ये हैं दुनिया के पांच मशहूर मेड इन इंडिया ब्रांड, जिन्हें अधिकतर लोग विदेशी समझते हैं
यहां दुनियाभर में प्रसिद्ध उन पांच मेड इन इंडिया ब्रांड्स की सूची दी गई है, जिनके बारे में अधिकतर लोगों को लगता है कि वे विदेशी हैं, जबकि सच्चाई कुछ और ही है।
आपने अक्सर लोगों को कहते सुन होगा कि ब्रांड में क्या रखा है। यानी इसमें ऐसा क्या खास होता है जो इसे दूसरों से अलग बनाता है? इस बात का जवाब यदि एक शब्द में दिया जाए तो वह है ‘भरोसा’।
एक ब्रांडेड प्रोडक्ट ग्राहकों को विश्वास की भावना प्रदान करता है। ग्राहक उसे खरीदते और प्रयोग में लाते समय आश्वासन की भावना महसूस करते हैं। उनका मानना होता है कि वे उस प्रोडक्ट के लिए जो कीमत चुका रहे हैं वह इसके लायक है।
यहां YourStory ने मेड इन इंडिया ब्रांडों की एक सूची तैयार की है, जो दिखने और सुनने में अंतरराष्ट्रीय लगते हैं, लेकिन पूरी तरह से स्वदेशी हैं।
Woodland
इस नाम को सुनने के बाद आपको थोड़ी हैरानी अवश्य हो रही होगी। लेकिन, हकीकत यही है। ग्राहकों में बीते कई वर्षों से अपनी पहचान कायम रखने वाले इस ब्रांड की मांग आज भी उतनी ही है जितनी पहले थी। अपने नाम से विदेशी लगने वाले इस ब्रांड की जड़ें वास्तव में स्वदेशी हैं।
की पैरेंट कंपनी का नाम Aero Group है। इसकी स्थापना 1980 के दशक में कनाडा के क्यूबेक में अवतार सिंह ने की थी। उस समय, Aero Group ने कनाडा और रूस के लिए शीतकालीन जूतों का निर्माण किया था।
YourStory के साथ बातचीत में, अवतार के बेटे हरकीरत सिंह, जो अब Woodland के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं, कहते हैं, “मेरे पिता 1970 के दशक से जूतों के व्यवसाय में थे। हमारे पास टेनरियां और कारखाने थे,जहां हम USSR बाजार को पूरा करने के लिए जूते बनाते थे। लेकिन उस समय हमारे पास कोई ब्रांड नहीं हुआ करता था। यह पूरा हुआ 1980 के दशक में, जब हमने कंपनी को लॉन्च किया और एक समृद्ध तरीके से बाजार में प्रवेश किया।”
1990 के दशक तक Aero Group का कारोबार अपने चरम पर था जब सोवियत संघ के विघटन के साथ रूसी बाजार फिसल गया।
हरकीरत याद करते हुए बताते हैं, “यह हमारे लिए एक कठिन दौर था क्योंकि हमारा बड़ा बाजार हिस्सा रूस में था लेकिन इसकी हालत बिगड़ती जा रही थी। हालांकि हम यूरोप और कनाडा में मौजूद थे, हमें एक और बढ़ते बाजार की तलाश करने की जरूरत थी।”
1992 में, अवतार और हरकीरत ने विकासशील बाजार की स्थिति और विशेष रिटेल आउटलेट के साथ ही मॉल कल्चर में प्रवेश करने के बाद व्यापार भारत में लाने का फैसला किया। Aero Group के तहत, दोनों ने भारतीय बाजार में हाथ से सिले हुए पहले चमड़े के जूतों में से एक को पेश करके Woodland ब्रांड लॉन्च किया, जो देश में व्यापक रूप से लोकप्रिय हो गया।
Hidesign
