सबसे किफायती शिपिंग सर्विस देकर छा गई Delhivery, जानिए कैसे बनी 1 अरब डॉलर की लॉजिस्टिक कंपनी
इसे 2011 में साहिल बरुआ और सूरज सहारन ने शुरू किया था. 2019 में एफ राउंड की फंडिंग हासिल करने के साथ यह स्टार्टअप यूनिकॉर्न बन गया. आइए जानते हैं इसके सफल होने की कहानी.
हाइलाइट्स
साहिल बरुआ और सूरज सहारन ने 2011 में गुरुग्राम से Delhivery को शुरू किया था.
कुछ समय बाद ही मोहित टंडन, भावेश मंगलानी और कपिल भारती भी को-फाउंडर बनकर कंपनी से जुड़ गए.
2019 में F राउंड की फंडिंग हासिल करने के साथ यह स्टार्टअप यूनिकॉर्न बन गया.
ऑनलाइन कारोबार जितना बढ़ा है उतना ही डिलीवरी बिजनेस भी बढ़ा है. उसमें भी अगर कोई कंपनी ऑनलाइन के साथ साथ ऑफलाइन सर्विस भी दे, जो इस्तेमाल करने में आसान हो तो क्या ही कहने.
Delivery सर्विस ऑफर करने वाली कंपनी
इसी खूबी की वजह से कस्टमर्स की पसंदीदा बनी हुई है. इसे 2011 में साहिल बरुआ और सूरज सहारन ने शुरू किया था. 2019 में एफ राउंड की फंडिंग हासिल करने के साथ यह स्टार्टअप यूनिकॉर्न बन गया. आइए जानते हैं इसके सफल होने की कहानी.कहां से आया आईडिया
सूरज और साहिल ने एक बार रेस्त्रां से मील ऑर्डर किया था. डिलीवरी बॉय जब खाना लेकर पहुंचा तो दोनों ने कुछ देर तक उससे बातचीत की. बात-बात में मालूम पड़ा कि रेस्त्रां तो बंद होने वाला है और वह जल्द बेरोजगार हो जाएगा.
दोनों पड़ताल करते हुए रेस्त्रां के मालिक के पास पहुंच गए. मालिक ने बताया कि वो अपने बिजनेस को बंद करने वाला है और सभी स्टाफ कहीं और शिफ्ट करेगा. दोनों ने बिना देर किए रेस्त्रां के सभी डिलीवरी बॉय को हायर कर लिया और इस तरह शुरुआत हुई Delhivery की.
शुरुआत में डेल्हिवरी सिर्फ रेस्त्रां के लिए डिलीवरी सर्विस देती थी. क्योंकि सूरज और साहिल को रेस्त्रां के बीच फूड डिलीवरी नेटवर्क की भारी कमी दिख रही थी. कंपनी ने यूएसपी रखी, एक घंटे के अंदर डिलीवरी. बाद में दवा रिटेलर्स ने भी डेल्हिवरी की सर्विस को हायर कर लिया.
डेल्हिवरी ने अच्छा रेस्पॉन्स देखते हुए हाइपरलोकल स्तर पर अपनी सर्विस देनी शुरू कर दी. कुछ समय बाद ही मोहित टंडन, भावेश मंगलानी और कपिल भारती भी को-फाउंडर बनकर कंपनी से जुड़ गए.
बिजनेस और रेवेन्यू मॉडल
Delhivery इस समय इंडिया के लीडिंग सप्लाई चेन सर्विसेज में गिनी जाती है. यह इंडिया में लीडिंग बी2बी, बी2सी और सी2सी लॉजिस्टिक्स कूरियर सर्विस प्रोवाइडर्स है. कंपनी बड़े किफायती दाम पर शिपिंग सर्विसेज देती है, इसिलिए यह काफी पॉपुलर है. कंपनी ना कोई सेटअप फीस लेती है और ना ही सब्सक्रिप्शन चार्ज.
सर्विसेज
कंपनी मुख्यतः 5 सेवाएं देती है
- एक्सप्रेस पार्सल
- पार्सल ट्रक लोड
- फुल ट्रक लोड
- सप्लाई चेन सर्विसेज
- क्रॉस बॉर्डर सर्विसेज
मई 2011 में गुरुग्राम से शुरू हुई यह कंपनी लास्ट मील डिलीवरी, थर्ड पार्टी और ट्रांजिट वेयरहाउसिंग, रिवर्स लॉजिस्टिक्स, पेमेंट कलेक्शन, वेंडर-टू-वेयरहाउस, वेंडर-टू-कस्ट्मर शिपिंग और भी कई सुविधाएं देती है.
Delhivery अपने नेटवर्क डिजाइन, इंफ्रास्ट्रक्चर, पार्टनरशिप्स, इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजिकल क्षमताओं के दम पर इंडिया में लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री में धाक जमा रही है.
Delhivery देश भर में 10000 से ज्यादा कस्टमर्स को सर्विस दे रही है. कंपनी अपने बिजनेस प्लान की बदौलत इस समय प्रोडक्ट्स डिलीवरी के लिए बेस्ट कूरियर और लॉजिस्टिक्स स्टार्टअप के तौर पर उभरी है.
फाउंडर्स के बारे में
साहिल बरुआः Delhivery के को-फाउंडर और सीईओ साहिल बरुआ आईआईएम बेंगलुरु के ग्रेजुएट हैं. स्टार्टअप शुरू करने से पहले साहिल बेन एंड कंपनी में काम करते थे.
