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58 साल की मीना पटनाकर रद्दी अख़बारों से बना रही हैं खिलौने और पर्स

58 साल की मीना पटनाकर रद्दी अख़बारों से बना रही हैं खिलौने और पर्स

Wednesday July 10, 2019 , 3 min Read

आज की डिजिटल दुनिया में ज़्यादर लोग न्यूज़ ऐप्स और वेबसाइट के माध्यम से ही ख़बरें पढ़ना पसंद करते हैं। लेकिन अभी भी एक बड़ी आबादी है, जिसे अख़बार ही पसंद आते हैं और सुबह उठते ही उन्हें अख़बार पढ़ने की तलब होती है। अख़बार होते तो बड़े काम के हैं, लेकिन उनकी क़ीमत 24 घंटों से ज़्यादा समय तक नहीं रहती और लोग उन्हें रद्दी बना देते हैं। कागज़ की यह बर्बादी देखकर नासिक की रहने वालीं 58 साल की मीना पटनाकर ने तय किया कि वह इस बर्बादी को रोकेंगी और अख़बारों की रद्दी का इस्तेमाल करके गुड़िया और अन्य तरह के खूबसूरत सामान तैयार करेंगी। 


मीना पटनाकर

एक प्रदर्शनी में मीना पटनाकर (फोटो: सोशल मीडिया)



रद्दी अखबारों के बेहतरीन इस्तेमाल की शुरुआत मीना ने ख़ाली समय में कुछ सकारात्मक काम करने के रूप में की थी, लेकिन आगे चलकर इसने एक बड़ी मुहिम का रूप अख़्तियार कर लिया। मीना अपनी कारीगरी से मात्र 40 रुपए की रद्दी से 800 रुपए की गुड़िया (डॉल) तैयार कर देती हैं। उनके प्रोडक्ट्स की पूरे भारत में अच्छी मांग है। 


एनडीटीवी से बात करते हुए मीना कहती हैं, “इतने सालों में मेरे प्रोडक्ट्स और कला को लोगों का साथ भी मिला और बहुत से लोगों ने इसे बेकार भी बताया। जहां एक तरफ़ कुछ लोगों को मेरे प्रोडक्ट्स बहुत पसंद आते थे, वहीं कई लोगों का यह भी कहना था कि इन्हें रद्दी क़ागज़ों से बनाया गया और इस हिसाब से इनकी क़ीमतें बहुत ज़्यादा है। इस वजह से ही मैंने कभी अपने प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग नहीं की और न ही इनका स्टॉक तैयार करके रखा। मैं ऑर्डर मिलने पर ही प्रोडक्ट तैयार करना पसंद करती हूं।”


मीना अपने प्रोडक्ट की क़ीमत उनके डिज़ाइन और उन्हें बनाने में लगी मेहनत के हिसाब से तय करती हैं। मीना बताती हैं कि सोशल मीडिया के माध्यम से उनके प्रोडक्ट्स को अच्छी प्रतिक्रिया मिलती है।




अपने प्रोडक्ट्स को तैयार करने की प्रक्रिया के बारे में बात करते हुए मीना ने बताया, “मैं कागज़ के साथ ऐडहेसिव (गोंद) और तरह-तरह के पेंट्स का इस्तेमाल करती हूं। इससे प्रोडक्ट मज़बूत हो जाता है। मैंने वेस्ट मटीरियल से एक पर्स तैयार किया था, जिसका वज़न 5 किलो तक था। इस काम में कोई रॉकेट साइंस नहीं है।”


मीना पटनाकर

रद्दी अखबार से मीना पटनाकर की बेहतरीन कलाकारी (फोटो: सोशल मीडिया)


मीना बताती हैं कि उनकी यह यात्रा सोशल मीडिया पर किसी नए काम की तलाश के दौरान शुरू हुई। सोशल मीडिया पर ही उन्हें एक विडियो मिला, जिसमें बेकार कागज़ से फूलदान बनाना सिखाया गया था। ब्रिलियंट भारत की रिपोर्ट्स बताती हैं कि सिर्फ़ रद्दी कागज़ से खिलौने या अन्य काम की चीज़ें बनाना ही मीना की ख़ासियत नहीं है, बल्कि उन्हें गोंड और वर्ली कलाओं में भी महारत हासिल है। 


मीना ने एनडीटीवी को बताया, “मैं सोशल मीडिया पर जो विडियो देखा था, उसे पूरी तरह से कॉपी नहीं किया बल्कि उसमें बहुत सी चीज़ें नई शामिल कीं और प्रोडक्ट्स को कहीं ज़्यादा मज़बूत और उनकी ख़ूबसूरती को भी बढ़ाया।”


साथ ही मीना कहती हैं कि उनके बच्चे अलग-अलग शहरों में रहते हैं और पढ़ाई कर रहे हैं, जिसकी वजह से उन्हें अपने कामों के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है।