पढ़ाई पूरी करने और पुदुचेरी से लौटने के बाद दिलीप ने शौक के तौर पर चमड़े के बैग बनाना शुरू किया। कारखाने में काम करते समय उन्होंने चमड़े के बैग बनाने से जुड़ी सभी आवश्यक जानकारी प्राप्त की थी। दिलीप ने चेन्नई से चमड़े की सोर्सिंग शुरू की और ऑरोविले में हाथ से तैयार किए गए चमड़े के बैग बनाने लगे।
दिलीप YourStory को बताते हैं, “चमड़े के कारखाने में छोटे कार्यकाल ने चमड़े को मेरा आजीवन जुनून बना दिया। हालांकि, लेदर बैग्स को डिजाइन करने और बनाने से मैं बिजनेसमैन नहीं बन पाया। मैं उस समय प्रोफिट एण्ड लॉस स्टेटमेंट को पढ़ना भी नहीं जानता था।”
लेकिन वह इससे अपनी आंत्रप्रेन्योरशिप की भावना को कम नहीं होने देने वाले थे। दिलीप ने 25,000 रुपये इकट्ठे किए। एक मोची को काम पर रखा और
नाम से कंपनी की शुरुआत की। उस समय कारखाने में केवल दो-व्यक्ति ही काम करते थे।वे कहते हैं, “Hidesign का जन्म बड़े पैमाने पर बाजार में चमड़े के बैग की यूनिफॉर्म और सिंथेटिक फ्लेटनेस से अलग होने की आवश्यकता से हुआ था। यह पेंट किए गए चमड़े के प्रति मेरी अरुचि को मजबूत करने जैसा था जो बिल्कुल भी स्वाभाविक नहीं था।”
साल 1984 में Hidesign ने यूके में अपना पहला डिपार्टमेंटल स्टोर John Lewis में शुरू किया, जहाँ इसकी पूरी प्रोडक्ट रेंज का स्टॉक किया गया था। John Lewis ने ब्रांड के बदलाव को एक वैकल्पिक ब्रांड से एक वाणिज्यिक और मुख्यधारा के ब्रांड में बदलने का संकेत दिया।
1988 तक Hidesign ने चमड़े की जैकेट और लंबी पैंट के साथ कपड़ों में कदम रखा था, क्योंकि ब्रिटेन के बाजार में दिलीप के चमड़े के बैग पर्याप्त नहीं थे। देखते ही देखते Hidesign ने लंदन में 700 स्टोर्स बना लिए थे।
दिलीप बताते हैं, "1990 में, हमने पुदुचेरी में एक कारखाना स्थापित किया, लेकिन अभी भी भारतीय बाजार में प्रवेश करने के लिए तैयार नहीं थे। आखिरकार भारत में पहले कुछ Hidesign स्टोर खोलने में नौ साल और लग गए।”
अगले कुछ वर्षों में, दिलीप ने पुदुचेरी और सिक्किम में एक और उत्पादन इकाई खोली। उन्होंने चेन्नई में भी एक टेनरी स्थापित की।
2020 तक दिलीप की कंपनी 170 करोड़ रुपये का सकल वार्षिक राजस्व कमाया और वर्तमान में लगभग 1,400 कर्मचारी काम करते हैं। यह चमड़े के सामान बनाने से लेकर एक लाइफस्टाइल ब्रांड के रूप में विकसित हुआ है, जिसमें एक्सक्लूसिव स्टोर्स, एयरपोर्ट स्टोर्स, शॉप-इन-शॉप्स, मल्टी-ब्रांड आउटलेट्स और ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म हैं। यह 102 एक्सक्लूसिव ब्रांड आउटलेट और 112 लार्ज फॉर्मेट डिपार्टमेंटल स्टोर में मौजूद होने का दावा करता है।
Hidesign के प्रोडक्ट पोर्टफोलियो में महिलाओं के बैग, पुरुषों के बैग, पर्स, बेल्ट, जूते, धूप का चश्मा, सामान और जैकेट शामिल हैं। महिलाओं के बैग और पुरुषों के बैग खूब बिकते हैं।
Colorbar