मोहित टंडनः मोहित भी साहिल के साथ बेन एंड कंपनी में काम कर रहे थे. मोहित ने IIT कानपुर से ग्रेजुएशन किया है.
भावेश मंगलानीः कंपनी के सीओओ हैं और धीरुभाई अंबानी कॉलेज- ICT बीटेक की पढ़ाई की है, जबकि 2008 में IIM कलकत्ता से एमबीए भी पूरा किया है.
सूरज सहारनः डेल्हिवरी के को-फाउंडर सूरज ने आईआईटी बॉम्बे से मेकैनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया है.
कपिल भारतीः डेल्हिवरी के आखिरी को-फाउंडर कपिल ने आईआईटी दिल्ली से मेकैनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है.
फंडिंग और निवेशक
Delhivery ने 15 राउंड्स में अब तक कुल 1.69 अरब डॉलर जुटाए हैं. कंपनी ने एक फंडिंग राउंड में 64 एंकर इनवेस्टर्स से 303.73 मिलियन डॉलर यानी करीबन 2347 करोड़ रुपये पैसे लिए थे. इन इनवेस्टर्स में स्टेडव्यू, टाइगर ग्लोबल, बे कैपिटल जैसे निवेशकों का नाम है.
कंपनी 11 मई, 2022 को आईपीओ लेकर आई. कंपनी की फाइलिंग्स के मुताबिक Delhivery ने 487 रुपये के भाव पर 48 मिलियन शेयर एंकर निवेशकों को जारी किए. आखिरी फंडिंग राउंड में कंपनी ने 125 मिलियन डॉलर 24 सितंबर, 2021 को जुटाए हैं. उससे पहले 6 सितंबर को 76.34 मिलियन डॉलर यानी 558 करोड़ रुपये लिए.
मई 2022 में सीरीज I राउंड में ली फिक्सेल्स एडिशन की अगुवाई में ही दोबारा पैसे जुटाए. मई 2022 को कंपनी की वैल्यूएशन 4.77 अरब डॉलर के आसपास आंकी गई थी.
Delhivery ने 2019 में सीरीज एफ राउंड में सॉफ्टबैंक विजन फंड, कार्लाइल ग्रुप और फोसन इंटरनैशनल से 413 मिलियन डॉलर जुटाए. इसी के साथ कंपनी का वैल्यूएशन 1.5 अरब डॉलर पर पहुंच गया.
कॉम्पिटीशन
Delhivery इंडिया में इकलौती बड़ी लॉजिस्टिक्स कंपनी नहीं है. हां, इस इंडस्ट्री में कैपिटल और फंडिंग के मामले बाकी की कंपनियों से ये आगे जरूर है मगर कुछ खास नहीं. इस समय दो बड़े प्लेयर Rivigo और Blackbuck से इसे काफी टक्कर मिल रही है.
इनके अलावा Flexport, ईकॉम एक्सप्रेस, एक्सप्रेसबीज, FSC, DotZot, Delex जैसी कई और कंपनियां आगे आ रही हैं.
: Rivigo एक टेक्नोलॉजी बेस्ड कंपनी है जो खुद को लॉजिक्सटिक्स कंपनी बताती है. इसकी यूएसपी रियर-बेस्ड ट्रक सिस्टम है और ये अपने ड्राइवर्स को पायलट्स का दर्जा देती है.
Blackbuck: Blackbuck भी एक टेक्नोलॉजी बेस्ड कंपनी है जो ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के लिए स्पेस देती है और अन्य बिजनेसेज को थर्ड पार्टी लॉजिस्टिक्स सर्विसेज देती है. ये Zinka लॉजिस्टिक्स सलूशन के नाम से भी मशहूर है. कंपनी ने हाल ही में फंडिंग राउंड में 150 मिलियन डॉलर जुटाए हैं.
वित्तीय स्थिति
चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में कंपनी का रेवेन्यू और घाटा दोनों कम हुआ है. पिछले साल की इसी अवधि में घाटा 126.5 करोड़ था जो FY 2023 की तीसरी तिमाही में बढ़कर 195.5 करोड़ रुपये हो गया. रेवेन्यू भी 8.6 फीसदी घटकर 1823.8 करोड़ रुपये पर आ गया. हालांकि तिमाही आधार पर घाटा और रेवेन्यू दोनों में सुधार दिखा है. सितंबर तिमाही में घाटा 254.1 करोड़ रुपये रहा था जबकि रेवेन्यू 1796.1 करोड़ रुपये.
IPO
Delhivery ने 1 अरब डॉलर के आईपीओ के लिए 7 अक्टूबर, 2021 को सेबी के पास कागज जमा कराए. 11 मई, 2022 को कंपनी का आईपीओ खुला. 28 मई को कंपनी शेयर बाजार पर लिस्ट हो गई. बीएसई पर इसके शेयर 493 रुपये प्रति शेयर पर खुले और एनएसई पर 495.2 रुपये पर रजिस्टर हुए. शेयरों का आईपीओ प्राइस 487 रुपये था.
हालांकि लिस्ट होने के बाद से इसके शेयरों में कई वजहों से कई बार उतार चढ़ाव नजर आते रहे हैं. 23 मार्च, 2023 को इसके शेयर NSE पर 1.35 फीसदी नीचे 325.50 रुपये पर बंद हुए. जबकि बीएसई पर 0.97% घटकर 325.15 रुपये पर आ गए.