चमकता सूरज, बनती बिजली: भारत की सौर छत महत्वाकांक्षाएँ
फरवरी में, सरकार ने आधिकारिक तौर पर 1 करोड़ परिवारों को लाभ पहुंचाने के लिए 75,021 करोड़ रुपये की रूफटॉप सोलर स्कीम पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना शुरू की. क्या यह भारत की जनसंख्या-स्तर पर जलवायु कार्रवाई के आह्वान के लिए महत्वपूर्ण क्षण है?
जबलपुर के रहने वाले अमित महरौलिया ने हाल ही में अपने नर्मदा रोड स्थित घर की छत पर बड़े सौर पैनल लगवाए हैं. सोच न केवल अपने घर के उपकरणों को सस्ते में और कुशलता से चलाने की थी, बल्कि यह भी महसूस करना था कि वह किसी बड़ी चीज़ में योगदान दे रहा है.
युवा लाभार्थी ने पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के बारे में कहा, "सबसे पहले तो यह आपके पैसे बचाता है और दूसरा, सबसे महत्वपूर्ण लाभ, कि यह कार्बन फुटप्रिंट को कम करता है और हरित ऊर्जा को बढ़ावा देता है."
आवासीय स्तर पर सौर छतों को वास्तविकता बनाकर, 'पीएम सूर्य घर योजना' जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई के लिए एक बड़े स्तर पर लोगों को प्रेरित कर सकती है.
फरवरी में सरकार ने आधिकारिक तौर पर 1 करोड़ परिवारों को लाभ पहुँचाने के लिए ₹75,021 करोड़ की सौर छत योजना शुरू की. जो परिवार सफलतापूर्वक इसके लिए आवेदन करेंगे उन्हें 300 यूनिट मुफ्त बिजली मिलेगी. उन्हें 1kW सिस्टम के लिए 30,000 रुपये से लेकर 3kW सिस्टम के लिए 78,000 रुपये तक की सब्सिडी भी दी जाएगी. साथ ही, वे उत्पादों को लगाने के लिए बिना कोलैटरल (गिरवी) के वर्तमान में 7% दर पर कम-ब्याज वाले ऋण प्राप्त कर सकते हैं. इससे एक परिवार की सालाना 15,000 से 18,000 रुपये की बचत हो सकती है.
दुनिया के 50 सबसे प्रदूषित शहरों में से 39 भारत में है और हम वायु गुणवत्ता संकट का सामना कर रहे हैं. देश की COP26 प्रतिज्ञा एक रोडमैप पेश करती है: उनमें कार्बन की तीव्रता में 45% की कमी, 2030 तक 1 बिलियन टन उत्सर्जन में कटौती और 2070 तक नेट ज़ीरो तक पहुँचना शामिल है. सूर्य घर योजना केवल टिकाऊ या लम्बे समय तक स्थायी रहन-सहन को बढ़ावा देने वाला एक कार्यक्रम नहीं है; यह भारत की जलवायु पहलों को एकजुट करने वाली आधारशिला हो सकती है. ईवी, स्टोरेज समाधान और सार्वजनिक जागरूकता अभियान (LiFE या लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट) के साथ सौर घरों को एकजुट करके, यह स्वच्छ ऊर्जा भविष्य को प्राप्त करने के लिए एक सम्पूर्ण दृष्टिकोण प्रदान करता है.
अब तक की सौर कहानी
सौर छत कोई नया विचार नहीं है. लेकिन इसे बड़े पैमाने पर लोगों तक ले जाना न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में सबसे जटिल B2C पहेलियों में से एक रही है. इसे लागू करने के लिए विभिन्न प्रकार के पहलुओं की ज़रूरत होती है, जिसमें ग्रिड क्षमता, बिजली नियमन और नेट मीटरिंग बुनियादी ढाँचा शामिल है. और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके लिए नवीकरणीय और टिकाऊ ऊर्जा में निवेश करने के लिए लाखों परिवारों की क्षमता और इच्छा की आवश्यकता होती है.
इस पहेली को सुलझाना कोई आसान काम नहीं है. आइए कुछ सबसे बड़ी समस्याओं पर गौर करें जिन्होंने अब तक सौर छत को व्यापक रूप से अपनाने की गति को धीमा किया है.
