IIT ने फिर कर दिखाया कमाल, इस तकनीक से रिमोट इलाकों में भी झट से पकड़ा जाएगा कोरोना संक्रमण
आईआईटी जोधपुर के शोधकर्ताओं ने एक आर्टिफ़िश्यल इंटेलिजेंस आधारित सीने के एक्स-रे से जुड़ी तकनीक विकसित की है, जो सीधे तौर पर कोविड-19 स्क्रीनिंग में मदद करेगी।
देश इस समय कोरोना वायरस संक्रमण की तीसरी लहर से जूझ रहा है और अभी भी देश के कुछ हिस्सों में कोरोना वायरस संक्रमण के परीक्षण के लिए टेस्ट किट की कमी देखी जा रही है, हालांकि एक बार फिर से देश के सबसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में शुमार आईआईटी ने एक ऐसी तकनीक विकसित कर ली है जिससे इस समस्या को हल किया जा सकता है।
आईआईटी द्वारा विकसित की गई इस तकनीक का सबसे अधिक फायदा उन रिमोट इलाकों को मिल सकता है, जहां अभी टेस्ट किट की कमी महसूस की जा रही है। आईआईटी जोधपुर के शोधकर्ताओं ने एक आर्टिफ़िश्यल इंटेलिजेंस आधारित सीने के एक्स-रे से जुड़ी तकनीक विकसित की है, जो सीधे तौर पर कोविड-19 स्क्रीनिंग में मदद करेगी।
एक्स-रे तस्वीर से मिलेगी जानकारी
शोधकर्ताओं की टीम ने डीप लर्निंग आधारित एल्गोरिद्म तैयार की है, जिसे COMit-Net नाम दिया गया है। यह तकनीक सीने के एक्स-रे तस्वीर के जरिये उसमें उपलब्ध असमान्यता का पता लगाती है। इसके लिए यह तकनीक कोविड प्रभावित फेफड़े और सामान्य फेफड़े की एक्सरे तस्वीर की तुलना करती है।
घोषणा से पहले शोधकर्ताओं की टीम ने अपनी इस खास तकनीक का 25 सौ से अधिक एक्स-रे तस्वीरों पर प्रयोग किया था। उम्मीद के मुताबिक टीम को इससे बेहतर परिणाम हासिल हुए हैं, जहां तकनीक ने 96.8 प्रतिशत सेंसिविटी हासिल हुई है।
खास है यह तकनीक
यह तकनीक दरअसल कई मायनों में खास है, यह ना सिर्फ यह पता लगाती है कि व्यक्ति को कोरोना वायरस संक्रमण से निमोनिया हुआ है या नहीं, बल्कि इसके जरिये फेफड़ों के कोरोना वायरस संक्रमण के चलते प्रभावित हुए हिस्सों का भी पता लगाया जा सकता है।
इस तकनीक के जरिये फेफड़ों के प्रभवित हुए हिस्सों को देखा जा सकता है। इस तकनीक को लेकर इसमें शामिल की गई एआई समाधान एल्गोरिद्म और मेडिकल दोनों ही दृष्टिकोण पर व्याख्या की जा सकती है।
टीम ने इस तकनीक का पूरा विवरण एक रिसर्च पेपर के जरिये सामने रखा है, जो जर्नल पैटर्न रिकग्निशन के वॉल्यूम 122 में प्रकाशित हुआ है।
कोरोना से लड़ने में मिलेगी मदद
लगातार बढ़ते कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों के साथ देश अब इसकी तीसरी लहर का सामना कर रहा है और ऐसे में रिमोट इलाकों में अधिक टेस्टिंग को लेकर समस्याएं भी देखने को मिल रही हैं। मीडिया के अनुसार, शोधकर्ताओं ने इस समस्या को हल करने के उद्देश्य से ही इस तकनीक को विकसित किया है और इसे टेस्टिंग के वैकल्पिक तरीके के रूप में देखा जा सकता है। यह तकनीक ना सिर्फ विश्वनीय है बल्कि इसके जरिये टेस्टिंग के परिणाम भी तेजी से मिलते हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में स्कॉटिश शोधकर्ताओं ने भी एक ऐसी ही तकनीक विकसित की है, जो एक्स-रे तकनीक के माध्यम से कोरोना संक्रमण का पता लगाए जाने का दावा करती है।
Edited by Ranjana Tripathi