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काजल के पास कभी फीस के लाले थे, आज खुद की कंपनी की फाउंडर सीइओ

काजल के पास कभी फीस के लाले थे, आज खुद की कंपनी की फाउंडर सीइओ

Sunday March 08, 2020 , 3 min Read

अकोला (महाराष्ट्र) में पानठेला चलाने वाले पिता की होनहार बेटी काजल प्रकाश राजवैद्य ने किस तरह के मुश्किल के दौर में अपनी जिंदगी को एक कामयाब मोकाम तक पहुंचाया है, उनकी दास्तान एक जीवंत मिसाल जैसी है। कभी फीस के लिए पढ़ाई रुक गई लेकिन आज उनकी कंपनी 'काजल इनोवेशन एंड टेक्निकल सोल्युशन किट्स' को कई अवॉर्ड हासिल हो चुके हैं।


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फोटो क्रेडिट: सोशल मीडिया



अकोला (महाराष्ट्र) की कंपनी 'काजल इनोवेशन एंड टेक्निकल सोल्युशन किट्स' की फाउंडर सीइओ एवं आईटीई के बेस्ट एंटरप्रेन्योर अवॉर्ड, यूएसए के टाइम्स रिसर्च अवार्ड और स्टार्टअप इंडिया के एग्रीकल्चर इनोवेशन अवार्ड से नवाजी जा चुकीं काजल प्रकाश राजवैद्य ने किस तरह के मुश्किल के दौर में अपनी जिंदगी को एक कामयाब मोकाम तक पहुंचाया है, उनकी दास्तान एक जीवंत मिसाल जैसी है।


अकोला शहर में जनमीं काजल के पिता एक पानठेला चलाते थे। आमदनी ज़्यादा होती नहीं थी इसलिए उन्होंने जल्द ही एक निजी बैंक के रिकरिंग एजेंट की नौकरी कर ली। काजल के परिवार में भाई, बहन, माँ सभी थे। ऐसे में अकेले की कमाई से घर चलाना मुश्किल तो था, पर पिता बच्चों को खूब पढ़ाना चाहते थे लेकिन घर की माली हालत ठीक न होने से काजल को चौथी क्लास तक जिला परिषद के स्कूल में पढ़ाने के बाद चार किलो मीटर दूर स्थित मनुताई कन्या शाला में इसलिए दाखिल करा दिया गया कि वहां पढ़ने वाली लड़कियों से फीस नहीं ली जाती है। इस स्कूल को सन् 1911 में कालज जैसी ही संघर्षशील महिला मनुताई बापट ने समाज से लड़ते हुए स्थापित किया था।



काजल की जिंदगी का टर्निंग प्वॉइंट उस वक़्त आया, जब उन्होंने दूरदर्शन पर रोबोट से जुड़ा एक शो देखा। उन्होंने संकल्प लिया कि अब वह भी एक दिन रोबोट बनाएंगी। उनके सपनों को पंख तब लगना आसान हो गया, जब उन्हे पॉलिटेक्निक में इलेक्ट्रॉनिक्स में एडमिशन मिल गया लेकिन उनकी पढ़ाई के उन्ही दिनो में पिता की नौकरी छूट गई। घर-गृहस्थी और भी खस्ताहाल हो चली। पॉलिटेक्निक की फीस भरने तक का बूता नहीं रहा लेकिन उनके पिता के हिम्मत की दाद दीजिए कि उन्होंने लोन लेकर उनका एडमिशन इंजीनियरिंग कॉलेज में करा दिया।


काजल पढ़ाई में तेज तो थीं ही, अपने सिलेबस को फ्यूचर ऑइडिया फोकस करते हुए पुणे जाकर वहां के कॉलेजों में जाकर छात्रों के साथ उसे शेयर करने लगीं लेकिन असफलता हाथ लगी पर हार नहीं मानीं। अकोला लौटकर किसी तरह छिटपुट कामों से अपना खर्च निकालने लगीं। इसके साथ ही कोचिंग आदि से बचे समय में इंटरनेट के जरिए रोबोटिक्स सीखती रहीं। कुछ समय बाद वह प्राइमरी स्कूलों में जाकर फिफ्थ क्लास के बच्चों का रोबोटिक्स वर्कशॉप लेने लगीं।


और इस तरह आज से पांच साल पहले कालज ने 21 साल की उम्र में खुद की कंपनी 'काजल इनोवेशन एंड टेक्निकल सोल्युशन किट्स' बनाई। उनकी कंपनी बच्चों को रोबोटिक की ट्रेनिंग देने के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक सामानों की सर्विस भी मुहैया कराती है।


इस समय यमन, सिंगापुर, अमेरिका तक उनकी कंपनी के क्लाइंट्स हैं। जब मुंबई में राष्ट्रीय रोबोटिक्स प्रतियोगिता हुई, तो बड़े-बड़े अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के छात्रों से 'काजल इनोवेशन एंड टेक्निकल सोल्युशन किट्स' की छात्राओं को जीतते देख किसी को उनकी सफलता पर विश्वास नहीं हुआ।


अब ये लड़कियां काजल के साथ, अमेरिका में भारत का प्रतिनिधित्व करने की तैयारी में जुटी हैं। उनके सामने सबसे बड़ी मुश्किल पैसे की है।