सबसे पहले, एक घर जो वैसे तो बिजली के लिए सालाना केवल कुछ हज़ार ही खर्च करता है, नवीकरणीय ऊर्जा के लिए एकमुश्त दसियों हज़ार रूपए क्यों खर्च करना चाहेगा?
छत सौरकरण अच्छी पूंजी वाले बड़े व्यापारिक और औद्योगिक खिलाड़ियों के लिए काम कर गया. लेकिन आवासीय क्षेत्र के लिए यह आकर्षण कम रहा है और आज 90% से अधिक सौर छत स्थापनाएँ व्यापारिक और औद्योगिक क्षेत्र में हैं. घरेलु निवासी सौर पैनलों और संबंधित बुनियादी ढाँचे की ऊँची लागत के कारण झिझकते हैं, भले ही इससे लंबी अवधि में काफी लाभ मिलता है. 2024 में, भारत में सौर प्रणाली स्थापित करने के लिए यह अनुमान है कि एक परिवार को लगभग 1.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये खर्च करने होंगे.
वित्तीय लागत संबंधी विचारों ने भी संदेह पैदा कर दिया है: ऐसी स्थिति में जहाँ ग्राहक आसानी से लागत के आधार पर बिजली प्रदाताओं को बदल सकते हैं, तो पूंजीगत खर्च और आपूर्ति का जोखिम कौन उठाएगा? सौर निवेश में लागत वापसी की लंबी अवधि को देखते हुए, बहुत कम घरों के मालिक यह बदलाव करने के लिए आश्वस्त हुए हैं.
इसके अलावा, हमारे बैंक इतने बड़े पैमाने पर विकेंद्रीकृत उधार लेने वालों और उनकी अलग-अलग क्रेडिट योग्यता के साथ बिना किसी वास्तविक कोलैटरल (गिरवी) के उधार देने के लिए कितने इच्छुक और सक्षम हैं?
और अंत में, बुनियादी ढाँचे के स्तर पर, कई लोग यह प्रश्न पूछ रहे हैं कि अतिरिक्त नवीकरणीय ऊर्जा वाले आवासीय और वाणिज्यिक उपयोगकर्ताओं से इनपुट बिजली स्वीकार करने के लिए पहले से ही अत्यधिक बोझ वाला ग्रिड कितना तैयार है?
नई सूर्य घर योजना इनमें से प्रत्येक प्रश्न को स्वीकार करने और उनके उत्तर देने का एक साहसिक प्रयास है.
प्रत्येक हितधारक होंगे लाभान्वित
सौर पहेली को सुलझाने में अब प्रत्येक हितधारक की भूमिका है.
सूर्य घर योजना को फरवरी के अंत तक कैबिनेट द्वारा स्वीकृति दे दी गई, जिस पर उसी महीने बजट घोषणा के दौरान चर्चा की गई थी. सरकार ने सौर ऊर्जाकरण में प्रमुख बाधाओं को दूर करने का लक्ष्य रखकर, अपने प्रयोजन का संकेत दिया है और उद्देश्य को लेकर निरंतरता भी दिखाई है. इसमें अगले 25 वर्षों में आवासीय क्षेत्र में 30 गीगावाट सौर क्षमता जोड़ने और 720 मिलियन टन CO2 के बारबार उत्सर्जन को कम करने की परिकल्पना की गई है.
इसके साथ मिलने वाली महत्वपूर्ण सब्सिडी बैंकों को सौर ऋण देने को बढ़ावा देने और आपूर्तिकर्ताओं को अपने उत्पादों का विस्तार करने के लिए प्रेरित कर सकती है.
भारत में बैंकों के लिए अपनी ग्रीन बुक को बढ़ाना एक महत्वपूर्ण लक्ष्य बनता जा रहा है और इसके लिए मिश्रित वित्तपोषण (फाइनेंसिंग) के लिए गहरी नई संरचनाएँ विकसित करने की आवश्यकता है.
सौर वित्तपोषण और वितरण में नई उर्जा के शुरुआती संकेत पहले से ही उभर रहे हैं. उदाहरण के लिए, मार्च में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और टाटा पावर सोलर सिस्टम्स ने तीन साल के समझौते को नवीनीकृत किया और आवासीय खंड को अपने दायरे में ले लिया, जहाँ वे एक समय केवल वाणिज्यिक और औद्योगिक क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते थे.
