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मिलें भूखों को भोजन और बेसहारों को सहारा देने वाले असली हीरो गौतम कुमार से

मिलें भूखों को भोजन और बेसहारों को सहारा देने वाले असली हीरो गौतम कुमार से

Wednesday May 29, 2019 , 2 min Read

gautham

गौतम कुमार

क्या हम कभी अपनी तेजी से भागती जिंदगी में कभी उन लोगों के बारे में सोच पाते हैं जो बुनियादी जरूरतों के आभाव में अपनी जिंदगी नहीं जी पाते हैं। इस देश में करोड़ों लोग ऐसे हैं जिन्हें ढंग से दो वक्त की रोटी मयस्सर नहीं होती। कई बेसहारों को सोने के लिए छत नहीं मिलती और न जाने कितने लोग लावारिस बनकर मर जाते हैं। उनकी लाशों को कंधा देकर अंतिम संस्कार करने वाला भी कोई नहीं होता। आज हम आपको हैदराबाद के गौतम कुमार के बारे में बताएंगे जो ये सारे काम करते हुए समाज को इंसानियत की एक नई मिसाल दे रहे हैं।


हैदराबाद में रहने वाले गौतम कुमार एक एनजीओ चलाते हैं जिसका नाम है 'सर्व नीडी' (Serve Needy). यह एनजीओ अनाथों के लिए अनाथालय, बेसहारों के लिए घर और तस्करी के शिकार बच्चों के लिए आसरा प्रदान करता है। गौतम ने हाल ही में एक दिन में ऐसे ही 1,000 से अधिक लोगों को भोजन कराते हुए यूनिवर्सल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम किया।


बीते रविवार को उन्होंने अलग-अलग जगहों पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया। पहले उन्होंने हैदराबाद में ही गांधी अस्पताल में भोजन खिलाया फिर राजेंद्र नगर और फिर अम्मा नन्ना अनाथालय में। न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा, 'मैंने 2014 में इस संगठन की शुरुआत की थी। आज हमारी टीम में 140 वॉलंटीयर्स हैं। मैं ये काम पिछले पांच सालों से कर रहा हूं, लेकिन आज मैंने अपने हाथों से 1,000 लोगों को भोजन कराने का सौभाग्य प्राप्त किया।'


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अंतिम संस्कार करते हुए गौतम

गौतम कहते हैं, 'यूनिवर्सल बुक रिकॉर्ड ने हमें वर्ल्ड रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट दिया है। मेरे संगठन का मुख्य उद्देश्य है कि कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे और कोई अनाथ बेसहारा न रहे।' गौतम अपने संगठन का विस्तार करना चाहते हैं ताकि वे अधिक से अधिक लोगों की मदद कर सकें। इसके लिए वे सरकार से मदद पाने की उम्मीद कर रहे हैं।


गौतम लावारिश लाशों का अंतिम संस्कार भी करवाते हैं। वे कहते हैं कि हर व्यक्ति को गरिमापूर्ण जीवन जीने का हक है। गौतम इन सारे कामों के साथ ही गरीब बच्चों की शिक्षा पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। वे ऐसे छात्रों को स्टेशनरी और कॉपी किताबें मुहैया करवा रहे हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं।


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