सकता है।
Edited by Ranjana Tripathi