MBA पेपर बैग वाला: विदेश में भी है इनके बनाए पेपर बैग्स की डिमांड, इस साल 60 करोड़ कमाई की उम्मीद
सुशांत गौड़ ने 10 साल पहले एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद पेपर बैग इंडस्ट्री में कदम रखा. उनकी पिछली कंपनी ने पेपर बैग पर भारत का पहला और एकमात्र यूट्यूब चैनल शुरू करके वजन के हिसाब से बिक्री शुरू की और पेपर बैग इंडस्ट्री को एक नया आयाम दिया.
हाइलाइट्स
- यूट्यूब चैनल से की शुरुआत और खड़ी कर दी पेपर बैग कंपनी
- हर दिन प्रति सेकंड 20 प्लास्टिक की थैलियों को रीसायकल करने का दावा
- 200 से ज्यादा ग्राहक, 8 देशों में फैला है एक्सपोर्ट बिजनेस
खाद्य और पेय (food & beverage) और रिटेल इंडस्ट्रीज में बढ़ती मांग के साथ, दुनिया भर में पेपर बैग का मार्केट अगले दस वर्षों में मौजूदा मूल्य से 1.6 गुना बढ़ने के लिए तैयार है. अगले दस वर्षों में दुनिया भर की दिग्गज फूड एंड बेवरेज कंपनियां, टेक्सटाइल और फार्मास्युटिकल ब्रांड पेपर बैग का विकल्प चुनने की उम्मीद कर रहे हैं क्योंकि सस्टेनेबिलिटी और पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ी है.
ग्लोबल पेपर बैग मार्केट के 2023 में 5.4 अरब अमेरिकी डॉलर का आंकड़ा छूने की उम्मीद है. 2033 तक इसका मूल्य 8.2 अरब अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है. 2023 से 2033 तक अनुमानित समय सीमा में ग्लोबल मार्केट में यह लगभग 4.1% की CAGR (compound annual growth rate) से बढ़ रहा है. ये आंकड़ें Future Market Insights से जुटाए गए हैं.
जैसा कि पर्यावरण की रक्षा के लिए दुनिया भर की सरकारें और दिग्गज कंपनियां तमाम तरह की कोशिशें कर रही हैं. भारत में
का लक्ष्य भी यही है. नई दिल्ली और नोएडा स्थित कंपनी पेपर बैग बनाती है और इसके बनाए बैग्स की विदेशों में भी अच्छी-खासी डिमांड है. यह आठ देशों में पेपर बैग एक्सपोर्ट करती है. सुशांत गौड़ ने साल 2019 में इसकी नींव रखी थी जबकि अतुल्य भाटिया और आशीष अग्रवाल बाद में बतौर को-फाउंडर Adeera Packaging में शामिल हुए.को-फाउंडर और सीईओ सुशांत गौड़ ने हाल YourStory की टीम से बात की.
सुशांत ने 10 साल पहले एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद पेपर बैग इंडस्ट्री में कदम रखा. उनकी पिछली कंपनी ने पेपर बैग पर भारत का पहला और एकमात्र यूट्यूब चैनल शुरू करके वजन के हिसाब से बिक्री शुरू की और पेपर बैग इंडस्ट्री को एक नया आयाम दिया. बाद में वह कंपनी आदिरा पैकेजिंग में तब्दील हो गई, जहां अतुल्य बतौर को-फाउंडर इसमें शामिल हुए. वहीं, आशीष, जिन्होंने आईआईएफटी से एमबीए किया है, सुशांत के स्कूल फ्रैंड थे. 10 साल की उम्र में दोनों ने अपने पर्यावरण क्लब में Say-No-To-Plasti अभियान में भाग लिया था. आशीष ने आंत्रप्रेन्योर बनने से पहले एक दशक तक फॉर्च्यून-100 कंपनियों में काम किया है. वे साल 2020 में बतौर को-फाउंडर आदिरा पैकेजिंग में शामिल हुए.
सुशांत बताते हैं, "आदिरा पैकेजिंग का विजन ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग और सोर्सिंग के जरिए दुनिया भर में सस्टेनेबल पैकेजिंग की आपूर्ति का लोकतंत्रीकरण करना है."
सुशांत आगे बताते हैं, "वैकल्पिक पैकेजिंग निर्माताओं की कमी के कारण कई भौगोलिक क्षेत्रों में सिंगल-यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध लागू नहीं किया जा रहा है. हम पर्यावरण में बदलाव लाने के लिए बेहद कम सेवा वाले बाजार में काम कर रहे हैं. वर्तमान में हम हर दिन प्रति सेकंड 20 प्लास्टिक की थैलियों को रीसायकल कर रहे हैं. हमारे पेपर बैग रीसायकल या एग्रो-वेस्ट आधारित पेपर से बने होते हैं जो इस प्रोडक्ट को बाजार में उपलब्ध सबसे अधिक एनवायरमेंट फ्रैंडली पैकेजिंग बनाते हैं."
बिजनेस मॉडल और रेवेन्यू
आदिरा के बिजनेस मॉडल के तीन मजबूत पिलर हैं - Quality, Service, Relationships (QSR). सुशांत बताते हैं, "हमारे सभी निर्णय इन 3 पिलरों के आधार पर लिए जाते हैं. हमारे लिए QSR तभी लागू किया जा सकता है जब हमारे पास इन-हाउस मैन्युफैक्चरिंग हो. इसलिए हम एक मैन्युफैक्चरिंग कंपनी हैं और हम केवल वही बेचते हैं जो हम खुद बनाते हैं."
Adeera Packaging घरेलू स्तर पर पेपर बैग बनाती और बेचती है. कंपनी 8 देशों में पेपर बैग एक्सपोर्ट भी करती है.
बकौल सुशांत, कंपनी को इस साल 60 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल करने की उम्मीद है. चूंकि कंपनी के ग्राहक अपने ऑर्डर दोहराते रहते हैं, इस समय इसके पास लगभग 200 ग्राहक हैं.
वे बताते हैं, "हम अच्छी तरह जानते हैं कि मैन्युफैक्चरर होने के नाते, हम वास्तव में सर्विस इंडस्ट्री में हैं. हमारा मूल्य केवल उस 'सेवा' में निहित है जो हम अपने पेपर बैग को अपने ग्राहक के स्थान पर, समय पर, ऑर्डर की गई मात्रा में और उसी गुणवत्ता के साथ मुहैया करते हैं, जैसे कि हमारे सैंपल होते हैं."
चुनौतियां और भविष्य की योजनाएं
सुशांत बताते हैं, "हमारे ROCE (return on capital employed) को बढ़ाने के लिए पूंजी आवंटन किया गया है. इसका अर्थ है कि हमने कभी भी जमीन और बिल्डिंग खरीदने को तवज्जोह नहीं दी है. चूंकि को-फाउंडर्स प्रोफेशनल है, इसलिए बैंकों के पास हमारे बिजनेस के लिए उधार देने के लिए कोई कोलैटरल उपलब्ध नहीं है. यह हमारी विदेशी प्रतिस्पर्धा की तुलना में शुरू से ही हमारी कमजोरी रही है, जिन्होंने समय-समय पर केवल अपने बिजनेस के साथ कोलैटरल के रूप में बैंक से पैसे जुटाए हैं."
कंपनी अमेरिका में एक मैन्युफैक्चरिंग युनिट और सेल्स ऑफिस शुरू करने की एडवांस स्टेज में हैं.