, जो भारत में मुख्यत: महिलाओं के ब्यूटी प्रोडक्ट बनाने वाले ब्रांड्स में से एक है। दिल्ली का यह ब्रांड तीन पीढ़ियों पुराने पारिवारिक व्यवसाय Modi Enterprises के अंतर्गत आता है।
Colorbar की फिलॉसफी जेंडर-न्यूट्रल प्रोडक्ट होना और इसके संपर्क में आने वाले सभी लोगों की विविधता का जश्न मनाना है। ब्रांड की क्रूरता मुक्त प्रोडक्ट रेंज इसे पूरा करती है।
Modi Enterprises के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर समीर मोदी कहते हैं, “हमारा मानना है कि परिवर्तन ही एकमात्र स्थिर है और इस तरह की सोच ने हमें बहुत ही कम समय में भारत में तीसरा सबसे बड़ा ब्यूटी ब्रांड बना दिया है।”
मोदी एंटरप्राइजेज के सफर की शुरुआत 1932 में हुई थी जब गुजरमल मोदी (समीर के दादा जी ) ने वनस्पति ऑयल बनाने का काम शुरू किया, जोकि एक प्रकार से खाना पकाने के काम आता है। हालांकि, चीनी के घरेलू उत्पादन को तेजी से शुरू करने के प्रयास में तत्कालीन सरकार ने आयात शुल्क में बड़ी वृद्धि की घोषणा की। इसलिए उन्होंने एक चीनी मिल शुरु करने के चलते वनस्पति तेल के विचार को छोड़ दिया।
संघर्षों का अनुभव करते हुए और पहले व दूसरे विश्व युद्ध के कठिन समय से गुजरने के बाद, उन्होंने 1933 और 1972 के बीच 27 उद्योगों की स्थापना की। साथ ही लोगों की मदद करने के लिए कई धर्मार्थ ट्रस्ट, अस्पताल, कॉलेज और स्कूल भी खोले।
Colorbar मोदी एंटरप्राइजेज का एक हिस्सा है जहां ब्रांड का प्रोडक्शन और पैकेजिंग फ्रांस, जर्मनी, इटली, कोरिया और संयुक्त राज्य अमेरिका में यूएस, ईयू, यूके और जापान FDA मानकों के अनुरूप होता है और ISO सर्टिफाइड है।
Colorbar विशेषकर प्रीमियम कैटेगरी के ग्राहकों को लक्षित करता है अर्थात जो लोग फैशनेबल और किफ़ायती चीजों के शौकीन हैं और जिन्हें अच्छे प्रोडक्ट्स की तलाश हमेशा रहती है। इसके प्राइम लोकेशंस में 100 से ज्यादा एक्सक्लूसिव रिटेल आउटलेट हैं।
यह 1,200 से अधिक ब्यूटी आउटलेट्स, दुकानों और कॉस्मेटिक स्टोर्स में भी उपलब्ध है। इसका
, और के साथ एक मजबूत रिश्ता है। Colorbar के प्रतियोगी Mac, Bobbi Brown और Kiko हैं।Monte Carlo
यदि आप उत्तर या पूर्वी भारत में रहते हैं, तो संभवतः आपके पास
का जैकेट, स्वेटर या कार्डिगन जरूर होगा। यदि नहीं तो आपने खरीदारी करते समय इसके आउटलेट या विंटर वियर प्रोडक्ट्स के बारे में कभी न कभी देखा या सुना अवश्य होगा। इसके विंटर वियर प्रोडक्ट्स पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और अन्य राज्यों में हजारों स्टोरों पर बेचे जाते हैं।लेकिन क्या आप जानते हैं कि Monte Carlo भारत का पहला संगठित फैशन परिधान ब्रांड था।
इसकी विरासत और वंश, जो स्वतंत्रता के बाद के भारत में बना है, बहुतों को नहीं पता है। इसकी अविश्वसनीय कहानी लुधियाना, पंजाब से शुरू हुई, एक ऐसा शहर जो जीवंत कपड़ा उद्योग का दावा करता है।