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारतीय उपभोक्ता, विशेष रूप से निम्न आय वर्ग के लोग, मुफ्त बिजली का आश्वासन देने वाले आर्थिक मॉडल के आधार पर हरित यात्रा में शामिल होने के लिए प्रेरित होंगे. सौर ऊर्जा भारतीयों के जीवन और आजीविका का एक बड़ा हिस्सा बन सकती है, जिससे विनिर्माण, लॉजिस्टिक्स, बिक्री, आपूर्ति शृंखला, संस्थापन, संचालन और प्रबंधन में लगभग 17 लाख नौकरियाँ बनने की उम्मीद है.
दिल भी, जेब भी
जबकि मूल रूप से सूर्य घर योजना हम सभी के स्व टिकाउपन को आकर्षित करती है, पर कुछ विशिष्ट और भौतिक महत्वाकांक्षाएँ हैं जिन्हें पूरा करने में यह सहायता कर सकती है.
- इसमें आवासीय छत क्षमता में 10 गुना वृद्धि करने की क्षमता है जिससे भारत अमेरिका से आगे निकल जाएगा और दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा सौर पीवी बाज़ार बन जाएगा.
- सूर्य घर योजना का वित्तपोषण भारत के हरित ऋणदाताओं के लिए 50,000 करोड़ रुपये का अवसर हो सकता है.
- चूँकि गर्मियों में बिजली की अधिकतम मांग शाम न होकर दोपहर हो जाती है और जैसे-जैसे अधिक से अधिक भारतीय एयर कंडीशनर पर निर्भर होंगे, तो विकेन्द्रीकृत सौर समाधान, कर्व को फ्लैट करने और ग्रिड पर दबाव को कम करने के लिए महत्वपूर्ण होगा.
- 25 वर्ष की अवधि में लगभग 720 मिलियन टन CO2 की बचत और यहाँ तक कि $10/टन CO2 का एक अनुमानित आर्थिक मूल्य (ईयू कार्बन मूल्य $100 प्रति टन के करीब है) $7.2 बिलियन की अंतर्निहित मूल्य उत्पत्ति क्षमता का संकेत देगा.
सौर उर्जाकरण से सामाजिक प्रोत्साहन
सौर छतों का वादा जितना बचत के बारे में है, उतना ही उत्थान के बारे में भी है. हर घर के लिए सस्ती और विश्वसनीय बिजली की गारंटी का मतलब आम भारतीयों के बीच आत्मनिर्भरता और आर्थिक आत्मविश्वास को काफी बढ़ावा देना हो सकता है.
300 यूनिट तक की मुफ्त बिजली छोटे शहरों में लोगों की विकास के लिए आवश्यक ऊर्जा का उपयोग करने की क्षमता को बढ़ाकर आय सृजन की प्रतियोगिता को बराबरी पर ला सकती है.
संदर्भ के लिए, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च की 2017 की रिपोर्ट के आधार पर, दिल्ली के घर, जहाँ भारतीय शहरों में सबसे अधिक बिजली की खपत होती है, लगभग 250-270 यूनिट बिजली की खपत करते हैं.
पर्याप्त बिजली के साथ, कम आय वाले घर के सदस्यों के लिए ऊर्जा-कुशल कुकस्टोव के साथ कम कीमत में भोजन तैयार करना, रोशनी और पंखों के नीचे जीवन की बेहतर गुणवत्ता प्राप्त करना और अपने इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों को आसानी से चार्ज करके गतिशीलता का आनंद लेना संभव होगा. यदि वे अतिरिक्त ऊर्जा एकत्र कर पाएँ, तो निवासी इसे डिस्कॉम को बेचकर पैसा भी कमा सकते हैं.
जैसा हमेशा होता है, भारतीय, विशेषकर युवा भारतीय, इस उद्देश्य के प्रति उत्साह दिखा रहे हैं. इसे सरल लेकिन नवीन पहलों से लोकप्रिय बनाया जा रहा है. जिस तरह कॉर्पोरेट क्षेत्र ने प्रमाणित हरित इमारतों को अपनाया है और उन्हें अपनी नवीनतम नई शाखा के लिए एक गौरवमय गंतव्य बनाया है, उसी तरह अब समय आ गया है कि आम नागरिक सौर छत वाले प्रमाणित हरित घर के मालिक होने पर गर्व महसूस करें. शायद अगले गृह प्रवेश पर बिल्कुल नए पैनलों के साथ एक सेल्फी होगी?