लुधियाना में मोंटे कार्लो का इतिहास Oswal Woolen Mills के साथ शुरू हुआ, जिसे 1949 में स्वतंत्रता के बाद स्थापित किया गया था। मिल ने विनिर्माण और बिक्री के लिए एक अधिक संगठित दृष्टिकोण बनाने के लिए ऊन उद्योग के हितधारकों को एक साथ लाना शुरू किया। यह अंततः भारत में ऊनी धागों के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक बन गया।
1984 में, मोंटे कार्लो को Oswal Woolen Mills के तहत एक ब्रांड के रूप में लॉन्च किया गया था और भारत में पहले संगठित फैशन परिधान ब्रांडों में से एक होने का प्रतिष्ठित खिताब अपने नाम किया।
मोंटे कार्लो के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर ऋषभ ओसवाल कहते हैं, “हम पहले से ही ऊनी धागों के व्यवसाय में थे और विभिन्न उद्योगों के लिए प्रोडक्ट्स भी बना रहे थे। यह सब तब था जब हमने उद्योग को संगठित करने की आवश्यकता और मांग को समझा, जिसके बाद भारत को अपना पहला रेडीमेड कपड़ों का ब्रांड दिया।”
मोंटे कार्लो के लॉन्च होने के कई साल बाद यह धीरे-धीरे ऑल-सीज़न ब्रांड बन गया जिसे हम सभी जानते हैं। ऋषभ आगे कहते हैं, “भारत में लॉन्च होने के बाद ब्रांडेड कपड़ों के उद्योग के रूप में शुरुआत एक महत्वपूर्ण कदम था। तब से हम कपड़ों और फैशन उद्योग की लगातार बढ़ती मांगों को पूरा कर रहे हैं।”
मोंटे कार्लो - बर्फी, मैरी कॉम, भाग मिल्खा भाग और स्टूडेंट ऑफ द ईयर जैसी ब्लॉकबस्टर बॉलीवुड फिल्मों के लिए क्लोथिंग पार्टनर भी रह चुका है।
Da Milano
NIFT दिल्ली से ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद साहिल मलिक ने लंदन में मार्केटिंग कोर्स करने का फैसला किया। वहां, वह प्रीमियम हैंडबैग स्टोर्स से काफी प्रभावित हुए और भारत में इसे शुरु करने का विचार किया।
साहिल YourStory को बताते हैं, “तब तक भारत में महिलाओं के लिए कोई प्रीमियम हैंडबैग ब्रांड स्टोर नहीं था और उपभोक्ताओं को लग्जरी हैंडबैग रखने की अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय कंपनियों पर निर्भर रहना पड़ता था।”
तीसरी पीढ़ी के इस उद्यमी की हमेशा से ही फैशन और एक्सेसरीज में गहरी दिलचस्पी थी। इसलिए, उन्होंने भारत में अच्छे ग्राहकों की डिमांड को पूरा करने के लिए एक लक्ज़री हैंडबैग ब्रांड शुरू करने का फैसला किया और 2000 में
लॉन्च किया।आज Da Milano के 75 स्टोर हैं जिनमें 15 एयरपोर्ट स्टोर शामिल हैं और इसने वित्त वर्ष 19-20 में 143 करोड़ रुपये का कारोबार किया। साहिल कहते हैं कि उनके स्टोर पूरे भारत में स्थित हैं, लेकिन उनके ग्राहक मुख्य रूप से उत्तर और पूर्वी भारत से हैं।
2013 में, Da Milano ने अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रवेश किया और वर्तमान में काठमांडू, कतर, बहरीन और दुबई में मौजूद है। पिछले साल इसने दुबई मॉल में एक स्टोर भी खोला था।
Edited by रविकांत पारीक